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अखबानी ताकत का इस्तमाल ( अरख को अख़गर की जरुरत है )

29 मार्च 2019

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अरख की अख़लाक़ी पर सवाल जरूर होना चाहिए,

मादरे वतन के लिये भी अख़लाक़ जिन्दा रहना चाहिए \

अखबान पर फ़िदा होने वालो अपना भी अख्तर चमकेगा

हम अखयार है वा लाख अजकिया है हममे ---

पुरखो की अखनी का समावेश है हममे

अज़ली अपनी पहचान ............

इरादे एकदम अजीम - अस्साम

तवारीख गवाह होगी (जिंदाबाद )

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शिक्षा व्यवस्था पर आज़ाद हिन्द मोर्चा की राय

22 जून 2016
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,जैसा की आप सभी जानते है ! शिक्षा एक बुनियादी हक है। शिक्षा जीवन की तैयारी ही नहीं करवाती बल्कि पढ़ाई जीवन है. भारत में एक समान शिक्षा व्यवस्था की बात तो खूब की जाती है लेकिन जब बात लागू करने की होती है तो देखा गया है कि काफी अंतर है.शहरी लोगों को बेहतरीन शिक्षा मिलती है जबकि ग्रामीण पृष्ठभूमि के लो

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सर्वहारा युवा बनाम उघोगपति

22 जून 2016
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जय हिन्द ,सभी आदरणीय और मेरा युवा साथियो " मेरी नज़र मेरी पहचान है, आज का नेता बेमान है" ऐ देश के उघोगपतियो के अधीन काले नेताओ तुम हम युवाओ को क्या सच्ची रह दिखाओगे पहले स्वम के लोगो पर निरंत्रण करो जो हर क्षेत्र में आपकी धमक लगाकर तमाम छोटे -मोटे गरीब मज़दूरों वह युवा

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युवाओ पर पुंजिपतियो के संसाधन का दबाओ

11 अक्टूबर 2016
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सुनो साथियो सुनो साथियो ऐसा युग आया है, कि मोबाइल इंटरनेट पर अपने विकास का एजेंडा दिखाया है----क्या खूब कहे अम्बानी को जो फ्री का इंटरनेट देकर सबको नेट की दुनिया का पंजीकरण कराया है------आज दोस्ती का इस युग में फिर परपंच लहराया है #पार्टी.फ्री का इन्टरनेट देकर तुमने तमामो को रोजगार दिलाया है....उनसे

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भास्कर मलीहाबादी

7 नवम्बर 2018
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पंख लगा देता अगर,छेरी के करतार ।तो हरियाली से रहित, होता यह संसार ।। -भास्कर मलीहाबादी

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कोई ऐसा भी है

12 नवम्बर 2018
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वो #मुस्लिम होकर भी #हिन्दू प्रेम का #कर्तव्य समझा गये---वो #हिन्दू होकर #मुस्लिम की #अहमियत को दर्शा गये ---#संवेदना यह है फिर भी दोनों के #बंदे#समाज को #चूर्णित कर गये--- - अरुण मलिहाबादी

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मुर्ख जनता महामूर्ख प्रतिनिधि

12 नवम्बर 2018
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कंटक लगती है #राजनीति अब हमें एहसास में,कत्थक करती है जनता यहाँ प्रतिनिधि के साथ में।भक्षक लगती है राजनीति अब हमें एहसास में,जनता की सारी नब्ज़ है सियासियो के हाथ में।काली लगती है राजनीति हमे दिन और रातो में,फ़बती दिखती है नेताओ की #इंकलाबी बातो में।वार लगती है राजनीति अब हमें एहसास में,मजबूरी लगती है

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अखबानी ताकत का इस्तमाल ( अरख को अख़गर की जरुरत है )

29 मार्च 2019
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अरख की अख़लाक़ी पर सवाल जरूर होना चाहिए, मादरे वतन के लिये भी अख़लाक़ जिन्दा रहना चाहिए \ अखबान पर फ़िदा होने वालो अपना भी अख्तर चमकेगा हम अखयार है वा लाख अजकिया है हममे --- पुरखो की अखनी का समावेश है हममे अज़ली अपनी पहचान .

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दोहा

8 जनवरी 2020
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जो बबूल के फलों में, होती तनिक मिठास।शूल नही तब तो सदा , यह बम रखता पास । - भास्कर मलिहाबादी

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भास्कर मलिहाबादी

13 जनवरी 2020
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पत्नी की पूजा करो जो चाहो कल्यान जन्म सफल हो जायेगा बात लीजिये मान। बात लीजिये मान आरती रोज उतारो पत्नी सेवक बनो हुक़्म मत उसका टारो। देख उसे नाराज लोट चरणों पर जाओ तो सुख मि

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वैश्विक पटल पर कोरोना द्वारा उत्पन्न जनवादी संघर्ष

28 मई 2020
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कोरोना कोविड 19 वैश्विक महामारी जिसने आज भागती दुनिया के चक्र की गति को धीमा कर दिया है। इस गति के अनुपात को लिखना ठीक वैसे ही होगा जैसे किसी जटिल इतिहास को 'किताब में लिखना' अगर हम वर्तमान परिस्थितियों की तुलना पूर्व परिस्थितियों से करें तो आज हमें बदलावो के अनुपात में बढ़ोतरी दिखती है। निश्चित है ब

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रानी दुर्गावती का परिचय वा खंड काव्य

11 जून 2020
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महारानी दुर्गावती का जन्म सन 1527 ई. के आस-पास महोबे में हुआ था। लेकिन वे बाल काल से लेकर विवाह के समय तक अपने पिता कीर्तिसिंह(चंदेल) के साथ कालिंजर दुर्ग में रहते थे। दुर्गावती का विवाह कीर्तिसिंह की गुप्त सहमति से 'गढ़ा-मंडला' के गोंड राजा संग्राम शाह के पुत्र दलपति शाह के साथ के साथ सन 1543 ई. में

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