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मनोवेदना समझाने के लिए क्या इतना ही पर्याप्त नहीं है

30 जून 2017

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हॅंडसमे डे फ्रैंड

मैं आहत हूँ

स्तब्ध हूँ

व्यथित हूँ

लाचार हूँ

मौन हूँ

इससे अधिक लिखूं भी तो क्या लिखूं

मनोवेदना समझाने के लिए क्या इतना ही पर्याप्त नहीं है

शालिनी कौशिक एडवोकेट

शालिनी कौशिक एडवोकेट

सुंदर अभिव्यक्ति

1 जुलाई 2017

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मैं तुम्हें नहीं मानता

27 जून 2017
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मैं तुम्हें नहीं मानताजाओ कर लोजो बन पड़ेहोगे तुम सर्वशक्तिमान तुम्हारी मूर्तियांमुझे कला के तौर परतो लुभाती हैंपर लगवा नहीं पाईकभी पूजा पाठ में ध्यान तुम्हारे आस्थावानभक्तों कीक्रूर यातनाएं बताती हैं मुझेकि तुम वाकई होकितने महानतुम दिखाई नहीं देते है ये जो प्रश्नचिह्न हैअस्तित्व परतुम्हारे उपासकों

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आओ एक कमरे में बन्द होकर हम बदनाम हो जाये

28 जून 2017
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एक लड़की जो गांव की है उसे गर प्यार हो जाता तो क्या सोचती है उसके मन में क्या चलता है.... लोक लज्जा का भय समाज का भय.... उसी सोच को व्यक्त करने का एक प्रयाश..... मैं चाहती थी किसी से कभी प्यार ना करूँ, किसी का भी ऐतवार ना करूँ, पर ये मैं क्या कर बैठी, खुद से खुद को जुदा कर

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हिंदुस्तान के दलितों के उन्नयन के लिए और क्या किया जाय!!

28 जून 2017
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राष्ट्र पति पद के दोनों उम्मीदवार दलित है। प्रथम उम्मीदवार सत्ताधारी भाजपा से तो दूसरे विपक्षी कांग्रेस से है। (1) प्रथम उम्मीदवार श्री रामनाथ कोविंद जी अत्यंत सरल स्वभाव के हैं ! इतने सरल कि हमेशा पंतजलि वाली पतली दाल पीते हैं । राजनीति और परिवार में प्रबंधन अच्छा करते

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मनोवेदना समझाने के लिए क्या इतना ही पर्याप्त नहीं है

30 जून 2017
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हॅंडसमे डे फ्रैंडमैं आहत हूँस्तब्ध हूँ व्यथित हूँलाचार हूँमौन हूँइससे अधिक लिखूं भी तो क्या लिखूंमनोवेदना समझाने के लिए क्या इतना ही पर्याप्त नहीं है

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मन की बात वाला संडे मित्रों

2 जुलाई 2017
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मैं बहुत सम्मान करता हूं।मैं हर स्त्री का सम्मान करता हूं।आजकल ऐसे नारे घर-घर में चल निकले हैं। हो सकता है कई लोग करते भी हों। सुबह उठकर मां-बहिनों-पत्नियों का सम्मान करते हों-अरे, तुम अभी तक उठी नहीं ? बताओ,

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मन की बात वाला संडे फ्रेंड्स

15 जुलाई 2017
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Man ki baat wala Sunday friendजब हमने इस्वर और धर्म की सत्ता को मानने से इंकार किया तो बहुत सेकरीबियों को दुःख के साथ साथ कुछ को ख़ुशी भी हुई दुखी लोगों ने कहा अच्छा खासा लड़का था बिगड़ गया लगता है किसी गलत सोहबत में पड़ गया हैलोगों ने हमें बहुत समझाने की कोशिशें की मगर क्

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