जिस मिट्टी में हमने जन्म लिया।
बरगद की छांव में पले बढ़े जहां।।
दादी दादा और अपनों का साथ मिला।
माता पिता गुरु जिस माटी में मिलें हमें।।
जिस जगह पर जिन्दगी हर पल झूमी।
सखा सहेली संग जीवन हमने जिया।।
अक्षर ज्ञान की पहली सीढ़ी
मां ने चढ़ना सिखलाया।।
पिता भाई के कंधे पर चढ़ हमने
सारा जग एक पग में नाप लिया।।
जिस माटी में गिर गिर कर
पैरों पर खड़े हुए।।
धरा अम्बर तक की यात्रा
बड़े बुजुर्गो संग पूरा किया।।
उस जन्म भूमि उस आंगन की
पवित्र माटी को मेरा सलाम 🙏
जब जब जन्म लूं भारत भूमि पर।
उस गांव की माटी में ही मेरा अस्तित्व रहे।।
जुगों जुगों तक पताका फहरें।
मेरा गांव मेरा समाज अमर रहे।।