ॐ से मिलता है आत्मबल ..................................
वैज्ञानिकों के शोधों द्वारा यह बात साबित हो चुकी है कि ॐ के जाप से न केवल इंसान तनावमुक्त हो जाता है बल्कि मन भी शांत हो जाता है। पुराणों और उपनिषदों में भी ॐ की महत्ता बताई गई है। कठोपनिषध में महर्षि यम नचिकेता को बताते हैं कि ईश्वर को कई नामों में से ॐ या ओंकार ही सर्वोच्च और प्रतिष्ठित नाम है।
ॐ क्लेशों की औषधि..................................
उपनिषदों में ब्रह्मा कहते हैं कि ॐ के तीन अक्षर अ, ऊ और म ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद की ओर इंगित करते हैं। अर्थात यह बीजाक्षर तीनों वेदों का सार है। प्रश्नोपनिषद में महर्षि पिप्लाद ने कहा था कि ॐ क्लेशों की औषधि है। ॐ का अर्थ अनंत और श्रेष्ठ भी होता है। ईसाइयों की पवित्र पुस्तक बाइबल में यह स्पष्ट कहा गया है कि शुरू में सिर्फ शब्द अस्तित्व में था, जो ईश्वर के पास था। कहीं यह शब्द ॐ ही तो नहीं..।
ॐ देता समृद्धि..................................
छांदोग्यउपनिषद के प्रथम खंड में बताया गया है कि ॐ का उच्चारण करने वाला समृद्धिशाली बनता है। जो ॐ का ध्यान या उच्चारण करते हैं, वे जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं। इसमें स्पष्ट किया गया है कि किस प्रकार ॐ का ध्यान करने से शक्ति का विस्तार होता है। महर्षि याज्ञवल्क्य ने भी कहा है कि ॐ के ध्यान से कुवृत्तियां समाप्त हो जाती हैं। स्वार्थ और घमंड इस प्रकार नष्ट हो जाते हैं, जैसे सूर्योदय होने पर अंधकार समाप्त हो जाता है। ॐ का जाप किसी भी शारीरिक पीड़ा या संताप की चिकित्सा नहीं है, बल्कि हमारी बुद्धि व मन को व्यवस्थित रखने में उपयोगी होता है। वेद और उपनिषदों की मानें, तो यह हमारे मन को शांत करता है और हमें सन्मार्ग की ओर ले जाता है।
ओम ओम ओम