पांचाली का दांव
हस्तिनापुर छोड़, पाण्डव नव नगरी जब आये,छोड़ कौरव, बन्धु - बान्धव संग तब लाये।देख इन्द्रप्रस्थ, चकित रह गया दुर्योधनअपमानित करने को आतुर उसका ईर्ष्यालू मन।।द्यूत क्रीडा करने की उसने घृणित चाल अपनाई,मामा शकुनि संग आमंन्त्रण की तुच्छ नीति बनाई।एक ओर पारंगत शकुनि, नवसिखिये पाण्