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मन की बात वाला संडे फ्रेंड्स

15 जुलाई 2017

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Man ki baat wala Sunday friend जब हमने इस्वर और धर्म की सत्ता को मानने से इंकार किया तो बहुत से करीबियों को दुःख के साथ साथ कुछ को ख़ुशी भी हुई दुखी लोगों ने कहा अच्छा खासा लड़का था बिगड़ गया लगता है किसी गलत सोहबत में पड़ गया है लोगों ने हमें बहुत समझाने की कोशिशें की मगर क्या करें हम भी तर्क पे तर्क किये जा रहे थे और ये तर्क लोगों के गले नहीं उतर रहे थे कुछ लोगों को चिंता भी हुई की कहीं इसकी सोहबत में हमारे लड़के भी ना बिगड़ जाएँ सो कई लड़कों के साथ हमारा उठाना बैठने भी छुट गया लोग इस्वर के अस्तित्व को साबित करने के लिए तमाम तर्क - बितर्क करने लगे फिर भी हम नहीं माने तो लोगों ने हार के कहा...... धार्मिक हउवे बिना आदमीं अच्छा इन्सान नहीं हो सकता खुश होने वाले करीबियों को हममें तमाम संभावनाएं नज़र आ रही थी.कहने लगे सही है ब्रम्ह्ड़ो ने हिन्दू धर्म में कई बुराइयों का प्रवेश करा दिया है इनका तर्क होता था की इस्वर है बस तुम उसे खोजो धर्म को पालिस करने की जरुरत है कुछ लोगों ने गन्दा बना दिया है दरअसल ये सभी लोग किसी ना किसी पंथ को मानने वाले थे कोई आर्य समाजी था,तो कोई निरंकारी था और कोई गायत्री परिवार को मानने वाला और वे समझ रहे थे की उनके पंथ को मानने वालों में मैं भी शामिल हो सकता हूँ अचानक इन साहबों ने मुझे अपने अपने धार्मिक आयोजनों में बुलाना शुरू कर दिया हमारे एक बहुत करीबी जो की निरंकारी हैं.अक्सर बुलाते थे अपने निरंकारी सत्संगों में और अक्सर मेरी नास्तिकता का मजाक भी उड़ाते थे एक दिन खीज करके मैने पुछ दिया ? अच्छा ये बताइए.जब आप खुदा,इस्वर या भगवान को निरंकारी मानते हैं तो अपने समरोहों में क्यों एक लोग को सफ़ेदधोती कुरता पहना के और सफ़ेद चादर ओढा कर पूजा करते है ? जब आपका इस्वर निरंकारी है तो यहाँ आकार वाली धरती और इंसानों जानवरों को बनाने की जरुरत क्यों पड़ी ? क्या आपका इस्वर चापलूस जो इंसानों को केवल पूजा - पाठ के लिए बनाया है ?और सब छोड़ भी दें तो जरा बताइए जब निरंकारी की पूजा करते हैं समय साकार भगवानो राम,कृस्न और शंकर की स्तुति क्यों करते हैं?गर निरंकारी होके भी इन्ही भगवानो की पूजा करनी थी तो क्या जरुरत है निरंकारी होने की पता नहीं कितने करोड़ भगवानो को ढ़ोने वाली अपनी गधों वाली पीठ पे एक और भगवान को लादने की जरुरत क्या है? मेरे सवालों से गुस्साए मेरे उन करीबी जब कोई तर्क नहीं कर पाए तो कहा - अब तुम पिटोगे तभी तुम्हारी समझा में आएगा इस्वर और धर्म... मेरे से दुखी और अपने पंथ के संदर्भ में मेरे में संभावना देखने वाले ये लोग तब भी और अब भी जब तर्क से पेश नहीं हो पाते यही कहते हैं - धार्मिक हउवे बिना आदमीं अच्छा इन्सान नहीं हो सकता और मैं कहता हूँ की बिना धर्म के भी एक अच्छा इन्सान हूवा जा सकता है क्योंक़ि धर्म और इस्वर दोनों इन्सान पे जबरदस्ती लादे गए हैं इन्सान अपने कुदरती रूप में ही बहुत अच्छा है धर्मिक लोगों की जनसँख्या ही इस धरती से बड़ी है नास्तिक तो मुश्किल से कुछ हजार ही होंगे फिर भी यहाँ इतनी असमानता क्यों? क्यों धर्म के नाम पे ही धरती सबसे ज्यादे लहूलुहान हुई ? हो सकता है एक ज़माने में धर्म सोसायटी को चलने के लिए लोगों ने बनाया हो मगर अब हमारी सोसायटी को चलने के लिए एक अलग व्यवस्था है और एसे में अब ये धर्म हमारी प्रगति में लंगड़ी मरने के सिवा और किसी काम के नहीं हैं इन्हें अब इतिहास की किताबों में ही रहने देना चाहिए और इस्वर वों तो इस दुनिया का सबसे झूठा शब्द है,और सबसे ज्यादे विस्वास से बोले जाने वाला झूठ भी ........ गर धर्म एक अच्छे इन्सान होने का सर्टिफिकेट होता तो इस दुनिया में कोई समस्या ही नहीं होती धर्म के नाम पे या सम्प्रदाय के नाम पे किये जाने वाली हत्याएं नहीं होतीं भगवान है तो वों दुनिया में होने वाली दुःख तकलीफों को कम क्यों नहीं करता आप गधे हो सकते हैं मैं नहीं.....! जब आपको यहाँ भी उन्ही भगवानो को पूजना है तो फिर कोई जरुरत नहीं नए पन्थो और भगवानों की दरअसल इन्हें शिकायत ये नहीं है की मैं भगवान को मानता हूँ या नहीं ....... शिकायत इस बात की है क़ि मैं इनकी तरह गधा नहीं निकला और इनके मालिक का बोझ नहीं धो रहा और उसपे इनका मालिक अपने अदृश्य कोड़े भी मुझपे नहीं बरसा रहा...? बहुत से सव!ल हैं जिनका कोई जवाब नहीं देता...
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मैं तुम्हें नहीं मानता

