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बदलाव का परिणाम 🙂🙂

3 जनवरी 2022

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आज भी घर में सन्नाटा पसरा हुआ है क्योंकि बहुएं या घर के अन्य सदस्य अम्मा के नियम अनुसार खुद को ढालने में संकट और दबाव महसूस करने के कारण अम्मा की सोच के सांचे में ढलने में असफल हो रहे हैं,जिसके कारण आए दिन घर में आपसी कलह का वातावरण बनना आम बात हो रही है,समय बीत रहा धीरे धीरे, अम्मा बदलने को तैयार नहीं कि हम अपनी परंपरा में बदलाव कैसे करें?आज भी घर में सन्नाटा पसरा हुआ है क्योंकि बहुएं या घर के अन्य सदस्य अम्मा के नियम अनुसार खुद को ढालने में संकट और दबाव महसूस करने के कारण अम्मा की सोच के सांचे में ढलने में असफल हो रहे हैं,जिसके कारण आए दिन घर में आपसी कलह का वातावरण बनना आम बात हो रही है,समय बीत रहा धीरे धीरे, अम्मा बदलने को तैयार नहीं कि हम अपनी परंपरा में बदलाव कैसे करें?

जिन ख्वाहिशों और नीति नियमों का पालन करते हुए इस जिंदगी की गुजर बसर की है हमनें उसको ये आने वाली पीढ़ी बदलना चाहती है तो हम कैसे इतने आसानी से सब कुछ नतमस्तक करके खुद को बदल दें।

घर की उलझनों में बिखरी और सिमटी अम्मा हमेशा अपने आदर्शों और मजबूत इरादों की मिसाल मानी जाती थी लेकिन अब शरीर ने थकने की उड़ान भरने की कलाबाजी सीख ली हो और चेहरे और शरीर में पड़े झुर्रियों की अनगिनत रेखाएं खुद को निर्बल होने का संकेत दे रही हों,

अम्मा भी सोचती कि आखिर कब तक ये शरीर सबल होकर सबके लिए समर्पित रहेगा इसलिए बदलाव करके ही आने वाली पीढ़ी के साथ खुद की विचारधारा को मन के एक कोने में छोड़ देना ही जिंदगी का हिस्सा बना लेना चाहिए,जैसे जैसे अम्मा की ये पहल मन पर प्रभावी हुई उनके घर के सदस्यों के बर्ताव का अच्छा असर अम्मा को महसूस होने लगा,मन के दरवाजे में कुरीतियों की जो जंग लगी थी आज उसमे प्यार और स्नेह का तेल कब्जों को स्वतंत्र करके घर वालों के आपसी तालमेल और प्रेम को घुसने की जगह दे पा रहा था।

धीरे धीरे समय और शरीर की थकान अम्मा को कमजोर कर रही थी लेकिन अम्मा की परिवार के खुशियों और आपसी प्रेम की खनक से अम्मा स्फूर्तिवान और मन से मजबूत हो रही थी जिसका इलाज सिर्फ और सिर्फ उनकी सोच और विचार के बदलाव का परिणाम थे।

धन्यवाद।

स्वरचित@आकांक्षा त्रिपाठी

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