*कश्मीरी पंडितो का नरसंहार*
लहूलुहान वह मंजर था कश्मीर की घाटी में,
दूजा पाकिस्तान बना था हिंदुस्तानी माटी में ।
दानव दुष्ट दरिंदों ने हाहाकार मचाया था,
जुल्म किया बेहिसाब पंडितों को भगाया था।
हमने केवल महसूस किया, उससे ही दिल दहल गया ,
उन लोगों पर क्या गुजरी, जिन्होंने यह गरल पिया।
जब पिता के सम्मुख जवान बेटे को मार दिया,
नग्न किया बहन बेटी को, इज्जत को तार-तार किया।
एक पतिव्रता स्त्री को उसके पति का रक्त पान कराया,
जनेऊ धारियों के रक्त से घाटी को बहुत स्नान कराया।
खूनी दरिंदे बन घर में घुस गए, सब को बहुत सताया था,
बंदूकों संगीनों के दम पर ही खूनी खेल मचाया था ।
दया रहम सब भूल गए, रूप बनाया हैवानों का,
क्या हाल रहा होगा जब सामना किया शैतानों का।
यदि अब भी एकजुट नहीं हुए, इतिहास पुनः दोहराएगा,
खंड - खंड बिखरे अब भी तो पुनः वही दौर आ जायेगा।
सनातन ही सिखाता है शास्त्र और शस्त्र भी ।
सनातन ही सिखाता है बुद्ध और युद्ध भी।
एक हाथ में माला है तो, दूजे में भाला ले लो,
शांति वार्ता छोड़ो कुछ दिन, फरसा परशुराम वाला ले लो।।
हिंदुत्व विरोधी बात करें, दानव को ऐसा झटका दो,
जीर्ण - शीर्ण काया को कर दो, फिर चौराहों पर लटका दो।।।।।
जय हिन्द।।
लवेश गौड़ (धमाना)