अंकिता जैन
चम्बल की घाटियों में बसे एक छोटे से गाँव जौरा की रहने वाली अंकिता आजकल सतपुड़ा की वादियों में बसे जशपुरनगर में अपने गृहस्थ जीवन और लेखन दोनों को आनंद ले रही हैं। यूँ तो अंकिता ने बनस्थली विद्यापीठ से कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में M.Tech करने के बाद CDAC, Pune में साल भर Artificial Intelligence में शोधकार्य किया, फिर भोपाल के बंसल कॉलेज में बतौर Lecturer पढ़ाया भी, लेकिन नौकरी से उखड़े मन ने उन्हें लेखन जगत में ला खड़ा किया, जहाँ उन्होंने बतौर सम्पादक एवं प्रकाशक “रूबरू दुनिया” मासिक पत्रिका का तीन साल प्रकाशन किया। लेखन जगत में अंकिता को उनका पहला ब्रेक फ़्लैश मोब गीत “मुंबई143” से मिला जिसके बोल अंकिता ने लिखे थे। जो सबसे बड़ा फ़्लैश मोब होने की वजह से लिम्का बुक ऑफ़ नेशनल रिकॉर्ड में अपनी जगह बना चुका है। उसके बाद अंकिता की लिखी कहानी को अंतर्राष्ट्रीय कहानी लेखन प्रतियोगिता में टॉप टेन में जगह मिली तो उन्हें लगा कि वो थोड़ा-बहुत कहानी लिख सकती हैं। जिस ख़याल ने उन्हें बिग ऍफ़एम् के फेमस रेडियो शो यादों का इडियट बॉक्स तक पहुँचाया। जहाँ उनकी लिखी 10 कहानियाँ ओन एयर हुईं। रेडियो के एक अन्य शो यूपी की कहानियों में भी उनकी लिखीं 14 कहानियाँ ऑन एयर हो चुकी हैं। मार्च 2017 में अंकिता की पहली हिंदी किताब “ऐसी-वैसी औरत” प्रकाशित हुई, जो कम समय में ही जागरण-नील्सन बेस्ट सेलर बन गई। नवंबर 2018 में अंकिता की दूसरी किताब “मैं से माँ तक” प्रकाशित हुई जो पाठकों के बीच खासी पसंद की जा रही है। अंकिता प्रभातख़बर अखबार की साप्ताहिक मैगज़ीन सुरभी, एवं लल्लन टॉप न्यूज़ पोर्टल पर अपने “माँ-इन-मेकिंग” कॉलम के लिए भी पाठकों के बीच काफी पसंद की जा चुकी हैं। वेबसाइट : https://ankitajain.in/
ऐसी वैसी औरत
संग्रह की प्रत्येक कहानी एक स्त्री के जीवन के प्रत्येक पड़ाव की वेदना और उसकी मजबूरी को दर्शाती है। स्त्री के रूप में एक छोटी बच्ची से लेकर एक युवती और यहां तक के एक वृद्ध महिला का जीवन भी आसान नहीं होता। कहीं ना कहीं उसके साथ अन्याय होता ही है। इन स
ऐसी वैसी औरत
संग्रह की प्रत्येक कहानी एक स्त्री के जीवन के प्रत्येक पड़ाव की वेदना और उसकी मजबूरी को दर्शाती है। स्त्री के रूप में एक छोटी बच्ची से लेकर एक युवती और यहां तक के एक वृद्ध महिला का जीवन भी आसान नहीं होता। कहीं ना कहीं उसके साथ अन्याय होता ही है। इन स
मैं से माँ तक
माँ बनने के साथ शारीरिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर जो परिवर्तन होते हैं और अनुभूतियों में जो उतार-चढ़ाव आते हैं उनके बारे में बहुत अंतरंगता से मैं से माँ तक में बात की गयी है। साथ ही कुटुम्ब को आगे बढ़ाने के लिए जो परिवार और समाज का दबाव और अपेक
मैं से माँ तक
माँ बनने के साथ शारीरिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर जो परिवर्तन होते हैं और अनुभूतियों में जो उतार-चढ़ाव आते हैं उनके बारे में बहुत अंतरंगता से मैं से माँ तक में बात की गयी है। साथ ही कुटुम्ब को आगे बढ़ाने के लिए जो परिवार और समाज का दबाव और अपेक
बहेलिए
स्त्रियाँ जो मिटाना चाहती हैं अपने माथे पर लिखी मूर्खता किताबों में उनके नाम दर्ज चुटकुलों, और इस चलन को भी जो कहता है, ‘‘यह तुम्हारे मतलब की बात नहीं’’ मगर सिमट जाती हैं मिटाने में कपड़ों पर लगे दाग, चेहरों पर लगे दाग, और चुनरी में लगे दागों को, स्त
बहेलिए
स्त्रियाँ जो मिटाना चाहती हैं अपने माथे पर लिखी मूर्खता किताबों में उनके नाम दर्ज चुटकुलों, और इस चलन को भी जो कहता है, ‘‘यह तुम्हारे मतलब की बात नहीं’’ मगर सिमट जाती हैं मिटाने में कपड़ों पर लगे दाग, चेहरों पर लगे दाग, और चुनरी में लगे दागों को, स्त
ओह रे! किसान
"सृष्टि के सारे ग्रह पुल्लिंग हैं किन्तु एकमात्र पृथ्वी ही है जिसे स्त्रीलिंग कहा गया है क्योंकि पृथ्वी पर जीवन है, अर्थात् वह स्त्री ही होती है जो हमारे जन्म-जीवन का कारण होती है। सुश्री अंकिता जैन के द्वारा कृषि और कृषक पर लिखना मुझे आनन्द और आशा स
ओह रे! किसान
"सृष्टि के सारे ग्रह पुल्लिंग हैं किन्तु एकमात्र पृथ्वी ही है जिसे स्त्रीलिंग कहा गया है क्योंकि पृथ्वी पर जीवन है, अर्थात् वह स्त्री ही होती है जो हमारे जन्म-जीवन का कारण होती है। सुश्री अंकिता जैन के द्वारा कृषि और कृषक पर लिखना मुझे आनन्द और आशा स