बारिश आई, बारिश आई
मौसम में ठंडक लाई
कागज की इक नाव बनायें
चीटे को फिर सैर करायें
झड़ी जब खूब लग जायेगी
बगिया मेरी खिल जायेगी
भीगी सड़कें...भीगी पटरी
वह निकली दादा की छतरी
भीगो मिलकर आहिल-इमाद
बुखार को ज़रा रखना याद
निकले मेंढ़क औे" मजीरे
फिसल न जाना चलना धीरे
सावन- बारिश में यह घेवर
पापा लाये खाओ मिलकर
© अरशद रसूल