सागर का कर्नल के घर आना, आना क्या अब तो वहीं बेशर्म की तरह पूरा दिन पड़े रहना, कई बार रात भी यहीं गुजारना। अब तो जैसे उसका भी यही घर हो। कमला को यह अखरता था। उस दिन दोनों बड़ी देर से कमरे में बंद थे। जाने क्या खिचड़ी पका रहे थे। यही जानने के लिए कमला कभी दरवाजे की ओट में, कभी खिड़की के पास खड़ी होकर दरारों से छिप छिप कर देखने सुनने की कोशिश कर रही थी। ‘यार कर्नल, ये जो तेरी कमला है न. . .।’ उसकी बात काटता हुआ बीच में कर्नल बोलता है। ‘क्या मेरी कमला, घर की नौकरानी है वो और मेरी मुंहबोली बहन। बहुत ख्याल रखती है मेरा।’ कर्नल चिढ़ता हुआ कहता है। ‘हां यार कुछ भी सही, लेकिन है बहुत हसीन वो भी। अपना मन कुछ डोल सा गया है उसको देखके।’ वह कहता है। ‘धीरे बोल यार तू धीरे बोल। कहीं उसने सुन लिया तो बम बनकर फटेगी तेरे ऊपर।’ कर्नल कहता है। कुछ देर की चुप्पी के बाद। इतनी देर से क्या तू यही सोच रहा था। क्या इसलिए तुझे मैंने यहां बुलाया था। कर्नल कहता है। ‘यार तू गुस्सा क्यों करता है, सोच रहा हूँ मैं। यकीन कर कोई हल निकाल लूंगा मैं तेरी इस मुश्किल का।’ ‘अच्छा इस मरदूद के दिमाग में यह पक रहा है, इसलिए यहाँ रह रहा है। मुझे लगता है कि ये भाई साहब को भी खराब कर रहा है। अभी बताती हूँ इसे मैं कि मैं क्या चीज हूं।’ बाहर कान लगाए कमला ने सब सुन लिया था। कर्नल के दोस्त के मुँह से अपने बारे में ऐसी बात सुनकर वह आग बबुला हो उठी थी। अपने इसी तेवर के साथ वह कमरे के अंदर चली आई और उन दोनों के सामने खड़ी हो गई। कमला को देखकर कर्नल पसीना-पसीना हो गया था। वहीं, उसका शायर दोस्त, जैसे उसके मुँह में बर्फ जम गई हो। वह अपना चेहरा इधर-इधर करने लगा। कमला उसके नाटक को समझ रही थी। वहीं, कर्नल उसे शांत करने का उपाय सोच रहा था। ‘कमला तु. .म यहां, तुम जाओ और हमारे लिए चाय बनाओ। चाय का भी समय हो रहा है। तुम्हें पता है न कि मैं समय पर चाय पीता हूं खाना खा. . खाता हूं।’ कर्नल लड़खड़ाती सी जुबान से कहने लगा। वह कमला को शांत करने की कोशिश में था। ‘जाती हूँ जाती हूँ जा रही हूँ भाई साहब, पर अपने दोस्त को समझा देना, दोबारा कमला के बारे में कुछ भी बोलने से पहले सौ बार सोच ले ।’ कमला कमरे से बाहर निकलने हुए किचन की तरफ जाती हुई कहती है। ‘हां....हां मैं समझा दूँगा, तुम....तुम जाओ ।’ कहता है। ‘तौबा....यार तौबा, वाकय यार ये तो बम है।’ वह कहता है। ‘खाक तौबा यार तुमने तो मरवा दिया था। कुछ भी किसी के बारे में बक देते हो बिना सोचे समझे।’ कर्नल कहता है। कुछ देर की खामोशी के बाद। ‘अब कुछ मेरे बारे में भी सोचेगा कि अपना टांका फिट करेगा।’ कर्नल कहता है। ‘हां....हां भई तेरे बारे में ही सोच रहा हूं।’