नींद आते आते मुझे
रात अधूरी गुजर गई,
दिल में अरमान लिए,
बात अधूरी ही रह गई।
किस्से कहानी के मशहूर,
बनके रह गए हम किरदार,
जब कोई हमसफर बनकर,
करने आया दिल का व्यापार।
किस तराजू में हम उसे तोलते,
नायाब था वो मिट्टी का इंसान,
जो आया मेरी जिंदगी में आज,
करने मेरी खुद से ही पहचान।
कितने कटे अरमानो के दिन,
प्यासी कटी तरसती हुई राते,
जब आज भी मुझे याद आती,
मिठास में घुलती उसकी बातें।
ना कहती उसे मैं बेवफा कभी,
वफा की वो खुद ही परिभाषा,
जहा गया है हमेशा के लिए,
पुकारो तो आना है नामुमकिन।
अधूरा मुझे बनकर वो फरिश्ता,
रब के दरबार का मेहमान हुआ,
पूरा का पूरा मुझमें समाकर वो,
बात आधी अधूरी वो छोड़ गया।