shabd-logo
Shabd Book - Shabd.in

Arshad Rasool की डायरी

Arshad Rasool

4 अध्याय
0 व्यक्ति ने लाइब्रेरी में जोड़ा
0 पाठक
निःशुल्क

 

arshad rasool ki diary

0.0(0)

पुस्तक के भाग

1

सर तो कटा सकते हैं, सर को झुका सकते नही...

29 मार्च 2018
0
2
1

इंसाफ की डगर पे बच्चों दिखाओ चलके...यह देश है तुम्हारा नेता तुम्हीं हो कल के... सचमुच शकील बदायूंनी के ये गीत नहीं बल्कि एक आंदोलन है। बरसों पुराने ये नगमे आज भी अमर और लाजवाब है। इनको सुनकर देश के जांबाज सैनिकों के खून में दुश्मन के खिलाफ उबाल आता है तो नौनिहालों के

2

गौण होने लगे विकास के मुद्दे

26 मई 2018
0
0
0

इस समय देश की राजनीति किधर जा रही है, कुछ कहा नहीं जा सकता। विकास की तो शायद ही किसी को फिक्र हो। न कोई विचार है, न चिंतन। सियासत करने वालों पर तो सिर्फ सत्ता की भूख हावी है। सच कहा जाए तो धर्म ही एक ऐसा मुद्दा है, जिसके सहारे सत्ता सुख के चरम तक पहुंचा जा सकता है। बस, तरीका आना चाहिए उसको भुनाने का

3

गौण होने लगे विकास के मुद्दे

26 मई 2018
0
2
0
4

मुस्कुराती बहारों को नींद आ गई

26 मार्च 2019
0
1
0

मुस्कुराती बहारों को नींद आ गईआज यूं गम के मारों को नींद आ गई,जैसे जलते शरारों को नींद आ गई।थे ख़ज़ां में यही होशियार-ए-चमन,फूल चमके तो खारों को नींद आ गई।तुमने नज़रें उठाईं सर-ए-बज़्म जब,एक पल में हजारों को नींद आ गई।वो जो गुलशन में आए मचलते हुए,मुस्कुराती बहारों को नींद आ गई।चलती देखी है 'अरश

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए