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भाग 7

27 अप्रैल 2022

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आखिर कर्नल प्रियादर्शनी को घर ले ही आए।

विवाह के अगले दिन, कर्नल प्रियादर्शनी के साथ अपने हनीमून की तैयारी कर रहा था।  बेटे-बहू के साथ वह भी प्रियादर्शनी को लेकर अमेरिका जा रहा था। तैयारी हो चुकी थी। गाड़ी में सामान रखा जा रहा था। तिकड़ी और जालिम सिंह भी आश्रम जाने के लिए तैयार थे। चारों  कर्नल को प्रियादर्शनी व सबसे अलग एक कोने में ले गए और अपने उपहार कर्नल को देने लगे। ‘देख यारा अब तो तुम नई जिंदगी शुरू कर रहे हो और इस उम्र में बहुत चीजें आदमी के अंदर नहीं रही होती।’ सरदार कहते हुए कर्नल के हाथों एक पैकेट सा थमाता है। ‘इसमें क्या है?’ कर्नल पूछता है। ‘कुछ नहीं यार तेरे लिए खास सामान है, देख इसमें कुछ दवाएें है जो तेरी पावर बढ़ाऐंगी और कुछ निरोध के पैकेट हैं।’ रफीक कहता है। ‘तुम भी यारों क्या मजाक कर रहे हो।’ कर्नल शर्माता हुआ कहता है। ‘क्या बात कर रहा है यारा। हनीमून पर जा रहे है, उसे भी तुमसे कुछ उम्मीद होगी। वह मँुह से थोड़े ही बोलेगी और इस उम्र में तो बिलकुल भी नहीं बोलेगी। सब तुझे ही करना होगा।’ दयाशंकर कहता है। तभी बीच में कमला की आवाज आती है। ‘भाई साहब अब चलिए। सब इंतजार कर रहे हैं।’ सागर भी कमला के साथ तैयारी में लगा था। ‘हाँ हाँ आया मैं।’ कर्नल कहता है। ‘ठीक है कर्नल अब जाओ और मजे में जिंदगी बिताओ।’ वे भी वापस आश्रम चले जाते हैं। 

अब कर्नल के बड़े घर में कमला अकेली रह गई थी। अपनी जिंदगी में वह बिलकुल अकेली थी।   कमला को भी सहारे की जरूरत थी।   कमला को सागर से उम्मीद थी कि वह उसे अपना लेगा और वह उसके साथ एक नई जिंदगी शुरू करेगी लेकिन उस रात दोनों के रास्ते जुदा हो गए और यह मिलन  वियोग बदल गया।  दोनों  एक दूसरे की बाँहों में थे। ‘आज सारी सीमाएं तोड़कर मैं तुम्हारी बाँहों में हूं।’

‘आज शब्दों को भी हमारे दर्मियां नहीं आना चाहिए।’

‘मैं तुम्हें जी जान से चाहती हूं और चाहती हूं कि तुम्हारी बाँहों का यह सहारा कभी न छूटे।’ वह सागर की बाँहों में थी और पूरी तरह खुमार में थी। सागर भी खुमार में था। वह उसके मुँह को चुमते हुए उसके वस्त्र उतारने लगता है।

‘मैं भी तुम्हें जी जान से चाहता हूं जाने मन। अब कुछ मत बोलो आज हमें एक हो जाना है।’ कहते हुए सागर उसके निर्वस्त्र बदन को अपनी बाँहों में जकड़ लेता है। वह भी सागर के शरीर को टोहने लगती है। तभी ‘हटो... छोड़ो मुझे दूर हटो मुझसे।’ वह कहते हुए सागर की बाँहों के दायरे को तोड़ते हुए निर्वस्त्र ही बिस्तर से उतर जाती है। चादर से अपना नग्न बदन ढांपते हुए वह कहती है। ‘तुम मर्द नहीं हो, तुम़़़ ़ तुम तो हिजड़े हो। तुमने मेरे साथ धोखा किया, तुम तो।’ वह सहमी हुई कहती है। ‘तो़़़ ़ तो क्या हुआ, यह मेरा दोष नहीं है। मैं तुमसे प्यार करता हूँ कमला। फिर भी मैं तुम्हारे साथ वो सब कर सकता हूं जो  ....।’ सागर की असलियत कमला के आगे खुल चुकी थी। वह अपने से लज्जित व पसीने से तरबतर था। कमला भी पसीने से तरबतर थी। ‘दूर हटो मुझे मत छूना, मैं यह रिश्ता नहीं निभा सकती।  अगर तुममें जरा भी इन्सानियत बाकी है तो यहाँ से चले जाओ। मुझे तुमसे नफरत है। तुमने मुझसे धोखा किया है।’ कहते हुए कमला अपने आप को बाशरूम में बंद कर लेती है। सागर  सारी रात हॉल में रखे सोफे पर काटता है और सुबह होते ही उस घर से सदा के लिए चला जाता है। 

