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भाग 5

27 अप्रैल 2022

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उन दोनों ने उस वृद्धाश्रम में अपनी दस्तक दे दी थी। वृद्धाश्रम का मैनेजमेंट आॅफिसर जालिम सिंह कर्नल के शायर दोस्त को पहले से जानता था। कर्नल की तरह आश्रम के मैनेजमेंट आॅफिसर जालिम सिंह ने भी घुमावदार मुंछें रखी हुर्इं थी। कार्टुन से दिखने वाले जालिम सिंह ने अपने सख्त मिजाज को दर्शाने के लिए कई बेवज्ह के सवाल सामने रख दिए थे, सो उन सवालों से निपटने के लिए कर्नल का शायर दोस्त की बहुत था इसलिए कर्नल ने चुप रहना ही बेहतर समझा था। 

कर्नल के दोस्त ने कर्नल को वहाँ के सब लोगों से वाकिफ करवा दिया था, खास उन लोगों से जो कर्नल के दोस्त के बहुत करीबी थे। वह तिकड़ी थी, हमेशा एक साथ रहती थी। दयाशंकर, रफीक खान और सरदार सिंह। 

 

‘सागर भाई एक बात समझ में नहीं आई, यह महोदय रिटायर्ड कर्नल हैं।  एक बेटा है वो अमेरिका में सटल है। फिर यहाँ हम जैसे बदनसीबों के बीच आने की क्या नौबत आन पड़ी।’ रफीक कहता है। ‘देखो भाई रफीक मियां दुनिया में सबकुछ तो सबको नहीं मिल जाता। कुछ पाने के बाद भी आदमी की जिंदगी में कोई कमी रह जाती है।’ कर्नल का शायर दोस्त सागर कहता है। ‘तो महोदय जी यहाँ क्या पाने आए हैं? यहाँ तो लोग सब कुछ खोकर आते हैं, हमको देखो। सारा घरबार था लेकिन कोई अपना न था।’ सरदार सिंह थोड़ा भावुक होकर कहता है। सागर, सरदार और रफीक के साथ बातों में मसरूफ था। वहीं प्रियादर्शनी की तरफ तांक झांक भी जारी थी। ‘जिंदगी में जहाँ सब कुछ खोया हुआ होता है। वहीं, आदमी को सब कुछ जिंदगी के लिए ढूंढना होता है। यह जनाब भी अपनी वही किस्मत लिए यहाँ आया है।’ सागर कहता है। ‘हम कुछ समझे नहीं मियां।’ रफीक कहता है। ‘इश्क ले आया है इन्हें यहाँ। मियां इश्क वो चीज है, जो आदमी को न जाने कहाँ-कहाँ भटकाता है। बस यह जनाब भी भटकते हुए यहाँ आ गए।’ सागर कहता है। तभी कर्नल और दयाशंकर पास आ गए थे। सागर की बात सुनकर कर्नल कुहनी मारता है। ‘अरे भाई कर्नल इनसे क्या छिपाना, इन्हीं लोगों ने तो तुम्हारा काम आसान करना है। ’ सागर कहता है। ‘हाँ भाई हमें भी बताओ आख़िर किसके इश्क के दीवाने होकर कर्नल यहाँ आ गए।’ दयाशंकर कहता है। ‘यहाँ तो जनाब एक ही शबाब का गुल है, जिसके पीछे जालिम सिंह दीवाना हुआ फिरता है।’ सरदार सिंह कहता है। ‘अरे, वही तो वो औरत है, जिनके लिए कर्नल का हाल बेहाल है।’ सागर कहता है। ‘क्या...?’ तीनों एक साथ हैरानी से कह उठते हैं। ‘तब तो भई बड़ा मुश्किल काम है। वो औरत तो शोला है। उसका तेवर देखकर तो जालिम सिंह की तनी  मुँछे भी नीची हो जाती हैं।’ रफीक कहता है। ‘अरे, जिंदगी में कौन सी दाल है जो इश्क के भाप में गली नहीं और जिसे तड़का न लगा।’ सागर कहता है। 

