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<span lang="HI" style="font-size:10.0pt;mso-ansi-font-size: 11.0pt;line-height:115%;font-family:Mangal">जीवन परिचय्र <span lang="HI" style="font-size:10.0pt;mso-ansi-font-size: 11.0pt;line-height:115%;font-family:Mangal">नाम: एम.ए.जोसेफ <span lang="HI" style="font-size:10.0pt;mso-ansi-font-size: 11.0pt;line-height:115%;font-family:Mangal">पिता का नाम: स्व. श्री एम.एम.एंटोनी <span lang="HI" style="font-size:10.0pt;mso-ansi-font-size: 11.0pt;line-height:115%;font-family:Mangal">माता का नाम: स्व. श्रीमती ग्रेसी एंटोनी <span lang="HI" style="font-size:10.0pt;mso-ansi-font-size: 11.0pt;line-height:115%;font-family:Mangal">वर्तमान पता: 23 एंटोनी काँटेज, <span lang="HI" style="font-size:10.0pt;mso-ansi-font-size:11.0pt;line-height:115%;font-family: Mangal">सर्वोदय नगर (पुरानी हीरापुर कालोनी) टाटीबंद रायपुर 492099 छत्तीसगढ़ <span lang="HI" style="font-size:10.0pt;mso-ansi-font-size: 11.0pt;line-height:115%;font-family:Mangal">जन्म तिथि: 23 जनवरी 1948 <span lang="HI" style="font-size:10.0pt;mso-ansi-font-size: 11.0pt;line-height:115%;font-family:Mangal">मातृभाषा: मलयालम <span lang="HI" style="font-size:10.0pt;mso-ansi-font-size: 11.0pt;line-height:115%;font-family:Mangal">मूल निवासी: छत्तीसगढ़ <span lang="HI" style="font-size:10.0pt;mso-ansi-font-size: 11.0pt;line-height:115%;font-family:Mangal">्िरशक्षा: मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ राजनीति शास्त्र में हिन्दी माध्यम से एम.ए. <span lang="HI" style="font-size:10.0pt;mso-ansi-font-size: 11.0pt;line-height:115%;font-family:Mangal">पारिवारिक स्थिति: चार भाई, <span lang="HI" style="font-siz

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राजनीति में पैर रखने से पहले ही क्‍येां फिसले रजनीकांत?

6 जनवरी 2021
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राजनीति में पैररखने से पहले ही क्‍येां फिसले रजनीकांत?यह जरूरी नहीं किफिल्‍म जगत से राजनीति में प्रवेश करने वालों में से प्राय: सभी सफल रहे हैं अगरतामिलनाडू के राजनीति की बात करें तो यहां कुछ चुने हुए स्‍टार सफलता की मंजिल तकपहुंच पाये है लेकिन वालीवुड के कई सुपर स्‍टार जिसमें अमिताभ बच्‍चन, राजेश ख

साइबर क्राइम का बढता जाल, आम लोग आसानी से फंसने लगे

23 दिसम्बर 2020
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साइबर क्राइम काबढता जाल,आम लोग आसानी से फंसने लगेसाइबर क्राइम कीबढती वारदातो ने पुलिस के लिये सरदर्द पैदा कर दिया है वहीं आम लोग दिन प्रतिदिनइसकी चपेट में आते जा रहे हैं: अब लोगों को बर्थडे उपहार देना भी मंहगा पडने लगाहै चूंकि आनलाइन में ठग यहां भी सक्रिय हो गये है: हाल

एक लीटर पानी से मंहगा तेल, कर के बोझ तले दबा इंसान

21 दिसम्बर 2020
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एक लीटर पानी से मंहगा तेल, कर के बोझ तलेदबा इंसानजीएसटी, सीएसटी को विशेषज्ञ चाहेकिसी भी तरह से लोगों को समझाये लेकिन आम लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि उन्‍हेंसरकार ने जो एक देश एक टैक्‍स का वादा किया था वह कहां है? हम पैदा होते हैं तबसेलेकर मरते दम तक एक नहीं तरह तरह के टै

देश में घरेलू हिंसा बढी,चिंताजनक स्थिति

16 दिसम्बर 2020
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देश में घरेलू हिंसा बढी,चिंताजनक स्थितिराष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्यसर्वेक्षण (एनएफएचएस) के मुताबिक, पांच राज्यों की 30 फीसदी से अधिक महिलाएं अपने पति द्वारा शारीरिक और यौन हिंसा कीशिकार हुई हैं. सर्वे बताता है कि महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामलों में सबसे बुरा हाल कर्नाटक, असम, मिजोरम, तेलंगाना औ

अब हर व्‍यक्ति हाईफाय,चाय, पान की दुकान में भी वायफाई!

