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मेरी प्रेम कहानी

9 अगस्त 2022

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आओ सुनाता हूं, सुनो मेरी प्रेम कहानी,
बस दिल थाम के बैठना,पी लेना पानी।
सदियों से जीता-मरता हूं ,
पर तृप्ति नहीं होती,
प्रेम किया सबसे बस ,खुद को समझा नहीं।।
हर जगह ठोकर मिली, सबसे दिल टूट गया,

हुआ निराश-हताश मैं,
जानकर बहुत दु:ख हुआ।
टूट गए थे दांत, कानों से सुनाई नहीं देता था,
आंखें थी निस्तेज , दिखाई नहीं देता था।।
सांसो ने सांस छोड़ दी,
परम गति को प्राप्त हुआ।
आओ सुनाता हूं, सुनो मेरी प्रेम कहानी।

अब तो बस नफरत सी हो गई थी,
खुद से और उस अपनी दुनिया से।
याद आती थीं, वह बातें वह एहसास,
हाय ! क्या कुछ नहीं किया उनके लिए।
झूठ बोला, चोरी की ,किया बेईमानियां,
आओ सुनाता हूं ,सुनो मेरी प्रेम कहानी।

कभी दूसरों को जरा भी  समझा नहीं,
बस अपनी धुन में  सदा था गाता रहा।
जल की बूंद जैसी काया की घमंड में,
सदा मदमस्त हुआ , रोज फिरता रहा।
मां-बाप की भी तो कभी   सुनी नहीं,
गुरु की बातों का भी न कभी मान किया,
आओ सुनाता हूं, सुनो मेरी प्रेम कहानी।

अज्ञानी मैं ज्ञानी सा, खुद को समझता रहा।
दो दिनों की जिंदगी में,
कई सारे नाटक किया,
कंचन को छोड़कर कामिनी में लगा रहा।
अपनी उर्जा नष्ट की, पका बाल बुड्ढा हुआ,
अब कुछ दिनों का मेहमान था,
आओ सुनाता हूं  मैं मेरी प्रेम कहानी।

नहीं कहीं मेरा मान था, मैं बेवस बेकार सा।
तृष्णा न बूढ़ी हुई , यह तो रही जवान।
कुछ न बनता था ,पर रहता था परेशान,
सांसे थी बची नहीं, फिर भी रह गए अरमान,
कष्टों में जीवन था, दु:ख से था वास्ता,
बच्चों सा बन गया, बिस्तर पर मल-मूत्र थे।
आओ सुनाता हूं ,सुनो मेरी प्रेम कहानी।

गिनते सांस था जी रहा, न कोई मित थे,
अब मुक्ति के बाद मैं, चिर निद्रा में सोऊंगा,
मतलब की दुनिया , इनके लिए न रोऊंगा।
पर  मैं जैसे ही सो कर थक गया,
आत्मा की ऊर्जा तरोताजा हुई।
अब फिर से घेरा है मोह ने,
आओ सुनाता हूं, सुनो मेरी प्रेम कहानी।

नवजीवन की आश की, उत्कंठा जाग गई।
जन्म लूंगा फिर से मैं भी, उस हंसी दुनिया में,
जो कुछ भी किया नहीं ,
जो कुछ भी जीया नहीं,
अब फिर से उमंगे उत्साह है जिऊंगा भरपूर।
प्यार की खोज में  मैंने जीवन धारण किया,
आओ सुनाता हूं ,सुनो मेरी प्रेम कहानी।

एक बूंद से बढ़ता हुआ ,
पल-पल बड़ा होने लगा।
विकल रहा सदा कोख में,
जरायू से बंधा हुआ।
कष्ट काटे आश में,
जन्म लेकर कृतार्थ करूंगा,
उस परमपिता को याद कर,
अपनी सद्गति को जाऊंगा,
आओ सुनाता हूं, सुनो मेरी प्रेम कहानी।

