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भाग 6

27 अप्रैल 2022

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उस तरफ कमला सब जान चुकी थी। कर्नल के शायर दोस्त सागर ने उसे सब बता दिया है। वहीं, कर्नल की गैर हाजिरी में कमला के साथ इश्क का टांका भी फिट कर लिया है। उसका अपना इश्क भी परवान पर था। 

‘इस उम्र में भाई जी को तुमने किस चक्कर में फंसा दिया है कि वो अपना घर बार छोड़कर जोगी बन बैठे है किसी के प्यार में।’ कमला कहती है। ‘इस उम्र में हम भी तो फंस गए हैं आपके प्यार में।’ वह कहता है।  

 कर्नल को उसकी चाहत प्रियादर्शनी के करीब ले आई थी। अब दोनों पार्क में बैठकर प्रेम की बातें भी करने लगे थे। वहीं वृद्धाश्रम का मैनेजर जालिम सिंह अपनी नाकाम मोहब्बत का अफसोस अकसर पार्क में इन दोनों को एक दूसरे के करीब बैठे हुए देखकर मनाता था, लेकिन जालिम सिंह भी कर्नल की इस चाहत से खुश था।   प्रियादर्शनी  की व्यथा को भी जालिम सिंह जानता था और वह चाहता था कि कर्नल इसे अपनी संगीनी बनाकर ले जाए, तो बेचारी को उसके दुखों से छुटकारा मिल जाए। उस दिन भी कर्नल और प्रियादर्शनी पार्क में बैठे हुए आपस में बातें कर रहे थे। जालिम सिंह भी पार्क में एक बेंच पर बैठकर उन दोनों को आपस में घुलमिलते हुए देख रहा था। तभी कर्नल के वे तीनों दोस्त  वहाँ आ पहुँचते हैं। ‘किन ख्यालों में खोए हुए हैं भाई जालिम सिंह।’ उसे देखकर सरदार सिंह कहता है। तभी जालिम सिंह उन तीनों की तरफ कुछ घूरता हुआ देखता है। ‘बस यूँ ही बैठा हुआ हूँ और क्या काम है मुझे।’ जालिम सिंह कहता है। ‘भाई जालिम सिंह अब तुम्हारा ही काम है और तुम ही कर सकते हो।’ रफ़ीक कहता है। ‘मैं क्या कर सकता हूँ, आखिर क्या चाहते हो तुम तीनों मुझसे?’ जालिम सिंह कहता है। ‘जालिम भाई, ना मत करना। दो दिलों की नाजुक मोहब्बत का सवाल है।’ दयाशंकर कहता है। ‘किसके दिलों का, किसकी मोहब्बत का, सीधे-सीधे क्यों नहीं कहते क्या बात है।’ जालिम सिंह कहता है। ‘जालिम भाई इस तरह अंजान क्यों बनते हो। आपको मालूम है हम किसके बारे में ये बातें कर रहे हैं। ’ सरदार सिंह कहता है। ‘अच्छा भाई ठीक है। समझ गया तुम कर्नल की बात कर रहे हो।’ जालिम सिंह कहता है। ‘हाँ जालिम भाई आपने ठीक समझा, देखो तुम तो शादीशुदा ठहरे। कर्नल बेचारा अकेला आदमी पत्नी के बिना जी रहा है प्रियादर्शनी को चाहता है, इनकी फिर से शादी हो जाए तो अच्छा ही है। इस बेचारी को भी एक घर मिल जाएगा। ’ रफीक कहता है। ‘तो तुम लोग मुझसे क्या चाहते हो?’ जालिम सिंह कहता है। ‘भाई बस इतना कि एक साथ मिलकर इनकी शादी करवा देते हैं।’ दयाशंकर कहता है। ‘ठीक है भाई जैसा तुम चाहते हो, वैसा ही होगा। करो शुरू तैयारियां।’ जालिम सिंह कहता है। ‘मान गए उस्ताद! तुम तो कमाल के आदमी हो यारा, आ यारा गले लग जा। हम तुमसे बहुत खुश हुए।’ सरदार सिंह कहते हुए जालिम सिंह को गले लगा लेता है। 

