सप्तम शक्ति कालरात्रि
अपने महा विनाशक गुणों से शत्रु एवं दुष्ट लोगों का संहार करने वाली सातवीं दुर्गा का नाम कालरात्रि है।
सांसारिक स्वरूप में यह काले रंग-रूप की अपनी विशाल केश राशि को फैलाकर चार भुजाओं वाली दुर्गा है।
इनकी आंखों से अग्नि की वर्षा होती है। एक हाथ से शत्रुओं की गर्दन पकड़कर, दूसरे हाथ में तलवार से युद्ध स्थल में उनका नाश करने वाली यह मां कालरात्रि है।
इनकी सवारी गधर्व यानि गधा है जो समस्त जीव-जंतुओं में सबसे अधिक परिश्रमी और निर्भय होकर अपनी अधिष्ठात्री को लेकर इस संसार में विचरण कर रहा है।
कालरात्रि की पूजा नवरात्र के सातवें दिन की जाती है। मां का स्वरूप देखने में बहुत भयानक है,
लेकिन ये सदा शुभ फल देनेवाली है, इसलिए इनका नाम शुभंकरी भी है।
आरती देवी कालरात्रि जी की...
कालरात्रि जय-जय महाकाली।
काल के मुंह से बचानेवाली।
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।
महाचंडी तेरा अवतारा।
पृथ्वी और आकाश पे सारा।
महाकाली है तेरा पसारा।
खड्ग खप्पर रखनेवाली ।
दुष्टों का लहू चखनेवाली।
कलकत्ता स्थान तुम्हारा।
सम जगह देखूं तेरा नजारा।
सभी देवता सब नर-नारी।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी।
रक्तदंता और अन्नपूर्णा ।
कृपा करे तो कोई भी दुख ना ।
ना कोई चिंता न रहे बीमारी।
ना कोई गम न संकट भारी।
उस पर कभी कष्ट न आवे।
महाकाली मां जिसे बचावे।
तू भी भक्त प्रेम से कह
कालरात्रि मां तेरी जय।