shabd-logo

कब बदला लोगे तुम इन गद्दारों से?

18 फरवरी 2019

192 बार देखा गया 192

यह हरगिज़ न कहो कि मर गया कोई

देश का हक़ था अदा कर गया कोई


बिटिया के पीले हाथ कौन करेगा

शहनाइयों का काम अब मौन करेगा

दायित्वों का निर्वहन कौन करेगा

जान पर खेलकर गुजर गया कोई

यह हरगिज़ न कहो कि मर गया कोई

देश का हक़ था अदा कर गया कोई


अंधेरा कितना कर दिया इक फायर ने

बुढ़ापे की लाठी छीनी उस कायर ने

मरा नहीं, अमरत्व पाया है इक नाहर ने

देश का कर्ज यूं अदा कर गया कोई

यह हरगिज़ न कहो कि मर गया कोई

देश का हक़ था अदा कर गया कोई


करुण क्रंदन बनी घर की किलकारी

कोई दहाड़े, कोई चूड़ी तोड़े बेचारी

पापा अब न आएंगे चीखे राज दुलारी

ज़िंदगी के कर्ज अदा कर गया कोई

यह हरगिज़ न कहो कि मर गया कोई

देश का हक़ था अदा कर गया कोई


बिंदिया-चूनर रोएंगे और सिंदूर रोएगा

हर खुशी रोएगी, हर शुभ दस्तूर रोएगा

बूढ़ी आंखें चुप हैं, दिल भरपूर रोएगा

हर आंख को आंसुओं से भर गया कोई

यह हरगिज़ न कहो कि मर गया कोई

देश का हक़ था अदा कर गया कोई


दुश्मन का दुस्साहस कितना तगड़ा है

कितनी ही मांगों का सिंदूर उजड़ा है

मातम ही मातम हर ओर उमड़ा है

यूं भी हम पर उपकार कर गया कोई

यह हरगिज़ न कहो कि मर गया कोई

देश का हक़ था अदा कर गया कोई


गर्व है भारत को ऐसे परिवारों पर

देश के सपूतों और वीर संतानों पर

नमन करो मिलकर इन बलिदानों पर

बलिदान ऐसा अनूठा कर गया कोई

यह हरगिज़ न कहो कि मर गया कोई

देश का हक़ था अदा कर गया कोई


कब तक सहमे रहोगे ललकारों से

कब बदला लोगे तुम इन गद्दारों से

बदले में सौ सिर बिछा दो तलवारों से

अफसोस कायर का न सर गया कोई

यह हरगिज़ न कहो कि मर गया कोई

देश का हक़ था अदा कर गया कोई

दीपिका तिवारी

दीपिका तिवारी

अति उत्तम।

19 फरवरी 2019

शोभा भारद्वाज

शोभा भारद्वाज

अति सुंदर विचार आशर्वाद

18 फरवरी 2019

16
रचनाएँ
bulandbayan
0.0
अज़्म हर बार चुटकुले निकले, ख़्वाब पानी के बुलबुले निकले।भले ही ख़्वाब पानी के बुलबुले निकले हों, पर ख़्वाब देखने का सिलसिला तो बंद नहीं किया जा सकता। यही तो जिंदगी और उसको जीने का फ़लसफ़ा है। यही सब सोचकर अपनी बात कहने के मक़सद से यह ब्लाॅग बनाया गया है। मैं अच्छी तरह जानता हूं और मानता भी हूं कि सामाजिक बुराइयों और अंधेरों के खि़लाफ़ मेरा यह अदबी (साहित्यिक) चराग़ एक अदना सी कोशिश है, लेकिन मैं हार नहीं मान सकता। हो सकता है कि साहित्यिक गाथाओं में बुराई रूपी अंधेरों से लड़ने वालों में मेरा नाम भी शामिल हो जाए। इसके उलट यह भी हो सकता है कि मेरी कोशिशों का कोई दस्तावेजी प्रमाण न रहे, फिर भी यह मेरे दिल को सुकून पहुंचाने के लिए काफ़ी है। आखि़र में वसीम बरेलवी साहब का शेर और बात ख़त्म... हादसों की जद पे हैं तो मुस्कुराना छोड़ दें जलजलों के खौफ से क्या घर बनाना छोड़ दें
1

