में से तू, तू से तुम, तुम से आप,आप से हम
क्या यही हे बदलाव ज़िन्दगी का ।...........
रातो का नीदाो में, नीदाो का सपनो में, सपनो का हक़ीक़त से पहले टूट जाना
क्या यही हे बदलाव ज़िन्दगी का ।...........
क्षण भर के लिए परायो का अपना, अपनो का सदा के लिए परया हो जाना
क्या यही हे बदलाव ज़िन्दगी का ।...........
हसरत मोहब्बत की बरकत बदगुमानी की, तन्हाइओ मे हो जाना
क्या यही हे बदलाव ज़िन्दगी का ।...........
जाती हुई बहार से आश लगना, जाती हुई बहार से नयी बहार की आश न करना
क्या यही हे बदलाव ज़िन्दगी का ।...........
पतझड़ में आशा तोड़ने की इच्छा रखना, पतझड़ आने पर मुरझाना
क्या यही हे बदलाव ज़िन्दगी का ।...........
सरे हाल में संभाल कर रखना अंत समय दफन लार चला जाना
क्या यही हे बदलाव ज़िन्दगी का ।...........
विकास गुप्ता