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भाग. 3

27 अप्रैल 2022

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आज शाम पार्क में   कर्नल की आँखें बारहा किसी की राह देख रही थी।  कर्नल अपने आप में खोया था, तभी कर्नल का शायर दोस्त अचानक आ पहुँचता है।  वह कर्नल को खुशनुमा मुड़ में देखकर हैरान था। ‘आज जनाब कुछ खुशमिजाज लग रहे हैं। ’ वह मन ही मन में  कहता है।  वह कर्नल की निगाहों की दिशा में अपनी निगाहें मिलाने लगा। उसकी निगाहें  सीधी एक प्रेमी जोड़े  पर जा लगी, जिनकी बेशर्मी को कर्नल बड़े शौक से देख रहा था। ‘कमाल है भाई, आज पता चला इस आदमी का। ये तो हद हो गई।’उसने अपने आप से कहा।  ‘लगता है जनाब में अब भी जवानी की आग लपटें मार रही है। आज तो चेहरा भी बहुत खिला हुआ है।’ वह  कहता है।  ‘तुम-तुम क्या बकवास कर रहे हो। तुम्हारे कहने का क्या मतलब।’ कर्नल उससे चिढ़ता हुआ कहता है। ‘हा...हा कर्नल सच में तुम आदमी हो कमाल के। आज पहली बार पता चला।’ वह कहता है। ‘क्या मतलब तुम्हारा, क्या कहना चाहते हो तुम।’ कर्नल कहता है। ‘तुम मुझसे कुछ मत छिपाओ कर्नल, मैं सब जानता हूं। तुम क्या कर रहे थे, किन नजारों को आँखों में भर रहे थे। ’ वह कहता है।

 कर्नल उसकी बात सुनकर गुस्से में कहता हुए वहाँ से उठ जाता है। जैसे ही  कर्नल आगे बढ़ता है। ‘मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी। तुम खुद अजीब हो औरों को अजीब, कहते हुए कर्नल की आवाज थम सी जाती है।  जब सामने से वही औरत आती दिखती है और कर्नल के करीब से निकल जाती है। कर्नल उसमें खो जाता है। वह शायर दोस्त सब देख रहा था और समझ भी रहा था। ‘अच्छा तो यह बात है। जनाब ने इश्क में गश खा लिया है। अब बात समझ आई। एक ही दिन में शख़्स कैसे बदल गया।

"कौन किससे जमाने में मिलता है यूं

जिस्म ओ रूह का राब्ता इश्क है।"

