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अच्छी लगी मुझे आपकी,
लुकाछिपी आंख- मिचौली,
खेल लो आप खुशी से,
कभी रहे ना मलाल,
पर इसी को याद कर,
एक दिन हो सके,
आपको अच्छा ना लगे।
अगर जिंदगी खेलेगा तो,
फिर रोना ना आप याद कर।
मेरा तो कर्तव्य था,
समझा दिया सब आपको।
यह जिंदगी का मंच है ,
समझें खेल का मैदान भी,
हारना फिर कोशिश करना,
जीतने की हौसला लिए।
मगर आंख मिचौली लुकाछिपी,
मत जिंदगी से खेलना।
तुम डाल -डाल मैं पात- पात,
हर कदम पर तेरी, नजर है मेरी।
सोचते तुम मुझे ,नहीं ज्ञात तेरी चाल,
पर मैं जानू तेरा, अच्छी तरह हाल-चाल।
समझते हो यह तो,
हमारी दुनिया की नहीं बात।
पर यह सोचो ,
आज जो तुम पढ़ रहे हो पढ़ाई ।
मैंने पहले ही पढ़ी और ,
दूसरे को भी पढ़ाई।
भले ही बदल जाए ,आज कुछ जमाना,
चिट्ठी -पत्री हो जाए अब जो पुराना ।
पर मैं आज और कल की, सभी बात जानूं ।
तेरी हर चाल की मोहरें पहचानूं ।
लुकाछिपी फिर भी तू खेलो ना भाई,
तेरी आंखमिचौली मुझे,
पल- पल समझ आई ।
अगर तुम हो छाया, आत्मा मेरी,
मैं भी जनक तेरा, तुम सुन मेरी।
कहते हो फुर्सत नहीं, करने से है ,पढ़ाई,
पर सोशल मीडिया पर, सदा ही ऑनलाइन क्यों रहते हो भाई ?
मेरी रेकी में तेरी ,पकड़ी गई चोरी,
घंटे में ग्यारह बार ऑनलाइन,
रहते हो थोड़ी-थोड़ी।
दोस्तों को कह दो,
खराब हो गई है मोबाइल ,
वे न भेजें अब हर बार इमोजी - स्माइल।
मेरे जिगर ! तुम गांठ बांध ले बात मेरी,
मैं चाहूं तेरा भला ,हो इच्छा पूरी तेरी,
मान मेरा कहना सुधर जा अभी,
अभी से जतन कर, प्रयत्न "मेरे रतन" कर।
मेहनत तेरी रंग लाएगी ही।।
थोड़ा है कहना ,समझना अधिक,
अब आप बच्चे नहीं हो,
कि "कबूतर "सिखाऊं।
पाठ है छोटी क्यों बार-बार रटाऊं,
कुछ पल की खुशी के पीछे,
न पूरी जिंदगी लगा दांव पर,
सवारी भली एक ही नाव की,
मत भटका मन, क्या कहीं कोई करता सवारी एक साथ दो नाव की ।
अच्छी नहीं निमंत्रण देना,
सोचो तुम बेवजह घाव की,
मेरे बेटे ! छोड़ लुकाछिपी आंख-मिचौली,
तेरी मां ने भी तुमसे , यही है बोली।
पूरी मैं करता हूं ,बातें अब मेरी,
अब तू बड़ा है,
है जिम्मेदारी तेरी।
दिल से ही लेना मेरी बातों को,
अब जागना ना प्यारे तू देर रात को।
रात को सोना और दिन को पूरा पढ़ना,
तुम पश्चिमी और शहरी,
नव कल्चर ना गढ़ना।
अपने गांव को रखना सदा याद तुम,
आना -जाना ना छोड़ना,
भले ही वहां बसना तुम।
कविता नहीं यह मेरी आस है,
तू जो समझे तो ,
दुनिया की दौलत मेरे पास है।
मेरी बातें बहुत है, तुम्हें कितना बताऊं,
थोड़े में समझो, अब मैं टहलने को जाऊं।
हंसना -मुस्कुराना खुश रहना,
रोज करना व्यायाम।
ताकत तंदुरुस्ती ही जीवन का,
असली आयम