जन्म लिया, दुनिया से प्रेम मेरा बढ़ता गया,
लगाया प्रेम मां से फिर पिता ,भाई-बहन से,
इस तरह प्रेम का विस्तार होता चला गया।
एक पल भी मां के बिना चैन नहीं पड़ता था।
हटते ही बस मां के पास,
जाने को  सदा मचलता था।
आओ सुनाता हूं, सुनो मेरी प्रेम कहानी।

तरह-तरह के खाने से प्रेम हुआ,
मीठा-नमकीन अच्छा लगने लगा।
न मिले चॉकलेट तो सिर मैं पटकने लगा,
कितनी भी यतन से मां मुझको समझती,
मैं जिद्दी बालक कुछ न मेरे पाले आती,
भाई-बहन मित्र संग प्रेम मेरा बढ़ता गया,
खिलौनों से भी खूब मैं प्रेम करता गया।
आओ सुनाता हूं सुनो मेरी प्रेम कहानी।

थोड़ा और  जब बड़ा हुआ ,
अब पुस्तकों से प्रेम हुआ,
माता-पिता गुरु की बातें ,
उस पल दिल को छुआ।
मैं जी-जान से पढ़ने लगा,
सच मानकर बढने लगा।
मित्र मिले कई फिर प्रेम भी बढ़ता रहा,
कॉपी-पेंसिल से बढ़कर ,
साइकिल तक चली गई।
आओ सुनाता हूं, सुनो मेरी प्रेम कहानी

इस तरह थोड़ा बड़ा  हुआ,
अब रूपया पहचानने लगा,
मां के सिक्कों से हो गया प्रेम,
उसे ही अनमोल धन मानने लगा।
मिलती ₹2 या फिर अठन्नी ही,
ऐसे खुश हो जाता पास हो सारा जहां।
आज सुनाता हूं ,सुनो मेरी प्रेम कहानी।

फिर थोड़ा  और बड़ा हुआ ,
खेलों से प्रेम हुआ, उनमें मन लगने लगा।
गिल्ली-डंडा कित-कित ,
और न जाने क्या-क्या।
फुटबॉल और क्रिकेट भी,
अब मेरी प्रेमिका बन गई
भले ही नाक मेरी टूट गई,
एक दिन क्रिकेट के बॉल से।
फिर भी हमने उसे छोड़ा नहीं,
इतना प्यार उसे करता था।
आओ सुनाता हूं ,सुनो मेरी प्रेम कहानी।

सोलहवां बसंत पूरा किया,
थोड़ी मिल गई आजादी,
अब तो बस उड़ने लगा था,
न याद आती थी दादी।
कुछ लोग अच्छे लगने लगे,
लगता था देखता रह जाऊं,
पर उन्हें मेरा कोई ठौर था,
मेरी बातों पर कोई गौर था।
फिर भी मैं सदा  ढूंढता रहा ,
कोई मिल जाए अपना सा।
जल्द ही है एक मिल गई,
फिर उससे भी मुझे प्यार हुआ।
आज सुनाता हूं ,सुनो मेरी प्रेम कहानी।

अब तो दिन-रात  ही सदा,
उसकी यादों में दिन कटने लगे।
खुशियां तो तब मिली,
जब उसका मनुहार मिला ।
फिर एक दिन वह चली गई,
मैं अंदर ही रोता रह गया।
इस तरह बढ़ा हुआ अब,
कमाने को खड़ा हुआ।
आओ सुनाता हूं ,तुम्हें अपनी प्रेम कहानी।

फिर जल्द ही छोटी नौकरी मिल गई,
मां-बाप के सपने को समझा मैंने पूरा किया।
अब तो उस नौकरी से प्रेम हुआ,
फिर मैं उसे यूं ही ढ़ोता रहा।
सहकर्मियों से प्रेम हुआ,
कुछ तो बहुत अच्छे लगने लगे।
पर ठिकाना मेरा कहीं और था,
मां को एक बहू पसंद आ गई।
आओ सुनाता हूं, मैं अपनी प्रेम कहानी।

