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शिव शम्भू

28 फरवरी 2022

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रचनाएँ
धरोहर
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मनुष्य सृजन शील प्राणी है और हमेशा कुछ नया आयाम बनाने में लगा रहता है। सभ्यता, संस्कृति, परंपरा, रीति रिवाज,रहन सहन, धर्म कर्म पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित करता है उसे हम उस परिवार, समाज की धरोहर कहते हैं उसी प्रकार मेरे मन में शब्द उमड़ घुमड़ कर कविता और कहानी रचते हैं। उन्हें लयबद्ध कर अपने पाठकों हेतु धरोहर स्वरूप में प्रस्तुत कर रही हूं और अपने परिवार, समाज को धरोहर के रूप में अपनी भावनाएं दे रहीं हूं इसे आप संभाल कर रखें तथा मुझे याद करें।।
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माटी

3 दिसम्बर 2021
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<div>जिस मिट्टी में हमने जन्म लिया।</div><div>बरगद की छांव में पले बढ़े जहां।।</div><div>दादी दादा औ

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अस्तित्व

3 दिसम्बर 2021
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<div>बिन माता पिता के हमारा कोई अस्तित्व नहीं।</div><div>गुरु साधना के बिना ज्ञान नहीं।।</div><div>भ

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मेरी सांसें

4 दिसम्बर 2021
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<div>सुनो जी, मेरी सांसें चल रही है</div><div>सिर्फ सिर्फ तुम्हारे सहारे।।</div><div>जहां में कोई नह

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आप

4 दिसम्बर 2021
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<div>मेरा सृजन हो आप, सृष्टि भी आप हो।</div><div>मेरा जीवन भी आप हो, मौत भी आप हो।।</div><div>तन मेर

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नासमझ

4 दिसम्बर 2021
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<div>मुझे कुछ भी समझ नहीं आता कि मैं क्या करूं।</div><div>यह जहां बहुत ही संगदिल है, कैसे खुद को संभ

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आने वाला कल

4 दिसम्बर 2021
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<div>आने वाला कल किसने देखा है।</div><div>बीता हुआ कल हम सबने जिया है।।</div><div>वक्त कभी बता कर नह

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अविश्वसनीय

4 दिसम्बर 2021
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<div>यह जीवन अविश्वसनीय लगता है।</div><div>प्रेम मुहब्बत एक ढकोसला लगता है।।</div><div>इंसान इंसान क

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तितली

5 दिसम्बर 2021
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<div>रंग बिरंगी पंख पसारे।</div><div>आसमां को छूने जाती।।</div><div>फूलों से मकरंद चुराने।</div><div

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सोन चिड़िया

6 दिसम्बर 2021
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<div>मेरे जीवन में आई मेरी छवि सोन चिड़िया।</div><div>फूलों की खुशबू छाईं मेरे घर अंगना।।</div><div>

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परी

28 फरवरी 2022
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मन्नतों से मैं दुनिया में आईं। पापा की आंखों की रोशनी घर में आईं।। मां की पहली संतान माहौल बना सुखदाई। पापा को बेटी खुबसूरत चाहिए थी। गोरी रंगत, बड़ी बड़ी आंखों वाली परी चाहिए थी।। सच पूछो तो मैं

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मेरी बेटी

28 फरवरी 2022
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मेरी बेटी मेरा सपना। हृदय में बसता है उसका मुखड़ा।। मैं मां की हूं परछाई। मेरी बेटी सुखद पुरवाई।। वसुंधरा जैसा हृदय है उसका। क्षितिज की तरह ख्वाब है दिल का।। मेरे ख्वाहिशों की चादरें। मेरी बेटी

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मां बाप के सपने

28 फरवरी 2022
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मैंने अपने मां बाप के सपने अपनी आंखों से देखे हैं। उनकी छांव में बैठकर ख्वाबों के महल बनाये है।। मां बाप के आशीर्वचनों से समाज में रसूख बनाया है। दीन दुखियों की सेवा में मां बाप के सपने को साक

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रेत का टीला

28 फरवरी 2022
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मेरी जिंदगी इक रेत का टीला। सुख दुख दोनों का एक ही सिलसिला।। कामयाबी मिल हाथों से फिसल जाती है। रेत की तरह फिसलती चली जाती है।। रिश्तों को बहुत संजोया मैंने। प्यार मुहब्बत की मिठास भरा उसमें।

