बिन माता पिता के हमारा कोई अस्तित्व नहीं।
गुरु साधना के बिना ज्ञान नहीं।।
भाई बहन सखी सहेली संग हर पल बीता।
गलियों गलियों अस्तित्व घूमा।।
पीपल की शीतल छाया में
दिन का दो प्रहर जिया।।
बाग बगीचे दुनिया मेरी।
खेतों में अस्तित्व जिया।।
पटरी पटरी जीवन सरका।
तन मन का विकास हुआ।।
बिन मानुष के गांव शहर देश जहां।
अस्तित्व नहीं है यहां।।
अस्तित्व नहीं है यहां।।