अब साथ बना फिर  प्रेम शुरू हुई,
प्रेम से ही प्रेम का, विस्तार होता चला गया,
दो से तीन हुए ,तीन से हो गए चार।
इसी तरह बढ़ता रहा दिनों दिन मेरा प्यार,
पर अब तो यह प्यार ही,
मेरे सिर दर्द बन चुकी थी।
नमक तेल के चक्कर में,
मैं दिन-रात पिसने लगा।
फिर भी नहीं हारा,  प्यार तो करता रहा,
जैसे सूखी हड्डी से कुत्ता सदा करता है।
चबाता है उसे बड़े चाव से,
सोचता है बड़ा स्वादिष्ट है।
यह नहीं है वह जानता,
जिस खून का स्वाद वह, आनंद से ले रहा,
उसके जबड़े से ही है वह निकल रहा।
आओ सुनाता हूं ,अपनी प्रेम कहानी।

इसी तरह मैं भी, हाड़-मांस से प्रेम करता हूं,
परमपिता को भूल कर, तुच्छ आहे भरता हूं।
चुमता हूं चाटता हूं, न जाने कैसा स्वाद है।
फिर भी कभी तृप्त न होता,
देखो, कैसी है प्रेम की भूख मेरी।
तभी तो खुद से  ही घिन आती है,
क्या यही है,  अब प्यार मेरा,
अगर इसे ही प्यार कहते हैं,
तो फिर पशु ही हमसे श्रेष्ठ हैं।
कम से कम हुए समय की परवाह करते हैं,
अपने साथी की इच्छाओं का ध्यान रखते हैं।
पर हम तो सदा अपनी धुन में,
कभी न उसकी सुनते हैं
आज सुनाता हूं ,मैं अपनी प्रेम कहानी।

बहुत लंबी है बातें, कितनी तुझे बताऊं यार,
चाहे जी लो जितना भी,
पर कम न होगा प्यार।
न जाने कैसा जीवन है,
जाने कैसा यह संसार,
कल का है ठिकाना नहीं,
पर हैं संजोने में सदा लगे हुए,
मैं तो उब गया हूं जी-जी कर,
यह मर कर भी जीना क्या यार।
आज सुनाता हूं ,मैं अपनी प्रेम कहानी।

अगर आप यहां तक पहुंच गए,
तो कुछ आप भी कर लो विचार,
मेरी तो बहुत लंबी है ,प्यार की लिस्ट यार।
खत्म न होगी यह कभी,
क्योंकि जन्मों का है अंत नहीं,
अब तो मैंने सीख लिया,
सदा करूंगा निस्वार्थ प्यार।
पूरी करता हूं अपनी, कहानी मेरे यार।
अन्यथा  उब जाओगे, सुनकर मेरा प्यार।


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रचनाएँ
दिल की बातें - कविताओं की सफ़र
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प्रस्तुत पुस्तक राम विनोद कुमार के द्वारा लिखी गई एक सौ कविताओं की संग्रह है, जिसमें आप अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं के अनछुए संदर्भों से रूबरू होंगे।
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अब मैं कैसे जी पाऊंगा

9 अगस्त 2022
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दिल पर इतनी बोझ लेकर ,अब मैं कैसे जी पाऊंगा ?मुंह से निकल गई अब बात,धनुष से निकल गया जो बाण ।कभी वापस नहीं आ सकता ,अब तो हमें पश्चाताप की।अग्नि में जलना ही पड़ेगा।अब पछताए होत क्या,जब चिड़िया चु

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ऑनलाइन

9 अगस्त 2022
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🕉️अच्छी लगी मुझे आपकी,लुकाछिपी आंख- मिचौली, खेल लो आप खुशी से,कभी रहे ना मलाल,पर इसी को याद कर,एक दिन हो सके, आपको अच्छा ना लगे।अगर जिंदगी खेलेगा तो, फिर रोना ना आप याद कर।मेरा त