27 जून 2017
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मैं तुम्हें नहीं मानताजाओ कर लोजो बन पड़ेहोगे तुम सर्वशक्तिमान तुम्हारी मूर्तियांमुझे कला के तौर परतो लुभाती हैंपर लगवा नहीं पाईकभी पूजा पाठ में ध्यान तुम्हारे आस्थावानभक्तों कीक्रूर यातनाएं बताती हैं मुझेकि तुम वाकई होकितने महानतुम दिखाई नहीं देते है ये जो प्रश्नचिह्न हैअस्तित्व परतुम्हारे उपासकों

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आओ एक कमरे में बन्द होकर हम बदनाम हो जाये

28 जून 2017
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एक लड़की जो गांव की है उसे गर प्यार हो जाता तो क्या सोचती है उसके मन में क्या चलता है.... लोक लज्जा का भय समाज का भय.... उसी सोच को व्यक्त करने का एक प्रयाश..... मैं चाहती थी किसी से कभी प्यार ना करूँ, किसी का भी ऐतवार ना करूँ, पर ये मैं क्या कर बैठी, खुद से खुद को जुदा कर

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हिंदुस्तान के दलितों के उन्नयन के लिए और क्या किया जाय!!

28 जून 2017
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राष्ट्र पति पद के दोनों उम्मीदवार दलित है। प्रथम उम्मीदवार सत्ताधारी भाजपा से तो दूसरे विपक्षी कांग्रेस से है। (1) प्रथम उम्मीदवार श्री रामनाथ कोविंद जी अत्यंत सरल स्वभाव के हैं ! इतने सरल कि हमेशा पंतजलि वाली पतली दाल पीते हैं । राजनीति और परिवार में प्रबंधन अच्छा करते

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मनोवेदना समझाने के लिए क्या इतना ही पर्याप्त नहीं है

30 जून 2017
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हॅंडसमे डे फ्रैंडमैं आहत हूँस्तब्ध हूँ व्यथित हूँलाचार हूँमौन हूँइससे अधिक लिखूं भी तो क्या लिखूंमनोवेदना समझाने के लिए क्या इतना ही पर्याप्त नहीं है

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मन की बात वाला संडे मित्रों

2 जुलाई 2017
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मैं बहुत सम्मान करता हूं।मैं हर स्त्री का सम्मान करता हूं।आजकल ऐसे नारे घर-घर में चल निकले हैं। हो सकता है कई लोग करते भी हों। सुबह उठकर मां-बहिनों-पत्नियों का सम्मान करते हों-अरे, तुम अभी तक उठी नहीं ? बताओ,

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मन की बात वाला संडे फ्रेंड्स

15 जुलाई 2017
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Man ki baat wala Sunday friendजब हमने इस्वर और धर्म की सत्ता को मानने से इंकार किया तो बहुत सेकरीबियों को दुःख के साथ साथ कुछ को ख़ुशी भी हुई दुखी लोगों ने कहा अच्छा खासा लड़का था बिगड़ गया लगता है किसी गलत सोहबत में पड़ गया हैलोगों ने हमें बहुत समझाने की कोशिशें की मगर क्

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