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अब मैं कैसे जी पाऊंगा

9 अगस्त 2022

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दिल पर इतनी बोझ  लेकर ,
अब मैं कैसे जी पाऊंगा ?
मुंह से निकल गई अब बात,
धनुष से निकल गया जो बाण ।
कभी वापस नहीं आ सकता ,
अब तो हमें पश्चाताप की।
अग्नि में जलना ही पड़ेगा।

अब पछताए होत क्या,
जब चिड़िया चुग गई खेत।
पर यह तो बात ,बहुत छोटी है।
बीज दोबारा बो भी सकते हैं।
का वर्षा जब कृषि सुखाने,
यह भी बात, बड़ी छोटी है।
फिर से बोकर  पानी दें सकते हैं।

परंतु मुंह से निकल गई जो बात,
धनुष से निकल गया जो बाण ।
कभी वापस नहीं आ सकता,
अब तो पश्चाताप की अग्नि में,
जलना ही पड़ेगा।
बात और बाण से अब,
तो जानें ही जाएगी।
बाण का जख्म भर भी जाए,
पर बात की घाव कभी नहीं भरेगी।

फिर भी क्षमा-पश्चाताप का सहारा लेंगे।
कहेंगे अपनी सारी बातें,
अपनी मजबूरियां बताएंगे।
जलेंगे पश्चाताप की अग्नि में,
शायद वे और ईश्वर क्षमा कर दें।
जब आहें निकलती है तो,
दिल चकनाचूर हो जाता है।

पर अब मैं करूं, तो क्या करूं ?
दिल पर इतना बोझ सहा नहीं जाता।
मैं मछली- जल -बिन जैसा तड़पता हूं
ना जीता हूं ना मरता हूं।
अब जीवन मुश्किल सा हो गया।
हरदम उल्टे -सीधे विचार आते हैं।

अब कष्ट कभी ना जाते हैं,
कब तक ढ़ोंऊं इस बोझ को।
उन्होंने भी कहा कोई बात नहीं,
फिर भी मेरा मन लरजता है।
घायल पंछी सा हाल मेरा,
हाय ! यह मैंने क्या कर डाला।
अपने हीं पैरों में कुल्हाड़ी मार,
अब कैसे सुखी हो सकता हूं।

अब मां ही समझे, मेरे सच्चे मन को,
मैं सरल - भावुक कपट ना जानूं।
फिर भी दोषी खुद को ही मानता हूं,
मुंह से निकल गई जो बात,
धनुष से निकल गया जो बाण।
कभी वापस नहीं आ सकता,
अब तो हमें पश्चाताप की,
अग्नि में जलना ही पड़ेगा।

क्षमा- दंड जो मिले मांगता हूं,
बस यह बोझ दूर हो जाए।
इतनी बोझ -ग्लानि के  साथ,
मैं कैसे अब जी पाऊंगा ?
अगर अब आपका साथ न मिला ,
मैं नहीं अब जी पाऊंगा।
मैं नहीं अब जी पाऊंगा।।

बिना विचारे जो करै,
सो पाछे पछताए।
काम बिगाड़े आपनो,
जग में होत हंसाय।
सो पाछे पछताए,
आप करना कुछ भी विचार,
जिसे बाद में पछताना न पड़े।


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रचनाएँ
दिल की बातें - कविताओं की सफ़र
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प्रस्तुत पुस्तक राम विनोद कुमार के द्वारा लिखी गई एक सौ कविताओं की संग्रह है, जिसमें आप अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं के अनछुए संदर्भों से रूबरू होंगे।
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अब मैं कैसे जी पाऊंगा

9 अगस्त 2022
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ऑनलाइन

9 अगस्त 2022
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🕉️अच्छी लगी मुझे आपकी,लुकाछिपी आंख- मिचौली, खेल लो आप खुशी से,कभी रहे ना मलाल,पर इसी को याद कर,एक दिन हो सके, आपको अच्छा ना लगे।अगर जिंदगी खेलेगा तो, फिर रोना ना आप याद कर।मेरा त

