अष्टम शक्ति महागौरी
नवरात्र के आठवें दिन आठवीं दुर्गा महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है। अपनी तपस्या द्वारा इन्होंने गौर वर्ण प्राप्त किया था ।
अतः इन्हें उज्ज्वल स्वरूप की शारीरिक, मानसिक और सांसारिक ताप हरण करने वाली माता महागौरी का नाम दिया गया है।
उत्पत्ति के समय आठ वर्ष आयु को इसलिए नवरात्र के आठवें दिन इन्हें पूजने से ये सदा सुख और शांति देती अपने भक्तों लिए अन्नपूर्णा स्वरूप है ।
इसीलिए इनके भक्त अष्टमी के दिन कन्याओं का पूजन और सम्मान करते हुए महागौरी की कृपा प्राप्त करते हैं।
ये धन, वैभव और सुख-शांति की देवी है।
आरती देवी महागौरी जी की...
जय महागौरी जगत की माया ।
जयउमा भवानी जय महामाया।
हरिद्वार कनखल के पासा ।
महागौरी तेरा वहां निवासा ।
चंद्रकली और ममता आवे ।
जय शक्ति जय-जय मां जगदंम्बे ।
भीमा देवी विमला माता ।
कौशिकी देवी जग विख्याता ।
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा ।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा ।
सती 'सत्' हवन कुंड में था जलाया ।
उसी धुएं ने रुप काली बनाया ।
बना धर्म सिंह जो संवारी में आया ।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया ।
तभी मां ने महागौरी नाम पाया ।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया ।
शनिवार को तेरी पूजा जो करता ।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।
भक्त बोलो तो तुम सोच क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम जय हो।