हॅंडसमे डे फ्रैंड
मैं आहत हूँ
स्तब्ध हूँ
व्यथित हूँ
लाचार हूँ
मौन हूँ
इससे अधिक लिखूं भी तो क्या लिखूं
मनोवेदना समझाने के लिए क्या इतना ही पर्याप्त नहीं है
30 जून 2017
हॅंडसमे डे फ्रैंड
मैं आहत हूँ
स्तब्ध हूँ
व्यथित हूँ
लाचार हूँ
मौन हूँ
इससे अधिक लिखूं भी तो क्या लिखूं
मनोवेदना समझाने के लिए क्या इतना ही पर्याप्त नहीं है
सुंदर अभिव्यक्ति
1 जुलाई 2017