आसमान में काले घने बादल मँडरा रहे है, इतनी तपिश के बाद आख़िरकार बारिश ने दस्तक दी है। ऐसा लग रहा है आज मौसम की पहली बारिश होने वाली है, हाँ-हाँ ठीक सुना आपने मौसम की पहली बारिश। चारों तरफ़ आक्रोश भरी आँधीया चलने लगी है। मैं अपनीखिड़की पर स्तब्ध सी खड़ी हूँ। जब ये आँधी मुझे छूकर गुज़र गयी तो इन आँखो में दे गयी कुछ धुंधली सी यादें, और मैं स्तब्ध खड़ीअपनी यादों को उस अतीत की गहरी खाई में उतार देती हूँ।
मैं पूरी कोशिश करती हूँ उस खाई में समा जाऊँ, उस वक़्त अपनी खिड़की पर खड़ी हुई मैं, चुपचाप सी बादलों को घूरे जा रहीं हूँ। मैं मौनहूँ, शांत हूँ, निशब्द हूँ, फिर भी मेरे भीतर एक तूफ़ान है। जो सिर्फ़ मुझे महसूस होता है, जो मुझसे गुफ़्तगू कर रहा है, मुझसे लड़ रहा है।
वहाँ दूर आकाश में मँडराते वो आवारा बादल मुझ पर ठहाके लगाकर हँस रहे है। मानो मुझ पर कभी भी आक्रमण करने के लिए तैयारबैठे है। निरंतर खिड़की से आती हुई ठंडी हवाओ की छुअन मुझे भ्रमित कर रही है और मुझसे कह रहीं है कि वो जिसे मैं ढूँढ रही हूँ वोयहीं कहीं है। हाँ वो यहीं कहीं है, उसका स्पर्श मुझे महसूस होता है।
मैंने काँच वाली वो बड़ी सी खिड़की को पूरी तरह से खोल दिया है और ख़ुद को उस आँधी के हवाले कर दिया है। मैंने अपनी आँखो कोबँध कर लिया और मग्न हो गयीं उस अतीत की आँधी की शीतल लहरों में, अभी मन पूरी तरह से विचलित हो चुका है। निरंतर ये आभास हो रहा है की वो यहीं हैं।
और मैं अभी इस पल में चुप हूँ, उदास हूँ, शून्य हूँ, मुग्ध हूँ, अतीत की गहराइयों में पूरी तरह से डूब चूकी हूँ।
और ये आवारा बादल, और ये आवारा बादल मुझ पर बरस कर बहुत ख़ुश है मानो मुझसे कह रहे है की तुम जिसे अतीत की गहराइयों में तलाश रही हो उसका कोई अस्तित्व ही नहीं है। वो शून्य है, सब कुछ शून्य है। पहले भी शून्य था और आज भी शून्य है।
और मैं, और मैं बारिश के आलिंगन में खड़ी ये सोच रहीं हूँ की अगर सब कुछ शून्य है तो मैं क्यूँ उस अतीत की बेड़ियों में अब तक बंधीहुई हूँ। क्यूँ स्वतंत्र नहीं हो पा रहीं हूँ। क्यूँ क्यूँ आख़िर क्यूँ ...? मेरी आँखो से गर्म खारा पानी बह रहा हैं जिसमें अनगिनत सवाल हैं, जिसके जवाब सिर्फ़ समय दे सकता है।
मैं चुप हूँ, निशब्द हूँ और अतीत के साथ शून्य हूँ। ये समय आज इस वक़्त मुझसे चीख़ चीख़कर कह रहा है की हाँ मैं उसकी बंदिनी हूँ, हाँमैं अतीत की बंदिनी हूँ।आँखों से अभी भी अश्रुओ की धारा बह रही है जिसे कोई नहीं देख सकता क्यूँकि ये बारिश की बूँदो संग जामिली है। और अश्रुओ के साथ बह रहा है मन में छुपा हुआ दर्द।