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मेरी प्रेम कहानी

9 अगस्त 2022
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आओ सुनाता हूं, सुनो मेरी प्रेम कहानी,बस दिल थाम के बैठना,पी लेना पानी।सदियों से जीता-मरता हूं ,पर तृप्ति नहीं होती,प्रेम किया सबसे बस ,खुद को समझा नहीं।।हर जगह ठोकर मिली, सबसे दिल टूट गया,हुआ निराश-हत

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बावरा हो गया मेरा मन

9 अगस्त 2022
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बावरा हो गया मन मेरा,बावरी सी है इसकी बातें।समझाऊं कितना भी ,मनाऊं कितना भी,पर न समझे - न माने, अब हो गया बावरा।करे मनमानी, साथ में नादानी,हर काम में आनाकानी ,इसे सदा रहे परेशानी।अब तो ऐसे काम ना चलेग

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देख खुला दरवाजा !

9 अगस्त 2022
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मत रो ! देख !! खुला दरवाजा !!!यह खुला दरवाजा! वह खुला दरवाजा!मिलने वालों की उम्मीद की एहसास है।याचक की आश है, चाहे दिल-दिमाग,मन या घर खिड़कियों की हो, दरवाजे,समय पर खोल - देख किसकी द

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बल्ले-बल्ले

9 अगस्त 2022
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वाह! बल्ले-बल्ले आया पोएट्री मैराथन,अरे उठ कड़क मन अब तो गई ठन।आओ मन बनाएँ लिख लें कविताएँ,शब्दों को सजाएँ मन की बातें बताएँ,कुछ सबकी सुने और अपनी भी सुनाएँ।।राजा और रानी की, दादी और नानी की,तोत

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सुनहरे दिन

9 अगस्त 2022
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न बैठा रह यूं ही सुनहरे दिन की आस में,उठ जाग पुरुषार्थ कर लक्ष्य को प्राप्त कर।कुछ नहीं बाहर सब कुछ है निज पास में,सूरज निकलने से पहले जब तू जाग जाएगा,पल में ही तुम्हें सुनहरा दिन नजर आएगा।।आयु विद्या

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घाटियों के बीच

9 अगस्त 2022
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घाटियों के बीच बसा वह सुंदर सा शहरदोनों ओर ऊंचे पर्वतें नीचे बहता नहर,ऊपर के मुहाने पर बसा छोटा सा शहर।देखने को सदा जी चाहे, न देखूँ तो कहर,देखने को आऊँ तो लगे पहर-दोपहर।सारी दुनिया मुग्ध हुई, न

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विरह कि वेला

9 अगस्त 2022
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मिलन-विरह की बात समझ, न पड़ झमेले मेंक्षणभंगुर सब यहांँ, जो कुछ दिखता मेले में।मिलन-विरह का जाने, वास्ता नहीं परदेश से,जो कभी भी जुदा न हुआ प्रिय-प्रियतम से।माँ की गोद में ही जागकर आँखें ख

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अब खोल ले

9 अगस्त 2022
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अब भी आखें-कान खोल ले देख-सुन,क्यों पड़ा है रेत में अपना सिर दबाकर।भविष्य की विकटा भी पहचान देख सुन,अपने घर की तुझे क्यों कुछ याद नहीं।क्यों खोया है सपनों की झूठी दुनिया में,पहचान ले अब वक्त की

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जयतु जय भारत वर्ष

9 अगस्त 2022
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जय भारत वर्ष जय-जय सनातन, कुर्बान होऊँ तुम पर शत-शत नमन। लहू का एक बूँद भी जबतक बचा रहे, लड़ता रहूँ रूकूँ नहीं चाहे शहीद होऊँ। चाहे आ जाएँ कितने भी लंगड़े तैमूर, बालकरण सा डटूँ कभ