उस औरत को अचानक सामने देख कर्नल के गुम हुई आबो-हवा को देखकर वह अपने आप से यह शेर कहता है।  ‘तो फिर माजरा यह है कर्नल साहब।’ वह कर्नल के करीब जाकर कहता है। ‘हां यार जबसे इसे देखा है तबसे न जाने क्या हो गया है मु . . . झे,  अभी जुबां पर शब्द निकलने ही वाले थे। कर्नल होश में आता है और बौखला जाता है... तुम  तुम।’ कर्नल कहता है। ‘हां हम, अब आप भी हमसे कुछ मत छिपाईएगा। हम समझ गए हैं कि जनाब का दिल डगमगा गया है।’ वह कहता है।   कर्नल के चेहरे का रंग उड़ गया है। यह जानकर कि इसे भी सब कुछ पता चल गया है। ‘हा  हा  हा, कर्नल यार तुम वाकय में कमाल के आदमी हो।’ वह हंसते हुए कहता है। ‘देखो दोस्त ये बातें नकारने वाली नहीं होती और न ही छिपाने वाली। तुम कब तक अपने आप से इस सच्चाई को छिपाते रहोगे और भागते रहोगे। ’ वह कर्नल कहता है। ‘फिर भी यार सोचता हूं इस उम्र में कहीं ये गलत कदम न हो।’ कर्नल  कहता है। ‘गलत, यार इसमें गलत क्या है। तू इस बात की परवाह क्यों करता है।  ’ वह कहता है। ‘ये सब तो खैर ठीक है, लेकिन जब उस औरत को इस बारे में पता चलेगा तो वह क्या सोचेगी इस उम्र में मेरे बारे में।  कर्नल कहता है। ‘वो सब मुझपर छोड़ और रही बात बुरा लगने की तो ऐसा कुछ नहीं होगा। ’ वह शायर दोस्त कहता है। ‘तुम क्या करोगे। कर्नल पुछता है। ‘मैं क्या करूंगा ये सब तुम देखते जाओ। तुम बस वो करना है जो मैं तुमसे करवाता रहूँ।’ वह कहता है। 
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रचनाएँ
एक बार फिर ज़िंदगी
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एक रिटायर्ड कर्नल है जिसकी पत्नी का देहांत हो चुका है। इसकी एक बेटा है जो अमेरिका में रहता है। वहीं उसने एक अमेरिकन लड़की से शादी कर ली है। कर्नल तनहा रहता है। कमला जो कर्नल के घर में नौकरानी है। कर्नल इसे अपनी बहन मानता है। यही कर्नल का ध्यान रखती है। कर्नल को प्रियादर्शनी से प्रेम हो जाता है। प्रियादर्शनी अपने परिवार से अलग होकर वृद्धाआश्रम में रहती है।प्रियादर्शनी और कर्नल के प्रेम को कर्नल का शायर दोस्त अंजाम तक ले जाता है लेकिन सागर का अपना प्रेम अधूरा रह जाता है क्योंकि कुदरत ने उसे ऐसा बनाया है। सागर कौन है कैसे कर्नल के प्र्म के वह कीमयाब करती है । जीनने के लिये पढे़ यह किताब।
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भाग. 1

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लो आज भी कर्नल ध्यान चंद सुबह-सुबह उठे तो अपनी दांत की प्लेट के बिना बाहर निकल आए । सूट बूट पहनकर, रोज की तरह सिर पर गोलदार हैट पहनकर । अपनी बड़ी घूमावदार मूँछों को बाट देकर जैसे आज भी वे कर्नल ह

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भाग 2

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शाम के पांच बज चुके थे। कर्नल रोज की तरह आज भी टहलने के लिए पार्क को निकल पड़ा था। कर्नल को हमेशा एकांत में रहना पसंद था फिर भी शाम पार्क में इसलिए चला आता था, क्योंकि इस वक्त पार्क के हरे

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भाग. 3

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आज शाम पार्क में कर्नल की आँखें बारहा किसी की राह देख रही थी। कर्नल अपने आप में खोया था, तभी कर्नल का शायर दोस्त अचानक आ पहुँचता है। वह कर्नल को खुशनुमा मुड़ में देखकर हैरान था।

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भाग. 4

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सागर का कर्नल के घर आना, आना क्या अब तो वहीं बेशर्म की तरह पूरा दिन पड़े रहना, कई बार रात भी यहीं गुजारना। अब तो जैसे उसका भी यही घर हो। कमला को यह अखरता था। उस दिन दोनों बड़ी देर से कमरे म

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भाग 5

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उन दोनों ने उस वृद्धाश्रम में अपनी दस्तक दे दी थी। वृद्धाश्रम का मैनेजमेंट आॅफिसर जालिम सिंह कर्नल के शायर दोस्त को पहले से जानता था। कर्नल की तरह आश्रम के मैनेजमेंट आॅफिसर जालिम सिंह ने भी घुमावदार म

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भाग 6

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उस तरफ कमला सब जान चुकी थी। कर्नल के शायर दोस्त सागर ने उसे सब बता दिया है। वहीं, कर्नल की गैर हाजिरी में कमला के साथ इश्क का टांका भी फिट कर लिया है। उसका अपना इश्क भी परवान पर था। ‘इस उम्र मे

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भाग 7

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आखिर कर्नल प्रियादर्शनी को घर ले ही आए। विवाह के अगले दिन, कर्नल प्रियादर्शनी के साथ अपने हनीमून की तैयारी कर रहा था। बेटे-बहू के साथ वह भी प्रियादर्शनी को लेकर अमेरिका जा रहा था। तैयारी हो च

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