जीवन शैली में बदलाव जरूरी वरना पालकों को परिणाम भोगना होगा! विश्व आज विकट परिस्थियों से जूझ रहा है. कोराना महामारी से लेकर भूकंप, बाढ और अपराध की बढ़ती हुई घटनाओं ने इससे निपटने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी कुदरत ने अभिभावकों पर डाल दी है .आज अगर उन्होंने अपने बच्चों में आ
खेलने का मन है, कूदने का मन हैआज फिर बच्चा बनने का मन हैदौड़ने का मन है चिखने चिल्लाने का मन हैबिना डरे जिंदगी जीने का मन हैक्योंकि आज मुझे जीने का मन है आज मुझे बच्चा बनने का मन हैये जीना भी क्या जीना था जिसमें ना भविष्य कि चिंता थीना भूतकाल के दुखो का रोना थाबस आज था और
हँसमुखी चेहरे पर ये कोलगेट की मुस्कान,बिखरी रहे ये हँसी,दमकता रहे हमेशा चेहरा,दामन तेरा खुशियों से भरा रहे,सपनों की दुनियां आबाद बनी रहे,हँसती हुई आँखें कभी नम न पड़े,कालजयी जमाना कभी आँख मिचौली न खेले,छलाबी दुनियां से ठग मत जाना,खुशियों की यादों के सहारे,दुखों को पार लगा लेना,कभी ऐसा भी पल आये जीवन