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मेरी प्रेम कहानी

9 अगस्त 2022
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आओ सुनाता हूं, सुनो मेरी प्रेम कहानी,बस दिल थाम के बैठना,पी लेना पानी।सदियों से जीता-मरता हूं ,पर तृप्ति नहीं होती,प्रेम किया सबसे बस ,खुद को समझा नहीं।।हर जगह ठोकर मिली, सबसे दिल टूट गया,हुआ निराश-हत

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बावरा हो गया मेरा मन

9 अगस्त 2022
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बावरा हो गया मन मेरा,बावरी सी है इसकी बातें।समझाऊं कितना भी ,मनाऊं कितना भी,पर न समझे - न माने, अब हो गया बावरा।करे मनमानी, साथ में नादानी,हर काम में आनाकानी ,इसे सदा रहे परेशानी।अब तो ऐसे काम ना चलेग

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देख खुला दरवाजा !

9 अगस्त 2022
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मत रो ! देख !! खुला दरवाजा !!!यह खुला दरवाजा! वह खुला दरवाजा!मिलने वालों की उम्मीद की एहसास है।याचक की आश है, चाहे दिल-दिमाग,मन या घर खिड़कियों की हो, दरवाजे,समय पर खोल - देख किसकी द

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बल्ले-बल्ले

9 अगस्त 2022
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वाह! बल्ले-बल्ले आया पोएट्री मैराथन,अरे उठ कड़क मन अब तो गई ठन।आओ मन बनाएँ लिख लें कविताएँ,शब्दों को सजाएँ मन की बातें बताएँ,कुछ सबकी सुने और अपनी भी सुनाएँ।।राजा और रानी की, दादी और नानी की,तोत

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सुनहरे दिन

9 अगस्त 2022
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न बैठा रह यूं ही सुनहरे दिन की आस में,उठ जाग पुरुषार्थ कर लक्ष्य को प्राप्त कर।कुछ नहीं बाहर सब कुछ है निज पास में,सूरज निकलने से पहले जब तू जाग जाएगा,पल में ही तुम्हें सुनहरा दिन नजर आएगा।।आयु विद्या

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घाटियों के बीच

9 अगस्त 2022
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घाटियों के बीच बसा वह सुंदर सा शहरदोनों ओर ऊंचे पर्वतें नीचे बहता नहर,ऊपर के मुहाने पर बसा छोटा सा शहर।देखने को सदा जी चाहे, न देखूँ तो कहर,देखने को आऊँ तो लगे पहर-दोपहर।सारी दुनिया मुग्ध हुई, न

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विरह कि वेला

9 अगस्त 2022
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मिलन-विरह की बात समझ, न पड़ झमेले मेंक्षणभंगुर सब यहांँ, जो कुछ दिखता मेले में।मिलन-विरह का जाने, वास्ता नहीं परदेश से,जो कभी भी जुदा न हुआ प्रिय-प्रियतम से।माँ की गोद में ही जागकर आँखें ख

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अब खोल ले

9 अगस्त 2022
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अब भी आखें-कान खोल ले देख-सुन,क्यों पड़ा है रेत में अपना सिर दबाकर।भविष्य की विकटा भी पहचान देख सुन,अपने घर की तुझे क्यों कुछ याद नहीं।क्यों खोया है सपनों की झूठी दुनिया में,पहचान ले अब वक्त की

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जयतु जय भारत वर्ष

9 अगस्त 2022
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जय भारत वर्ष जय-जय सनातन, कुर्बान होऊँ तुम पर शत-शत नमन। लहू का एक बूँद भी जबतक बचा रहे, लड़ता रहूँ रूकूँ नहीं चाहे शहीद होऊँ। चाहे आ जाएँ कितने भी लंगड़े तैमूर, बालकरण सा डटूँ कभ

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दुनिया हुई हिंदीमय

9 अगस्त 2022
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पूरी दुनिया हुई अब हिंदीमय,ने केवल यह हिन्द रे सखा !हिन्दीमय हिन्द का हिन्दू मैं,हिंदी ही है प्रज्ञा और मेरी माँ।हिंदी पर मैं मर-मिट जाऊँ,हिंदी ही गाऊँ हिंदी बजाऊँ मैं,जय बोलूँ हिंदी-हिंदू-हिंदु