विवाह की तैयारियां शुरू हो गई थीं, लेकिन बात सिर्फ कर्नल के फैसले तक सीमित नहीं थी। बेटे और बहू से इस बारे में बात करना अभी बाकी था। इस बात का जिम्मा पहले ही सागर ने लिया था कि वह उनसे बात करेगा इसलिए कर्नल ने बेटे और बहू अमेरिका से घर बुला लिया था। सागर ने उनके आगे सारी बात रख दी थी। ‘देखो यह सब इनकी खुशी के लिए हो रहा है,  इसमें कुछ भी गलत नहीं है। मैं इनका दोस्त हूँ , मैं अच्छी तरह महसूस कर सकता हूँ  इस उम्र में अकेले रहना ही आदमी का सबसे बड़ा दर्द है। आप उनकी अच्छी औलाद हैं, लेकिन जिंदगी भर तो आप भी इनके आसपास नहीं रह सकते है। अपने निर्णय तुम्हारे हाथ में हैं।’ सागर कहता है। बहू अमेरिकन थी, इसलिए उसके लिए यह हैरानी की बात नहीं थी। वह अपने ससूर के इस फै सले पर कहने लगी, ‘आपने अच्छा किया पापा जी। हम आपके इस डिसीजन का स्वागत करते हैं।’ वह गोरी मैम थोड़ी लड़खड़ाती हिंदी में बोली। बेटे ने भी उसकी हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा, ‘ठीक है पापा जी, आपकी खुशी की बात है। हम कैसे उसमें बाधा डाल सकते हैं, आपने जो निर्णय लिया है ठीक ही लिया होगा।’ पोता तो अभी दो साल का था। फर्श पर अपनी खेलों में मस्त था, उससे क्या पूछना। कर्नल की खुशी का अब ठिकाना नहीं था। अब तो वह जल्दी ही अपने घर में प्रियादर्शनी को आते देखना चाहता था। ‘अरे अरे मेरा पोता कर्नल खुशी से बच्चे को उठाता हुआ कहता है।’ तभी कमला चाय और कुछ मीठा ले आती है। ‘अब इस खुशी के माहौल में सब अपना मुँह मीठा करो। भाई जी नई भाभी लाने वाले हैं।’ ‘कमला तुम अपनी शरारतों से बाज नहीं आओगी।’‘ भाई जी एक बात है। अब आप अपने दांंंत मत भूलना भाभी के पास जाने से पहले।’ कमला कहती है। कमला की बात पर सब हँस पड़ते हैं। कर्नल शर्म से अपना सिर नीचे कर लेता है। 
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रचनाएँ
एक बार फिर ज़िंदगी
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एक रिटायर्ड कर्नल है जिसकी पत्नी का देहांत हो चुका है। इसकी एक बेटा है जो अमेरिका में रहता है। वहीं उसने एक अमेरिकन लड़की से शादी कर ली है। कर्नल तनहा रहता है। कमला जो कर्नल के घर में नौकरानी है। कर्नल इसे अपनी बहन मानता है। यही कर्नल का ध्यान रखती है। कर्नल को प्रियादर्शनी से प्रेम हो जाता है। प्रियादर्शनी अपने परिवार से अलग होकर वृद्धाआश्रम में रहती है।प्रियादर्शनी और कर्नल के प्रेम को कर्नल का शायर दोस्त अंजाम तक ले जाता है लेकिन सागर का अपना प्रेम अधूरा रह जाता है क्योंकि कुदरत ने उसे ऐसा बनाया है। सागर कौन है कैसे कर्नल के प्र्म के वह कीमयाब करती है । जीनने के लिये पढे़ यह किताब।
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भाग. 1

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लो आज भी कर्नल ध्यान चंद सुबह-सुबह उठे तो अपनी दांत की प्लेट के बिना बाहर निकल आए । सूट बूट पहनकर, रोज की तरह सिर पर गोलदार हैट पहनकर । अपनी बड़ी घूमावदार मूँछों को बाट देकर जैसे आज भी वे कर्नल ह

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भाग 2

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शाम के पांच बज चुके थे। कर्नल रोज की तरह आज भी टहलने के लिए पार्क को निकल पड़ा था। कर्नल को हमेशा एकांत में रहना पसंद था फिर भी शाम पार्क में इसलिए चला आता था, क्योंकि इस वक्त पार्क के हरे

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भाग. 3

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आज शाम पार्क में कर्नल की आँखें बारहा किसी की राह देख रही थी। कर्नल अपने आप में खोया था, तभी कर्नल का शायर दोस्त अचानक आ पहुँचता है। वह कर्नल को खुशनुमा मुड़ में देखकर हैरान था।

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भाग. 4

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सागर का कर्नल के घर आना, आना क्या अब तो वहीं बेशर्म की तरह पूरा दिन पड़े रहना, कई बार रात भी यहीं गुजारना। अब तो जैसे उसका भी यही घर हो। कमला को यह अखरता था। उस दिन दोनों बड़ी देर से कमरे म

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भाग 5

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उन दोनों ने उस वृद्धाश्रम में अपनी दस्तक दे दी थी। वृद्धाश्रम का मैनेजमेंट आॅफिसर जालिम सिंह कर्नल के शायर दोस्त को पहले से जानता था। कर्नल की तरह आश्रम के मैनेजमेंट आॅफिसर जालिम सिंह ने भी घुमावदार म

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भाग 6

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उस तरफ कमला सब जान चुकी थी। कर्नल के शायर दोस्त सागर ने उसे सब बता दिया है। वहीं, कर्नल की गैर हाजिरी में कमला के साथ इश्क का टांका भी फिट कर लिया है। उसका अपना इश्क भी परवान पर था। ‘इस उम्र मे

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भाग 7

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आखिर कर्नल प्रियादर्शनी को घर ले ही आए। विवाह के अगले दिन, कर्नल प्रियादर्शनी के साथ अपने हनीमून की तैयारी कर रहा था। बेटे-बहू के साथ वह भी प्रियादर्शनी को लेकर अमेरिका जा रहा था। तैयारी हो च

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