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खुली किताब

28 फरवरी 2022
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मेरी जिंदगी खुली किताब है। हृदय आईना की तरह साफ है।। जनमानस के मन में कदम कदम पर हौसलों से उम्मीद जगाई है।। सबकी खुशियों की खातिर मैंने अपनी खुशियां खेत कर दिया है।। हृदय के सौ सौ टुकड़े किए लोग

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सुमन सुधा

28 फरवरी 2022
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सुमन सुधा बन कर। कली से पुष्प तक अंश।। पल्लवित पुष्पित हो। सुमन सुखद अहसास बन सबके सपनों को महकाओं। उन्मुक्त खुशबू बन छा जाओ।। सुमन आच्छादित फुलवारी सबके हृदय को है भाती। रंग बिरंगे फूलों से ज

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ठंडी हवा 01

28 फरवरी 2022
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ठंडी हवा जब आती है। तन मन हर्षाती है।। ठंडी हवा के झोंके से। गोरी की जुल्फें उड़ती है। कितने उड़ते भौरों को घायल करके जाती है।। गम तनाव से दग्ध हृदय को जब ठंडी हवा का झोंका छूता है। प्यार का अ

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ठंडी हवा 02

28 फरवरी 2022
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ठंडी हवा के झोंके। तपती धूप में स्नेहिल अहसास बन तन मन को करार देता है।। ठंडी हवा के झोंके गोरी के बालों को छूकर जब बिखराता है। तमाम मनचलों का दिल मचल जाता है।। ठंडी हवा के झोंके बर्फीली हवा

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चुनाव

28 फरवरी 2022
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पांच राज्यों में चुनाव होता। जनता के लुभावे के प्रयास होता।। सड़क, पानी बिजली केहु ना पूछत। मोबाइल, लेपटॉप व स्कूटी वादा में बटात बा।। एक दूसरे पर छींटाकशी क दौर बा। जनता के मूर्ख बनावे क समय बा।

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जादूगर

28 फरवरी 2022
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आंखों की जादूगरी। सपनों से है भरी।। नशीली आंखें हृदय को स्पर्श करतीं हैं। कमलवत आंखें हृदय पट खोल देती है।। हिरनी सी चंचल आंखें हृदय को घायल कर जाती है।। बड़ी-बड़ी पलकें जब खुलती गिरती है। कि

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लुका छुपी

28 फरवरी 2022
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लुका छुपी आंखों की कब दिल में उतर गई। आंखों की गुस्ताखियां दिल को सजा दे गईं।। हम तो बसंत बहार जैसे थे कब तुम सावन बन बरस गए।। लुका छुपी के खेल में अंश जीवन के बारहों मास प्यार और विरह में चा

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सच्चा प्यार

28 फरवरी 2022
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इंसानों की बस्ती में भावनाओं की अभिव्यक्ति में सच्चा प्यार कहां हैं।। भौतिकता की भाषा में इच्छाओं की अभिलाषा में सच्चा प्यार कहां हैं।। हाथों से लिखें ख़त की सुगंध में मां के हाथों के पकवानों म

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तितली

28 फरवरी 2022
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मेरा मन तितलियों संग उड़ने को मचलता है। फूलों से मकरंद रस पीना चाहता है।। बिन पंखों के हौसलों से क्षितिज को छूना चाहता है। रंग-बिरंगी तितलियां अंश हरितमा को खुबसूरत बनातीं है।। नाजुक छुई-मुई क

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बेटियां

28 फरवरी 2022
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तितली जैसी खूबसूरत होती है बेटियां। छुई-मुई गुड़िया सी होती है बेटियां।। जन्म कहीं लेती है और घर कहीं और बसाती है बेटियां। गमों की धूप में झुलस कर सबको ख़ुशी से हर्षाती है बेटियां।। बिन पंखों

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बचपन का घर

28 फरवरी 2022
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किसे नहीं भाता अपना बचपन। छोटी छोटी बातों का प्यार भरा नचपन।। मां का प्यार से माथे को चूमना। दादी नानी का रोज रात में  कहानी व लोरी सुनाना।। पिता का कंधे पर चढ़ा कर घूमाना। दादाजी की अंगुली पकड़

