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जिब्बु का की डायरी

जिब्बु का

4 अध्याय
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jibbu ka ki dir

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पुस्तक के भाग

1

बच्चा बनने का मन है

15 मार्च 2020
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खेलने का मन है, कूदने का मन हैआज फिर बच्चा बनने का मन हैदौड़ने का मन है चिखने चिल्लाने का मन हैबिना डरे जिंदगी जीने का मन हैक्योंकि आज मुझे जीने का मन है आज मुझे बच्चा बनने का मन हैये जीना भी क्या जीना था जिसमें ना भविष्य कि चिंता थीना भूतकाल के दुखो का रोना थाबस आज था और

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पांचाली का दांव

3 अप्रैल 2020
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हस्तिनापुर छोड़, पाण्डव नव नगरी जब आये,छोड़ कौरव, बन्धु - बान्धव संग तब लाये।देख इन्द्रप्रस्थ, चकित रह गया दुर्योधनअपमानित करने को आतुर उसका ईर्ष्यालू मन।।द्यूत क्रीडा करने की उसने घृणित चाल अपनाई,मामा शकुनि संग आमंन्त्रण की तुच्छ नीति बनाई।एक ओर पारंगत शकुनि, नवसिखिये पाण्

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कलम - pen

3 अप्रैल 2020
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कुछ लोगों के लिए कलम बसलिखने के काम आती हैपर मेरे लिए तो ये अपनेजज्बात बया करने का तरीका हैवो जज्बात जो कही अंदरही मेरे दबे रह जाते हैवो जज्बात जिनको कोई औरसमझ नहीं पाता हैमैं नहीं बोल पाता हूँइसीलिए मेरी कलम बोलती हैमै खुद को बया नहीं कर पाता इसीलिए मेरी कलम बया करती हैम

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रिश्ते - Rishtay

4 अप्रैल 2020
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कौन किसके लिए जीता है आज ज़माने मे उम्र गुजार देते है लोग चंद सिक्के कमाने में।।एक पल भी लगता नहीं तोड़ने में रिश्तों को मैने तो उम्र लगा दी दिलो को करीब लाने में।।अहमियत ही ना रही अपनी पराये की आज सभी लगे हुए है दिखावटी रिश्ते निभाने में।।जो खुद रिश्तो की कसौटी पैर खरे उतर

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