11 दिसम्बर 2020
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अब हर व्‍यक्ति हाईफाय,चाय, पान की दुकान में भी वायफाई! एकसमय था जब पब्लिक टेलीफोन बूथ का जमाना था: उस समय मोबाइल नहीं हुआ करते थे और लोगोंके यहां लैण्‍ड लाइन फोन भी बहुत कम हुआ करते थे ऐसे में पब्लिक टेलीफोन बूथ बहुत कारगरहुआ करते थे:सडकों पर दो चार कदम चलों तो वहां स

“चाकूबाजी” का खूनी खेल,कौन जिम्‍मेदार?

7 दिसम्बर 2020
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“चाकूबाजी” का खूनी खेल,कौन जिम्‍मेदार?छत्तीसगढ की राजधानी रायपुर मे चाकूबाजी की बढती घटनाएं चिंता काविषय है: एक के बाद एक हो रही चाकू मारकर हत्‍या की घटनाओं में एक बात यह भी सामनेआई कि इन घटनाओं के पीछे एक हथियारो के सौदागर का भी हाथ है: गुढियारी थाना पुलिसने हथियारों के उस सौदागर को गिरफ्तार किया ह

जंगल में जवानों की मौत का ताण्‍डव कब तक?

1 दिसम्बर 2020
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जंगल में जवानों की मौत का ताण्‍डव कबतक?सवाल यही है कि हमारे जंगलों में हमारेजवानों का खून बहने का सिलसिला आखिर कब खत्‍म होगा? नक्‍सली समस्‍या शुरू होने के बाद से जवानो और कई बडे नेताओं सहित कितनेही लोगों का खून बह चुका है कि यह अगर सूख नहीं जाता तो एक नदी का रूप ले सकता था:यह सब जानते हुए भी खून बहन

वन नेशन वन इलेक्‍शन की लहर फिर चली

30 नवम्बर 2020
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वन नेशन वन इलेक्‍शनकी लहर फिर चलीइलेक्शन कमीशन केमुताबिक, देश में सन 1952 में जब पहली बार लोकसभा चुनाव हुए थे, तब 10.52 करोड़ रुपए खर्चहुए थे, उसके बाद 1957 और 1962 के चुनाव में सरकारका खर्च कम हुआ था: लेकिन 1967 के चुनाव से हर साल केंद्र सरकार काखर्च बढ़ता ही गया: फिलहाल 2014 के लोकसभा चुनाव तक के

व्‍यवस्‍था में नम्‍बर पावर गेम की एंट्री

23 नवम्बर 2020
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व्‍यवस्‍था में नम्‍बर पावर गेम की एंट्री नम्‍बरगेम और पावर गेम के चलते प्राय: देशों की लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था पर अब सवाल उठनेलगे हैं:पढे लिखे च विद्वान ज्ञानी लोगो को किनारे कर अब सिर्फ नम्‍बर व पावर गेमपर ध्‍यान दिया जा रहा है:अगर संवैधानिक व्‍यवस्‍था में इसे सुधार किया जाये तोबहुत हद तक लोकतात्रिक

कांग्रेस में सब ठीक नहीं, क्या‍ सोनिया कांग्रेस को बचा पायेंगी?

18 नवम्बर 2020
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वरिष्‍ठो के आक्रोश ने पार्टी में सोच पैदा कीएक साल से ददक रही चिंगारी अब आग का रूप लेने लगीक्‍या आपस में लडकर पार्टी दो फाड होगी?क्‍या देश से कांग्रेस का अस्तित्‍व मिटाने का सपना साकार होने वाला है? “सोनिया जी, पार्टी को महज इतिहास का हिस्सा बनकर रह जाने से बचा लें: परिव

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