किसानों को खेती बंद कर देनी चाहिए

29 मार्च 2018
0
1
1

किसानों को अब खेती करना बंद ही कर देना चाहिए। सिर्फ अपने परिवार की जरूरत के लायक फसल उपजा कर बाकी जमीन को खाली छोड़ देना चाहिए। तमाम लोग ऐसे हैं जो अपने बच्चों को 2 लाख रुपये तक की मोटर साइकिल और इसी तरह का महंगा मोबाइल लेकर देने में एक बार भी नहीं कहते कि महंगा है। वह लोग किसान हितों की बातों पर बहस

2

गौण होने लगे विकास के मुद्दे

26 मई 2018
0
5
7

इस समय देश की राजनीति किधर जा रही है, कुछ कहा नहीं जा सकता। विकास की तो शायद ही किसी को फिक्र हो। न कोई विचार है, न चिंतन। सियासत करने वालों पर तो सिर्फ सत्ता की भूख हावी है। सच कहा जाए तो धर्म ही एक ऐसा मुद्दा है, जिसके सहारे सत्

3

कब बदला लोगे तुम इन गद्दारों से?

18 फरवरी 2019
0
1
2

यह हरगिज़ न कहो कि मर गया कोईदेश का हक़ था अदा कर गया कोईबिटिया के पीले हाथ कौन करेगाशहनाइयों का काम अब मौन करेगादायित्वों का निर्वहन कौन करेगाजान पर खेलकर गुजर गया कोईयह हरगिज़ न कहो कि मर गया कोईदेश का हक़ था अदा कर गया कोईअंधेरा कितन

4

ताजमहल को शायरों ने भी बनाया उनवान

26 मार्च 2019
0
1
0

सभी जानते हैं कि बादशाह शाहजहां अपनी बेगम मुमताज़ से बहुत प्यार करते थे। उन्होंने अपनी बेगम की याद में संगमरमर की इमारत तामीर कराई थी, जिसको हम ताजमहल के नाम से जानते हैं। यह ताज दुनिया के सात अजूबों में से एक है। संगमरमर की यह इमारत बेहद खूबसूरत है। इसकी खूबसूरती ने श

5

कलम आज उनकी जय बोल

26 मार्च 2019
0
2
0

कलम आज उनकी जय बोलपहले मन की गांठों को खोलराष्ट्र की अस्मिता बड़ी अनमोलबचाई है जिन्होंने देश की लाजकलम आज उनकी जय बोलआज कोई श्रृंगार मत लिखिएसावन गीत, मल्हार मत लिखिएवीर पुराण रच डालिए दिल खोलकलम आज उनकी जय बोलधूल चटा देना बैरी को रण मेंआस्तित्व मिला दो अब कण मेंफिर से कर दी नैया डांवाडोलकलम आज उनकी

6

शोला नहीं, अंगार करो

26 मार्च 2019
0
1
0

शोला नहीं, अंगार करोएक नहीं अब सौ-सौ बार करो,प्रतिदिन ऐसे ही पलटवार करो।सारा पाकिस्तान भस्म हो जाए,रणनीति अब कोई ठोस तैयार करो।आज मत करना श्रृंगार की बातेंनहीं करना किसी सरकार की बातेंबंद आज सारे गीत मल्हार करोरणनीति अब कोई ठोस तैयार करो।ललकार है आ जाओ अब रण मेंमिला दो दुश्मन को कण-कण मेंखुद को शोला

7

मेरे रस-छंद तुम, अलंकार तुम्हीं हो

26 मार्च 2019
0
2
0

मेरे रस-छंद तुम, अलंकार तुम्हीं होजीवन नय्या के खेवनहार तुम्हीं हो,तुम्हीं गहना हो मेरा श्रृंगार तुम्हीं हो।मेरी तो पायल की झनकार तुम्ही हो,बिंदिया, चूड़ी, कंगना, हार तुम्हीं हो।प्रकृति का अनुपम उपहार तुम्ही हो,जीवन का सार, मेरा संसार तुम्ही हो।पिया तुम्हीं तो हो पावन बसंत मेरे,सावन का गीत और

8

लहू के आंसू...

