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प्रथम शक्ति मां शैलपुत्री

5 अप्रैल 2022

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प्रथम शक्ति मां शैलपुत्रीarticle-image

पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती के स्वरूप में साक्षात शैलपुत्री की पूजा नवरात्र के प्रथम दिन होती है। इनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का पुष्प है। ये नंदी नामक वृषभ पर सवार संपूर्ण हिमालय पर विराजमान है। शैलराज हिमालय की कन्या होने के कारण नवदुर्गा का सर्वप्रथम स्वरूप शैलपुत्री, कहलाता है। घोर तपस्या करने वाली शैलपुत्री समस्त वन्य जीव-जंतुओं की रक्षक भी हैं। ये सब लोग देवी शैलपुत्री की आराधना करते हैं, जो योग, साधना, तप और अनुष्ठान के लिए पर्वतराज हिमालय की शरण लेते हैं।

आरती देवी शैलपुत्री जी की...

शैलपुत्री मां बैल असवार । 
करें देवता जयजयकार ।
शिव शंकर की प्रिय भवानी |
 तेरी महिमा किसी ने ना जानी ।
 'पार्वती तू उमा कहलावे । 
जो तुझे सिमरे सो सुख पावे ।
 ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू ।

दया करे धनवान करे तू । 
सोमवार को शिव संग प्यारी ।
 आरती तेरी जिसने उतारी। 
उसकी सगरी आस पुजा दो। 
सगरे दुख तकलीफ मिला दो।
घी का सुंदर दीप जला के । 
गोला गरी का भोग लगा के ।

श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। 
प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं। 
जय गिरिराज किशोरी अंबे ।
 शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे । 
मनोकामना पूर्ण कर दो। 
भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।

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रचनाएँ
जय मां दुर्गा
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जय मां दुर्गा नवरात्र यानी मां अंबे के नौ रूपों की आराधना में डूब जाने के खास नौ दिन। खुद को पूरी तरह से उन्हें समर्पित कर देने का समय। आपके नवरात्र को खास बनाने के लिए हम लेकर आए हैं, मां की आराधना, आरती और आहार से जुड़ी जानकारियों का यह पिटारा....
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जय मां दुर्गा

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द्वितीय शक्ति ब्रह्मचारिणीनवदुर्गाओं में दूसरी दुर्गा का नाम ब्रह्मचारिणी है। इनकी पूजा-अर्चना नवरात्र की द्वितीया तिथि के दौरान की जाती है। ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय और भव्य है। मा

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तृतीय शक्ति चंद्रघंटाशक्ति के रूप में विराजमान चंद्रघंटा मस्तक पर चंद्रमा को धारण किए हुए है। नवरात्र के तीसरे दिन इनकी पूजा-अर्चना भक्तों को जन्म-जन्मांतर के कष्टों से मुक्त कर इहलोक और परलोक में कल्

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चतुर्थ शक्ति कूष्मांडा

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षष्ठम शक्ति कात्यायनीयह दुर्गा, देवताओं के और ऋषियों के कार्यों को सिद्ध करने लिए महर्षि कात्यायन के आश्रम में प्रकट हुई ।और महर्षि ने उन्हें अपनी कन्या के रूप में पाला साक्षात दुर्गा स्वरूप इस छठी दे

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