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बेरूखी

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कोई अपना होता तो कुछ कहते। सर्द हवाओं की चुभन होती या, तपती जून की रातों की बैचेनी उससे सांझा करते। बैचेन कटी रात, करवटों के बदलने का सबब कहते। कोई अपना होता तो कुछ कहते। कच्ची सी नींद, अचानक से आंख का खुल जाना, आंधी रात में झुंझला कर उठ जाना, और फिर मोबाइल में, या यादों की गली में मुड़ जाना। ना जा

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