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दुनिया हुई हिंदीमय

9 अगस्त 2022
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पूरी दुनिया हुई अब हिंदीमय,ने केवल यह हिन्द रे सखा !हिन्दीमय हिन्द का हिन्दू मैं,हिंदी ही है प्रज्ञा और मेरी माँ।हिंदी पर मैं मर-मिट जाऊँ,हिंदी ही गाऊँ हिंदी बजाऊँ मैं,जय बोलूँ हिंदी-हिंदू-हिंदु

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घर से निकलना भी मुश्किल हुआ

9 अगस्त 2022
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विदेश यात्रा की अब पूछो न बात,घर से निकलना भी मुश्किल हुआ।सब कोरोना के दो-दो टीके लगवाएँ,फिर ऑमीक्रान वैरीअंट हमें सताए ।जब भी होता है मौसम परिवर्तन,आम जनजीवन पर होता असर।सर्दी-खाँसी-बुखार

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आत्मदेव की बात

9 अगस्त 2022
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आओ आज करें हम, आत्मदेव की बात,परम मित्र परम सखा है अपना आत्मदेव।लालच और आसक्ति छोड़ देंन करें प्रज्ञा अपराध ।।जो सन्मार्ग पर मुझे चलाए,वही मेरा आराध्य।आध्यात्मिक जीवन तो है आगे की बात , प्राथमिक दौर म

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मेरी परी

9 अगस्त 2022
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दीदी आज है सप्ताहांत,बाहर का है मौसम बुरा।मॉनिटर तो बैठा है गुमसुम,परी की बातें हो जाए जरा।।रोज आती मेरे सपने में,मुझे परीलोक ले जाती है।पतंग की त

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उठ जाग पलट कर देख ले

9 अगस्त 2022
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उठ जाग पलटकर देख ले,किस मद में तू खोया हुआ?भविष्य की अंधकार से,तू अब भी है अनजान क्यों ?लूट रहा तू टूट रहा बार-बार।क्यों इतिहास से नहीं सीखता ?बँट रहे हो रोज-ब-रोज तुम ,टुकड़ों

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हे जननी तुम नारायणी !

9 अगस्त 2022
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हे माँ ! हे जननी ! तुम ही हो नारायणी,हे जननी!हे जगदंबा! हे जगपालन कर्त्री!हे माता ! हे माँ शक्ति ! हे माँ कल्याणी!हे माँ गायत्री ! हे देवी ! हे माँ शतरूपा ! हे कमला ! हे सविता !

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नये लेखकों की चुनौतियां

9 अगस्त 2022
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भाई-बहनों देखो! ध्यान से समझ लो,नए लेखक की चुनौतियों की यह बात।मैंने तो बस शब्दों में तुक मिलाया है,यह है प्रतिलिपि टीम की खरी बात।।छह चुनौतियाँ,नजर डालेंगे, करेंगे बात,दूर करना भी सीखेंगे

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कभी हताश न होना

9 अगस्त 2022
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मेरी बहना! कभी हताश न होना ,आगे बढ़ती जा , अब यही मंत्र बना ।लक्ष्य को पाने तक अब रुकना नहीं ,कोई आए विध्न-बाधा झुकना नहीं।हाथ बढ़ाकर चाहो छू लो आसमान,पढ़ती जा, आगे-ही-आगे बढ़ती जा।न

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ऑनलाइन कक्षा हमारी

9 अगस्त 2022
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कोरोना का कहर दो वर्षो से है जारी,विद्यालय बंद'ऑनलाइन कक्षा हमारी। हाथ में स्मार्टफोन करने को कक्षाएँ, लगूँ चाहे व्हाट्सएप पर,मेरी इच्छा है।कौन होते हो,मेरे मामा या चाचा हो ? कुछ भी कर

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शब्द डॉट इन पर धूम

9 अगस्त 2022
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धूम-धूम-धूम धड़ाक ,धूम-धूम-धूम,शब्द इन पर मचगया, प्रीमियम का धूम।जितनी मुँह देखो,अब है उतनी ही बातें,कोई खुश हो रहा,कोई अब हैं सकुचाते ।सबके बीच अब है,यही चर्चा की बातें,लिख लो धाराव