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घर से निकलना भी मुश्किल हुआ

9 अगस्त 2022
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विदेश यात्रा की अब पूछो न बात,घर से निकलना भी मुश्किल हुआ।सब कोरोना के दो-दो टीके लगवाएँ,फिर ऑमीक्रान वैरीअंट हमें सताए ।जब भी होता है मौसम परिवर्तन,आम जनजीवन पर होता असर।सर्दी-खाँसी-बुखार

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आत्मदेव की बात

9 अगस्त 2022
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आओ आज करें हम, आत्मदेव की बात,परम मित्र परम सखा है अपना आत्मदेव।लालच और आसक्ति छोड़ देंन करें प्रज्ञा अपराध ।।जो सन्मार्ग पर मुझे चलाए,वही मेरा आराध्य।आध्यात्मिक जीवन तो है आगे की बात , प्राथमिक दौर म

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मेरी परी

9 अगस्त 2022
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दीदी आज है सप्ताहांत,बाहर का है मौसम बुरा।मॉनिटर तो बैठा है गुमसुम,परी की बातें हो जाए जरा।।रोज आती मेरे सपने में,मुझे परीलोक ले जाती है।पतंग की त

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उठ जाग पलट कर देख ले

9 अगस्त 2022
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उठ जाग पलटकर देख ले,किस मद में तू खोया हुआ?भविष्य की अंधकार से,तू अब भी है अनजान क्यों ?लूट रहा तू टूट रहा बार-बार।क्यों इतिहास से नहीं सीखता ?बँट रहे हो रोज-ब-रोज तुम ,टुकड़ों

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हे जननी तुम नारायणी !

9 अगस्त 2022
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हे माँ ! हे जननी ! तुम ही हो नारायणी,हे जननी!हे जगदंबा! हे जगपालन कर्त्री!हे माता ! हे माँ शक्ति ! हे माँ कल्याणी!हे माँ गायत्री ! हे देवी ! हे माँ शतरूपा ! हे कमला ! हे सविता !

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नये लेखकों की चुनौतियां

9 अगस्त 2022
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भाई-बहनों देखो! ध्यान से समझ लो,नए लेखक की चुनौतियों की यह बात।मैंने तो बस शब्दों में तुक मिलाया है,यह है प्रतिलिपि टीम की खरी बात।।छह चुनौतियाँ,नजर डालेंगे, करेंगे बात,दूर करना भी सीखेंगे

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कभी हताश न होना

9 अगस्त 2022
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मेरी बहना! कभी हताश न होना ,आगे बढ़ती जा , अब यही मंत्र बना ।लक्ष्य को पाने तक अब रुकना नहीं ,कोई आए विध्न-बाधा झुकना नहीं।हाथ बढ़ाकर चाहो छू लो आसमान,पढ़ती जा, आगे-ही-आगे बढ़ती जा।न

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ऑनलाइन कक्षा हमारी

9 अगस्त 2022
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कोरोना का कहर दो वर्षो से है जारी,विद्यालय बंद'ऑनलाइन कक्षा हमारी। हाथ में स्मार्टफोन करने को कक्षाएँ, लगूँ चाहे व्हाट्सएप पर,मेरी इच्छा है।कौन होते हो,मेरे मामा या चाचा हो ? कुछ भी कर

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शब्द डॉट इन पर धूम

9 अगस्त 2022
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धूम-धूम-धूम धड़ाक ,धूम-धूम-धूम,शब्द इन पर मचगया, प्रीमियम का धूम।जितनी मुँह देखो,अब है उतनी ही बातें,कोई खुश हो रहा,कोई अब हैं सकुचाते ।सबके बीच अब है,यही चर्चा की बातें,लिख लो धाराव