26 मार्च 2019
0
1
0

लहू के आंसू...कौन रुख़सत हुआ है हिन्दुस्तान सेलहू के आंसू गिरने लगे आसमान सेदेखे थे जो सपने सब चकनाचूर हुएतार-तार सब उनके शुभ दस्तूर हुएनहीं मिलेंगे वो हमको इतने दूर हुएभेजा था सीमा पर किस अरमान से कौन रुख़सत हुआ है हिन्दुस्तान से लहू के आंसू गिरने लगे आसमान सेआंधियों से तूफां बनकर टकरा गयाफर्ज

9

खून नहीं बहने देंगे

26 मार्च 2019
0
1
0

खून नहीं बहने देंगेसेना की सूझबूझ पर गर्व है,जिसे युद्ध, क़ुरबानी, शांतिऔर निर्माण अनुभव का।धिक्कार है उन परजिन्हें अनुभव है...सिर्फ़ दंगा, हिंसा,हत्या, विध्वंस,और बदअम्नी का...।राजनीति चाहे...लाशों पर हो, सेना पर,चाहे मंदिर-मस्जिद पर हो,देश विरोधी घृणित नीति कोदेश निकाला दे देंगे।सौगंध हमें इस मिट्

10

इतिहास ज्वलंत हो जाए

26 मार्च 2019
0
1
1

इतिहास ज्वलंत हो जाएदेश का इतिहास ज्वलंत हो जाए,आतंकवाद का जब अंत हो जाए।मनाएं हम सब मिल कर खुशियां,फिर तो हर ऋतु बसंत हो जाए।

11

कब तक सहमे रहोगे ललकारों से?

26 मार्च 2019
0
2
1

कब तक सहमे रहोगे ललकारों से?यह हरगिज़ न कहो कि मर गया कोईदेश का हक़ था अदा कर गया कोईबिटिया के पीले हाथ कौन करेगाशहनाइयों का काम अब मौन करेगादायित्वों का निर्वहन कौन करेगाजान पर खेलकर गुजर गया कोईयह हरगिज़ न कहो कि मर गया कोईदेश का हक़ था अदा कर गया कोईअंधेरा कितना कर दिया इक फायर नेबुढ़ापे की लाठी

12

गम का तूफान

28 मार्च 2019
0
0
0

रूबरू जब कोई हुआ ही नहींताक़े दिल पर दिया जला ही नहींज़ुल्मतें यूं न मिट सकीं अब तककोई बस्ती में घर जला ही नहींबेजमीरों के अज़्म पुख़्ता हैंज़र्फ़दारों में हौसला ही नहींनक़्श चेहरे के पढ़ लिये उसनेदिल की तहरीर को पढ़ा ही नहींउम्र भर वह रहा तसव्वुर मेंदिल की ज़ीनत मगर बना ही नहींहमने अश्कों पर कर लिया क़ाबूग़

13

बारिश

27 जुलाई 2019
0
1
1

बारिश आई, बारिश आईमौसम में ठंडक लाईकागज की इक नाव बनायेंचीटे को फिर सैर करायेंझड़ी जब खूब लग जायेगीबगिया मेरी खिल जायेगीभीगी सड़कें...भीगी पटरीवह निकली दादा की छतरीभीगो मिलकर आहिल-इमादबुखार को ज़रा रखना यादनिकले मेंढ़क औे" मजीरेफिसल न जाना चलना धीर

14

झुमके का रहस्य

18 मार्च 2020
0
1
0

बरेली ही क्या दुनिया भर के लोगों को यह सवाल परेशान करता रहा है कि आखिर, झुमका गिरा तो गिरा कहां? कई मौकों पर लोगों का बरेली आना-जाना लगा रहता है। ऐसे तमाम लोगों का यही सवाल रहता है कि झुमका गिरा कहां था? सवाल सुनकर बरेली वालों की जुबान पर खामोशी के अलावा कुछ नहीं होता है। सही बात तो यह है कि उनको ही

15

जग में मचा है रोना धोना

22 मार्च 2020
0
0
2

जग में मचा हुआ है रोना धोनामिलकर मार भगाओ ये कोरोनाछोटा बच्चा है या कोई बड़ा हैकैद हर शख्स घर में ही पड़ा हैछाया यही एक खौफ चारों ओरटूट न जाए कहीं ये जीवन डोरमुश्किल में होश नहीं अपने खोनामिलकर मार भगाओ ये कोरोनाकिताबों से यही सदा सीखा ज्ञानसफाई का हमको रखना है ध्यानसाफ रखो

16

दूर ही रहना

8 अप्रैल 2020
0
0
1

प्यारे देशवासियों,आप सभी जानते हैं इन दिनों हमारा देश कोरोना वायरस जैसी महामारी से जूझ रहा है। यह एक ऐसी भयानक बीमारी है जो एक इंसान से दूसरे में और धीरे-धीरे समाज में फैलती है। आपस में ज़्यादा मिलने जुलने और संपर्क बढ़ने से इसका वायरस बहुत तेजी से फैलता है। सिर्फ एहतियात बरतकर ही इस बीमारी से बचा जा

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए