लहू के आंसू...
कौन रुख़सत हुआ है हिन्दुस्तान से
लहू के आंसू गिरने लगे आसमान से
देखे थे जो सपने सब चकनाचूर हुए
तार-तार सब उनके शुभ दस्तूर हुए
नहीं मिलेंगे वो हमको इतने दूर हुए
भेजा था सीमा पर किस अरमान से
कौन रुख़सत हुआ है हिन्दुस्तान से
लहू के आंसू गिरने लगे आसमान से
आंधियों से तूफां बनकर टकरा गया
फर्ज था उसका निभाकर चला गया
जैसे वह सोचकर निकला हो घर से
तिरंगे में लिपटकर आऊंगा शान से
कौन रुख़सत हुआ है हिन्दुस्तान से
लहू के आंसू गिरने लगे आसमान से
बरबाद नहीं होगी वीर! कुर्बानी तेरी
ओ दुश्मन याद दिला देंगे नानी तेरी
और ज्यादा नहीं चलेगी मनमानी तरेी
हम भी अब सौ सिर उड़ाएंगे एलान से
कौन रुख़सत हुआ है हिन्दुस्तान से
लहू के आंसू गिरने लगे आसमान से
कैसे सब्र करें इतने वीरों को खोया है
धरती तो क्या आसमान तक रोया है
देखें तो तुमने बारूद कितना बोया है
चलो आरपार हो जाए पाकिस्तान से
कौन रुख़सत हुआ है हिन्दुस्तान से
लहू के आंसू गिरने लगे आसमान से
होली हो, वह ईद हो चाहे हो दीवाली
तुम बिन लगती हर खुशी अब काली
हर खुशी मानो जैसे द रही हो गाली
मगर जीना सिखा गए वो सम्मान से
कौन रुख़सत हुआ है हिन्दुस्तान से
लहू के आंसू गिरने लगे आसमान से
सुन ले तू धोखे से हमला करने वाले
इन ललकारों से हम नहीं डरने वाले
मरते नहीं कभी वतन पर मरने वाले
अमरत्व भी पाया है निराली शान से
कौन रुख़सत हुआ है हिन्दुस्तान से
लहू के आंसू गिरने लगे आसमान से
गद्दारों हम तुमको औकात बता देंगे
एक के बदले हम सौ सिर गिरा देंगे
नेताजी देश को अब जवाब क्या देंगे
हर बार क्यों मुकर जाते हो जुबान से
कौन रुख़सत हुआ है हिन्दुस्तान से
लहू के आंसू गिरने लगे आसमान से