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लक्ष्य कहीं तुम खो न दो

9 अगस्त 2022
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आँखें बंद कर क्यों चले जा रहे ?देख लो लक्ष्य को कहीं खो न दो !क्या देखकर इतनी मद में चूर हो ?क्यों सुनते न हो, इतना मगरूर हो?ठोकर लगने पर क्या अक्ल आएगी ?सुनकर क्यों नहीं तुझे समझ आता ?इतना लापरवाह कै

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इकिगाई-जीने की वजह

9 अगस्त 2022
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इकरू से बना जापानी शब्द इकिगाई,इकरू मतलब है ' जीना ' आनंद से।इसे हम जोड़े जीवन के परम लक्ष्य से,इकिगाई का मतलब है 'जीने की वजह'रुचि, योग्यता, आवश्यकता और प्राप्ति,चार बातें एक ही शब्द में समाहित

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कर्म कर

9 अगस्त 2022
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कर्म कर ,फल की आस न कर,बोएगा,पानी देग, तो फलेगा ही।मौसम-प्रकृति की मार भी पड़ेगी,तू कोशिश करना,निराश ना होना।हुआ अच्छा, होगा वह अच्छा ही,बस सजग-सावधान कर्मण्य रह।अकर्मण्य-बेपरवाह कभी न बन,

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किस्से नए-पुराने

9 अगस्त 2022
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आओ सुनाएँ तुझे किस्से नए-पुराने,देख-सुन भी न सीखा,गाता नए तराने।आँख बंदकर चले,और कोई ठौर नहीं ,न रास्ते की खबर,मंजिल का गौर नहीं।आँख रहते हुए भी अंधे की तरह,आँख कान

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मुझे पसंद है

9 अगस्त 2022
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मुझे पसंद है रोज कुछ पढ़ना,आगे ही बढ़ना ऊँचे ही चढ़ना,जल्दी जागना , खुब जल पीना,दोनों वक्त शौच, खुल कर जीना,रोज व्यायाम,मन से अपना काम। खूब रगड़ नहाना ,द

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बोने में कभी सकुचाना नहीं

9 अगस्त 2022
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जो कुछ भी है थोड़ा बहुत,न खा जाना कभी भूँजकर।बोने में कभी सकुचना नहीं,जमीन बनाकर बस बो देना।हजार गुना मिलेगा फलकर,बंजर नहीं परमात्मा की खेत,मुट्ठी. भर बो, मन भर पाएगा।अगर

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बिटिया रानी को सुला दे

9 अगस्त 2022
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आजा निंदिया,बिटिया-रानी को सुला दे !आजा निंदिया रानी ! आजा निंदिया रानी !!आजा निंदिया,बिटिया रानी को सुला दे !मेरे संग लेटी है,इसे पलकों पर बिठा ले !नींद में सुलाके इसे, मीठा सपना दिखा दे,आजा निंदिया,

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जरा सुन लो

9 अगस्त 2022
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रुक जा,जरा सुन ले,सोच-विचारकर ले!इतनी रफ्तार में क्यों,भागे चले जा रहे हो ?एक पल मन को शांत कर ,सोच-विचार,क्या होगा,आखिर तेरे कार्य का परिणाम?सोच - समझ ले ,रुक जा ! विचार ले !पलट कर देख ले,अपनी दीपक क

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अंतिम वक्त

9 अगस्त 2022
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देख ! समय ,पल-पल बीतता बचा न वक्त।बढ़ जा राजा,अब छूले आसमां,तुम भी जरा ।चुक गए जो,अबकी बार तुम,फिर कहाँ तू ?बाँट ले दर्द,प्रियतम पिया से,सकुचाना ना !आँखों की भाषा,उनकी भी पढ़ ले,दिल लगी ना ।यादों

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सपने सच हुए

9 अगस्त 2022
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कदम लड़खड़ाया, बाधाएँ भी आई,लक्ष्य बनाकर, पथ पर बढ़ता गया ।जो माँगा मिला वह ,सपने सच हुए।न दिन-रात देखा,न दुनिया की परवाह,बस चलता गया, बढ़ता गया हर पल।जो माँगा मिला वह, स

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