सागर अपनी जिंदगी की कड़वाहट भरी सच्चाई लिए फिर अपनी दुनिया में लौट जाता है। अगले दिन सुबह कमला देखती है कि सागर कहीं नहीं है। वह समझ जाती है अब वह कभी लौटकर नहीं आयेगा। वह सागर  के ख़्यालों में गुम थी तभी उसका मोबाइल बज उठता है। कर्नल की कॉल थी। ‘कमला कैसी हो? सब ठीक है न? हम अमेरिका पहुँच गए हैं।  सागर कहाँ है? जब कभी घर आए तो उससे मेरी बात करवाना। उसने मुझे मेरी जिंदगी बख़्शी है। मेरी हर कमी को पूरा कर दिया।’ कर्नल ने यह सब फोन पर कहा, फोन बीच में कट गया था।  ‘सागर, सागर अपने आप में पूर्ण। भाई जी तुम्हें पूरा कर गया वो आदमी, जो अपनी जिंदगी का अधूरा आदमी है।  हे •भगवान मुझे माफ करना मैंने  अनजाने में उस नेक आदमी का दिल दुखाया है, लेकिन मैं क्या करती । मैं ऐसा रिश्ता नहीं निभा सकती, जो अप्राकृतिक  हो। स्त्री-पुरुष के योग्य न हो। हे भगवान।’ आह भरते हुए वह कहती है।।
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रचनाएँ
एक बार फिर ज़िंदगी
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एक रिटायर्ड कर्नल है जिसकी पत्नी का देहांत हो चुका है। इसकी एक बेटा है जो अमेरिका में रहता है। वहीं उसने एक अमेरिकन लड़की से शादी कर ली है। कर्नल तनहा रहता है। कमला जो कर्नल के घर में नौकरानी है। कर्नल इसे अपनी बहन मानता है। यही कर्नल का ध्यान रखती है। कर्नल को प्रियादर्शनी से प्रेम हो जाता है। प्रियादर्शनी अपने परिवार से अलग होकर वृद्धाआश्रम में रहती है।प्रियादर्शनी और कर्नल के प्रेम को कर्नल का शायर दोस्त अंजाम तक ले जाता है लेकिन सागर का अपना प्रेम अधूरा रह जाता है क्योंकि कुदरत ने उसे ऐसा बनाया है। सागर कौन है कैसे कर्नल के प्र्म के वह कीमयाब करती है । जीनने के लिये पढे़ यह किताब।
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भाग. 1

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लो आज भी कर्नल ध्यान चंद सुबह-सुबह उठे तो अपनी दांत की प्लेट के बिना बाहर निकल आए । सूट बूट पहनकर, रोज की तरह सिर पर गोलदार हैट पहनकर । अपनी बड़ी घूमावदार मूँछों को बाट देकर जैसे आज भी वे कर्नल ह

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भाग 2

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शाम के पांच बज चुके थे। कर्नल रोज की तरह आज भी टहलने के लिए पार्क को निकल पड़ा था। कर्नल को हमेशा एकांत में रहना पसंद था फिर भी शाम पार्क में इसलिए चला आता था, क्योंकि इस वक्त पार्क के हरे

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भाग. 3

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आज शाम पार्क में कर्नल की आँखें बारहा किसी की राह देख रही थी। कर्नल अपने आप में खोया था, तभी कर्नल का शायर दोस्त अचानक आ पहुँचता है। वह कर्नल को खुशनुमा मुड़ में देखकर हैरान था।

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भाग. 4

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सागर का कर्नल के घर आना, आना क्या अब तो वहीं बेशर्म की तरह पूरा दिन पड़े रहना, कई बार रात भी यहीं गुजारना। अब तो जैसे उसका भी यही घर हो। कमला को यह अखरता था। उस दिन दोनों बड़ी देर से कमरे म

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भाग 5

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उन दोनों ने उस वृद्धाश्रम में अपनी दस्तक दे दी थी। वृद्धाश्रम का मैनेजमेंट आॅफिसर जालिम सिंह कर्नल के शायर दोस्त को पहले से जानता था। कर्नल की तरह आश्रम के मैनेजमेंट आॅफिसर जालिम सिंह ने भी घुमावदार म

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भाग 6

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उस तरफ कमला सब जान चुकी थी। कर्नल के शायर दोस्त सागर ने उसे सब बता दिया है। वहीं, कर्नल की गैर हाजिरी में कमला के साथ इश्क का टांका भी फिट कर लिया है। उसका अपना इश्क भी परवान पर था। ‘इस उम्र मे

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भाग 7

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आखिर कर्नल प्रियादर्शनी को घर ले ही आए। विवाह के अगले दिन, कर्नल प्रियादर्शनी के साथ अपने हनीमून की तैयारी कर रहा था। बेटे-बहू के साथ वह भी प्रियादर्शनी को लेकर अमेरिका जा रहा था। तैयारी हो च

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