 

पहली मुलाकात में पहली बार की झिझक खत्म हो गई थी। एक ही आश्रम में रहने के कारण जान-पहचान के लिए ज्यादा वक्त जाया नहीं गया था।  कर्नल गार्डन में प्रियादर्शनी के साथ बातें करने में मशगूल था। वहीं दूसरी ओर, उसके दोनों दोस्त सरदार सिंह और रफीक बाजार से लौट आए थे, अपने तिक्के दयाशंकर के साथ कमरे में बैठे थे। दयाशंकर न्यूज पेपर पढ़ रहा था। ‘अरे भाई कर्नल कहाँ चला गया, कहीं दिखाई नहीं दे रहा।’ रफीक कहता है। ‘और कहाँ गया होगा, प्रियादर्शनी के पहलू में कहीं बैठा होगा। वहाँ इसका वो शायर दोस्त मस्त, इधर ये जनाब मस्त।’  ‘कुछ बात समझ में नहीं आती आखिर मामला क्या है।’ सरदार सिंह कहता है। दयाशंकर न्यूज पेपर पढ़ने के साथ-साथ इनकी बातें भी सुन रहा था। इन दोनों की बातों की उत्सुकता से दयाशंकर ने न्यूज पेपर मोड़कर एक तरफ रख दिया। ‘क्या हुआ, क्या बात है? तुम दोनों बाजार गए थे। आखिर ऐसा क्या देख लिया मुझे भी बताओगे कि नहीं?’ दयाशंकर पुछता है। ‘क्या देख लिया पूछो ही मत। ’ सरदार सिंह कहता है। ‘बात क्या हुई?’ दयाशंकर पुछता है। ‘क्या बताएँ दयाशंकर भाई, इधर कर्नल को प्रियादर्शनी के चक्कर में फंसा गया है। उधर, वो उसका शायर दोस्त किसी और लौंडी के साथ मस्त है।’ रफीक कहता है। ‘कर्नल बड़ा सीधा साधा आदमी है, न जाने कैसे इसके चक्कर में आ गया।' सरदार सिंह कहता है। ‘बात तो सोचने वाली है, लेकिन अब करें क्या? ये भी तो सोचना होगा।’ दयाशंकर कहता है। ‘वैसे प्रियादर्शनी के चक्कर में कर्नल कैसे पड़ा? इससे पहले तो कर्नल इस आश्रम में नहीं आया था।’ सरदार सिंह कहता है। ‘अरे वो बात तो उसने पहले ही दिन बता दी थी। कर्नल प्रियादर्शनी पर लट्टू हो गया है इसके इश्क के चक्कर में और उसके कहने पर हम ही तो उसको प्रियादर्शनी के करीब ले जाने का काम कर रहे हैं।’ दयाशंकर कहता है। ‘इस उम्र में कर्नल ने भी क्या इश्काना तबीयत पाई है और ऐसी हसीना जो इस उम्र में भी मशाल्लाह जवान लगे तो क्या कहने।’ रफीक कहता है। ‘अरे वो तो बात ठीक है रफीक मियां लेकिन ये भी तो सोचो कि कर्नल इश्क करके कुछ कर तो लेगा लेकिन उसका हिजड़ा दोस्त इश्क करके क्या करेगा। उस औरत के तो भाग फूटे समझो।’ सरदार सिंह कहता है। ‘तुम्हारा कहने का क्या मतलब वो भी ़़़ ़ ?’ दयाशंकर शंका के साथ पूछता है। ‘हाँ भाई दयाशंकर मत पूछो । इस उम्र में भी उसने  ऐसा पटाखा पटाया है पूछो मत ।’ रफीक कहता है। ‘आज बाजार में उसे उस औरत के साथ गोलगप्पे खाते देखा, उससे पहले पार्क  में बाँहों में बाँहें लिए एक साथ कुल्फी खाते देखा ।’ सरदार सिंह कहता है। ‘हां भाई तुम सच कहते हो, हम तो मर्द होकर भी नामर्द ठहरे और उसे देखो। कर्नल तो फिर भी मर्द ठहरा, पर वो शायर क्या कर रहा है, यह बात समझ से परे है।’  दयाशंकर की इस हैरानी और व्यग्ंय भरी बात तीनों के ठहाकों के साथ खत्म होती है।
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रचनाएँ
एक बार फिर ज़िंदगी
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एक रिटायर्ड कर्नल है जिसकी पत्नी का देहांत हो चुका है। इसकी एक बेटा है जो अमेरिका में रहता है। वहीं उसने एक अमेरिकन लड़की से शादी कर ली है। कर्नल तनहा रहता है। कमला जो कर्नल के घर में नौकरानी है। कर्नल इसे अपनी बहन मानता है। यही कर्नल का ध्यान रखती है। कर्नल को प्रियादर्शनी से प्रेम हो जाता है। प्रियादर्शनी अपने परिवार से अलग होकर वृद्धाआश्रम में रहती है।प्रियादर्शनी और कर्नल के प्रेम को कर्नल का शायर दोस्त अंजाम तक ले जाता है लेकिन सागर का अपना प्रेम अधूरा रह जाता है क्योंकि कुदरत ने उसे ऐसा बनाया है। सागर कौन है कैसे कर्नल के प्र्म के वह कीमयाब करती है । जीनने के लिये पढे़ यह किताब।
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भाग. 1