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लक्ष्य कहीं तुम खो न दो

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आँखें बंद कर क्यों चले जा रहे ?देख लो लक्ष्य को कहीं खो न दो !क्या देखकर इतनी मद में चूर हो ?क्यों सुनते न हो, इतना मगरूर हो?ठोकर लगने पर क्या अक्ल आएगी ?सुनकर क्यों नहीं तुझे समझ आता ?इतना लापरवाह कै

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इकिगाई-जीने की वजह

9 अगस्त 2022
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इकरू से बना जापानी शब्द इकिगाई,इकरू मतलब है ' जीना ' आनंद से।इसे हम जोड़े जीवन के परम लक्ष्य से,इकिगाई का मतलब है 'जीने की वजह'रुचि, योग्यता, आवश्यकता और प्राप्ति,चार बातें एक ही शब्द में समाहित

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कर्म कर

9 अगस्त 2022
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कर्म कर ,फल की आस न कर,बोएगा,पानी देग, तो फलेगा ही।मौसम-प्रकृति की मार भी पड़ेगी,तू कोशिश करना,निराश ना होना।हुआ अच्छा, होगा वह अच्छा ही,बस सजग-सावधान कर्मण्य रह।अकर्मण्य-बेपरवाह कभी न बन,

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किस्से नए-पुराने

9 अगस्त 2022
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आओ सुनाएँ तुझे किस्से नए-पुराने,देख-सुन भी न सीखा,गाता नए तराने।आँख बंदकर चले,और कोई ठौर नहीं ,न रास्ते की खबर,मंजिल का गौर नहीं।आँख रहते हुए भी अंधे की तरह,आँख कान

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मुझे पसंद है

9 अगस्त 2022
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मुझे पसंद है रोज कुछ पढ़ना,आगे ही बढ़ना ऊँचे ही चढ़ना,जल्दी जागना , खुब जल पीना,दोनों वक्त शौच, खुल कर जीना,रोज व्यायाम,मन से अपना काम। खूब रगड़ नहाना ,द

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बोने में कभी सकुचाना नहीं

9 अगस्त 2022
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जो कुछ भी है थोड़ा बहुत,न खा जाना कभी भूँजकर।बोने में कभी सकुचना नहीं,जमीन बनाकर बस बो देना।हजार गुना मिलेगा फलकर,बंजर नहीं परमात्मा की खेत,मुट्ठी. भर बो, मन भर पाएगा।अगर

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बिटिया रानी को सुला दे

9 अगस्त 2022
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आजा निंदिया,बिटिया-रानी को सुला दे !आजा निंदिया रानी ! आजा निंदिया रानी !!आजा निंदिया,बिटिया रानी को सुला दे !मेरे संग लेटी है,इसे पलकों पर बिठा ले !नींद में सुलाके इसे, मीठा सपना दिखा दे,आजा निंदिया,

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जरा सुन लो

9 अगस्त 2022
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रुक जा,जरा सुन ले,सोच-विचारकर ले!इतनी रफ्तार में क्यों,भागे चले जा रहे हो ?एक पल मन को शांत कर ,सोच-विचार,क्या होगा,आखिर तेरे कार्य का परिणाम?सोच - समझ ले ,रुक जा ! विचार ले !पलट कर देख ले,अपनी दीपक क

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अंतिम वक्त

9 अगस्त 2022
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देख ! समय ,पल-पल बीतता बचा न वक्त।बढ़ जा राजा,अब छूले आसमां,तुम भी जरा ।चुक गए जो,अबकी बार तुम,फिर कहाँ तू ?बाँट ले दर्द,प्रियतम पिया से,सकुचाना ना !आँखों की भाषा,उनकी भी पढ़ ले,दिल लगी ना ।यादों

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सपने सच हुए

9 अगस्त 2022
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कदम लड़खड़ाया, बाधाएँ भी आई,लक्ष्य बनाकर, पथ पर बढ़ता गया ।जो माँगा मिला वह ,सपने सच हुए।न दिन-रात देखा,न दुनिया की परवाह,बस चलता गया, बढ़ता गया हर पल।जो माँगा मिला वह, स

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