कहां हो पाता है जाते वक्त अंतिम कॉल,
बस बिन बताये, बिन सोचे पड़ता जाना,
ये जिंदगी का दस्तुर मेरी मोहब्बत जाना,
जहां वक्त वक्त पर पड़ता इम्तहान देना।
रब की मर्जी हो तो होता हमारा यहां आना,
उसीके मर्जी के मुताबिक ही पडता जाना,
पर आते जाते इस जिंदगी के रास्तों में तुम,
कुछ फुरसत के पल अपने लिए चुरा लेना।
कहां तक चलना साथ इसीके नहीं खोज़खबर,
पर वक्त की तो रहती ना हम सबपर कडी़ नजर,
तो चलो चले दे साथ जितना भी हो सके हमसे,
फिर चाहे बिछड़ना ही पडे़ बिना बताये कल से।
जो दिल में होते है वो बिदा ही कब जाना होते है,
दिल में धड़कन बनकर हमेशा ही धड़कते रहते है,
हर सांस में महसूस कर पाते हम उनकी गरमाहट,
तकलीफ में मन का यकिन वो ही आकर बनते है।
अंतिम कॉल हो ना हो हर पल ये सोचकर ही जीना,
जाने कब पड़ जाये इस रंगमंच को अलविदा कहना,
हो सके तो दर्द सारे कहीं टोकली में भरके छोड़ आना,
कुछ ओरों के जिंदगी से खुशियां बटोरकर चले आना।