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लो आज भी कर्नल ध्यान चंद सुबह-सुबह उठे तो अपनी दांत की प्लेट के बिना बाहर निकल आए । सूट बूट पहनकर, रोज की तरह सिर पर गोलदार हैट पहनकर । अपनी बड़ी घूमावदार मूँछों को बाट देकर जैसे आज भी वे कर्नल ह

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भाग 2

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शाम के पांच बज चुके थे। कर्नल रोज की तरह आज भी टहलने के लिए पार्क को निकल पड़ा था। कर्नल को हमेशा एकांत में रहना पसंद था फिर भी शाम पार्क में इसलिए चला आता था, क्योंकि इस वक्त पार्क के हरे

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भाग. 3

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आज शाम पार्क में कर्नल की आँखें बारहा किसी की राह देख रही थी। कर्नल अपने आप में खोया था, तभी कर्नल का शायर दोस्त अचानक आ पहुँचता है। वह कर्नल को खुशनुमा मुड़ में देखकर हैरान था।

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भाग. 4

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सागर का कर्नल के घर आना, आना क्या अब तो वहीं बेशर्म की तरह पूरा दिन पड़े रहना, कई बार रात भी यहीं गुजारना। अब तो जैसे उसका भी यही घर हो। कमला को यह अखरता था। उस दिन दोनों बड़ी देर से कमरे म

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भाग 5

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उन दोनों ने उस वृद्धाश्रम में अपनी दस्तक दे दी थी। वृद्धाश्रम का मैनेजमेंट आॅफिसर जालिम सिंह कर्नल के शायर दोस्त को पहले से जानता था। कर्नल की तरह आश्रम के मैनेजमेंट आॅफिसर जालिम सिंह ने भी घुमावदार म

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भाग 6

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उस तरफ कमला सब जान चुकी थी। कर्नल के शायर दोस्त सागर ने उसे सब बता दिया है। वहीं, कर्नल की गैर हाजिरी में कमला के साथ इश्क का टांका भी फिट कर लिया है। उसका अपना इश्क भी परवान पर था। ‘इस उम्र मे

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भाग 7

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आखिर कर्नल प्रियादर्शनी को घर ले ही आए। विवाह के अगले दिन, कर्नल प्रियादर्शनी के साथ अपने हनीमून की तैयारी कर रहा था। बेटे-बहू के साथ वह भी प्रियादर्शनी को लेकर अमेरिका जा रहा था। तैयारी हो च

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