कंटक लगती है #राजनीति अब हमें एहसास में,
कत्थक करती है जनता यहाँ प्रतिनिधि के साथ में।
भक्षक लगती है राजनीति अब हमें एहसास में,
जनता की सारी नब्ज़ है सियासियो के हाथ में।
काली लगती है राजनीति हमे दिन और रातो में,
फ़बती दिखती है नेताओ की #इंकलाबी बातो में।
वार लगती है राजनीति अब हमें एहसास में,
मजबूरी लगती है उस कन्या की,
जो आज है #विलासनी बाजार में।
-अरुण मलिहाबादी