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बहादुर बेदिया की पुस्तकें

अधुरा सपना

अधुरा सपना

जीवन में कुछ करने को ठाना था दूर स्थित मंजिल को मुझे पाना था जिंदगी में यही तो अपना ठिकाना था इसी सोच लिए तो मुझे आगे बढ़ना था क्या यह मेरा सपना अधूरा था? शायद एक दिन इसे पूरा होना था मुझे अपनी मंजिल को गले लगाना था मंजिल की खोज में रास्ते भटकना था

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अधुरा सपना

जीवन में कुछ करने को ठाना था दूर स्थित मंजिल को मुझे पाना था जिंदगी में यही तो अपना ठिकाना था इसी सोच लिए तो मुझे आगे बढ़ना था क्या यह मेरा सपना अधूरा था? शायद एक दिन इसे पूरा होना था मुझे अपनी मंजिल को गले लगाना था मंजिल की खोज में रास्ते भटकना था

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