अर्नेस्ट हेमिंग्वे
अर्नेस्ट हेमिंग्वे अमेरिकन उपन्यासकार तथा कहानीकार थे। 1954 ई० में साहित्य में नोबेल पुरस्कार विजेता। अपने संघर्षपूर्ण जीवन के बहुविध अनुभवों का इन्होंने सफलतम सर्जनात्मक उपयोग किया तथा अनेक ऐसी रचनाएँ दीं जो आत्म-अनुभवजन्य होने का संकेत देती हुई भी कलात्मकता के शिखर को छूती है। अर्नेस्ट हेमिंग्वे का जन्म अमेरिका के इलिनॉय प्रदेश के ओक पार्क में 21 जुलाई 1899 ई० को हुआ था। उनका पूरा नाम अर्नेस्ट मिलर हेमिंग्वे (Ernest Miller Hemingway) था। उनके पिता एक देहाती डॉक्टर थे। बचपन में हेमिंग्वे का मन पढ़ने-लिखने में अधिक नहीं लगता था। वे हाई स्कूल से कई बार भागे थे और उच्च शिक्षा बिल्कुल प्राप्त नहीं की। जब वह 18 वर्ष के थे तो उस समय प्रथम विश्व युद्ध चल रहा था और उनकी इच्छा थी कि वे सेना में भर्ती हो जाएँ। परंतु डॉक्टर ने उन्हें अक्षम करार दिया। इसके बाद वे कैन्सास सिटी में पत्र-संवाददाता का काम करने लगे। 1918 ई० में रेडक्रॉस में एंबुलेंस ड्राइवर के काम में लगे और इटली के मोर्चों पर भेजे गये। 1920 ई० में वे फिर पत्रकारिता के क्षेत्र में आये और लगातार 1926 ई० तक काम करते रहे। बाद में भी पत्रकारिता से उनका लगाव बना रहा। हेमिंग्वे का जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा है। उन्होंने काफी गरीबी भी देखी और सफल होने पर काफी अमीरी भी। परंतु यह सफलता उन्हें काफी संघर्ष और अपने ढंग की मौलिक साधना के बाद ही प्राप्त हुई थी। आरंभ में हेमिंग्वे ने पेरिस में कई वर्ष गरीबी के साथ काटे थे। वे जहाँ भी रहे, उन परिस्थितियों से प्रेरित होकर लेखन कार्य करते रहे। अपने टोरंटो निवास के समय हेमिंग्वे का परिचय कुमारी गरटूड स्टीन से हुआ, जिससे वे काफी प्रभावित हुए। एज़रा पाउंड से भी उन्हें साहित्यिक सहायता मिली और उपन्यासकार सिक मैडौक्स फोर्ड से भी। जेम्स ज्वॉयस से भी उनका परिचय हो गया था। कुमारी स्टीन ने
बूढ़ा आदमी और समुद्र
बूढ़ा आदमी और समुद्र' उपन्यास एक बूढ़े गरीब मछुआरे के जीवन-संघर्ष की कहानी है। मछली पकडऩे जाना, मछली पकडऩे की कोशिश करना, उस कोशिश में कामयाब होना, फिर इस सफलता को अंजाम तक लाने की जद्दोजहद का नाम है 'बूढ़ा आदमी और समुद्र'। एक मछुआरे के जीवन-संघर्ष क
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