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जीवन धारा

जीवन धारा

एक प्राण नदी के चारो ओर झरने, और वायु का शोर, शांत, गति में पुलकित मोर जीवन धारा करती हिलोर! शिथिल हृदय, आहत मन विस्मित चित्र, और सूनापन लगता है कि कायनात मे, लहू-लुहान हैं सबके स्वपन, हे मानव, क्या हस्ती है तेरी, डूबती, उतराती कश्ती है तेरी, पा

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एक प्राण नदी के चारो ओर झरने, और वायु का शोर, शांत, गति में पुलकित मोर जीवन धारा करती हिलोर! शिथिल हृदय, आहत मन विस्मित चित्र, और सूनापन लगता है कि कायनात मे, लहू-लुहान हैं सबके स्वपन, हे मानव, क्या हस्ती है तेरी, डूबती, उतराती कश्ती है तेरी, पा

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