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अंधेरा और साया

28 फरवरी 2022
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अंधेरा ही लाता है उजाला। दिन की रंगीनियों के बाद जीवन में आता है दिन काला।। अंधेरे में उजाले के लिए एक छोटा सा जूगनू ही काफी है। जहां ना हो उजाला वहां हल्के से उजाले के लिए एक दीपक ही काफी है।।

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पड़ोस का घर

28 फरवरी 2022
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मेरे पड़ोस का घर मुझे बहुत याद आता है। झिलमिल झिलमिल यादों का कारवां चलता है।। मां के साथ साथ मुहल्ले की सहेलियां ख्वाबों की तामील होती थी। पड़ोस के घरों की चाचियां हमें हुनर सिखाती थी।। अपने

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मां

28 फरवरी 2022
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मां रुप में सृष्टि ने ईश्वर को धरा पर लाया। आदिशक्ति स्वरुपा मां का महत्व हमें बतलाया।। मां जगदम्बा शक्ति रूप में भक्तों को है प्यारी। नौ नौ रुप है मां दुर्गा के,हर रुप है अति न्यारी।। शैल पुत्री,

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नौ दुर्गा

28 फरवरी 2022
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नौ दिन मां जगदम्बा के होता ‌‌। साल में चार चार बार होता।। दो गुप्त तंत्र मंत्र का होता। दो गृहस्थ जीवन का होता।। नौ दुर्गा में नौ सिद्ध देवियां। राक्षस,मानव, मुनि, ज्ञानी जग पूजया।। मां रुप है अ

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कान्हा जूं

28 फरवरी 2022
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सांवरे से मेरी प्रीत है प्यारी। राधे संग सोहे अति भारी।। पीताम्बर पहन के जब वो मुस्काये। सौ सौ बार जान ये जाएं।। महिमा अद्भुत कान्हा जूं की न्यारी। संग संग डोले किशोरी जूं सुकुमारी।। ग्वाल बाल स

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शिव शम्भू

28 फरवरी 2022
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देवों के देव महादेव  अजन्मा पार्वती पति महादेव  गणेश, कार्तिकेय और अशोका पिता शिवा ब्रह्मा विष्णु महेश के प्रतीक हैं त्रयम्बेकश्वर महादेव  बारह ज्योतिर्लिंगों में विराजते अढ़भंगी आशुतोष  नन्दी हर

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कान्हा छम छम नाचे

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कृष्ण गोकुल छोड़ कर मथुरा जा रहें हैं। जबसे राधे रानी को पता चला है वह मुंह फूलाएं बैठी है और कृष्ण को कैसे रोकें यह सोच रही है। आज किशोरी जूं ने अपनी खुबसूरती को श्रृंगार कर चार चांद लगाये है ताकि कृ

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दो दीप

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नैनों के दो दीप जिनमें बसते राम और श्याम। अद्भुत अलौकिक रूप है जिनका हर हृदय में छांव है इनका। दोनों मन पुष्प आच्छादित अभिराम।। विष्णु अवतारी प्रभुवर रख लो तुम मेरी भक्ति का मान। सदाचार संयम भा

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प्रीत

28 फरवरी 2022
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हे मेरी वृषभानु किशोरी। गोवर्धन प्राण प्रिय प्यारी। वृज की चंदा चकोरी कान्हा जूं की चित चोर।। तेरा मन नटवर में लागा। मुरलीधर भी तुमसे अनुरागी।। सुन लो अरज मेरी सुकुमारी। वासुदेव पर मैं दिल हारी

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हनुमान

28 फरवरी 2022
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वीरों के वीर हनुमान। मन में बसे जिनके सीता राम।। भक्तों के भक्त वजरंगी हनुमान। लाल लाल चोला ओढ़े अंजनी के लाल।। समुद्र लांघि सिया सुधि लाए। मित्रता का धर्म निभाएं।। बालरुप में रवि फल चाखा। शंकर

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लक्ष्य

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जब मैं घबड़ाती हूं। टूट कर बिखर जाती हूं।। चलते चलते ठिठक जाती हूं। चहुंओर अकेलापन पाती हूं।। रहबर ना कोई नजर आता है। हमसफ़र ना हाथ पकड़ता है।। तब मुझे लक्ष्य दिखाने। मुझको मंजिल तक पहुंचाने।।

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