कभी कभी लगता हैं सब कुछ तो हैं मेरे पास... फिर अगले ही पल अहसास होता हैं कुछ भी तो नहीं मेरा..।
हाँ.... मै एक औरत हूँ और मेरी तरह हर औरत ने कभी ना कभी ऐसा ही महसूस किया होगा...। माना दूनिया बहुत बदल गई हैं... पर क्या सच में ऐसा हैं..?
जब हम माँ के पेट में होती हैं तो बाहर वाले लोग दिल ही दिल में बस बेटे की उम्मीद लगाए बैठे होतें हैं...।
पैदा होतें हैं तो हर वर्ग में एक बंदिश लगा दी जाती हैं..।
लड़की होकर ऐसे खेल खेलतीं हो..
लड़कियों को ये शोभा नही देता..
लड़की हो समय पर घर आ जाना..
लड़की हो ज्यादा देर तक बाहर मत रहा करो..
लड़की हो मर्यादा में रहा करो..
लड़की हो नौकरी करने की क्या जरूरत... शादी के बाद तो चुल्ला चोका ही करना हैं..
लड़की हो ढंग के कपड़े पहना करो..
लड़की हो किसी के ज्यादा मुंह मत लगा करो..
ना जाने कितने ही फरमान उसे बचपन से लेकर मरने तक हर रोज सुनाए जातें हैं..।
ये करो... ये मत करो...।
सब कुछ सिर्फ लड़कियों के लिए...।
लेकिन इसमें गलती किसी ओर की नहीं हम लड़कियों की ही हैं... हमने खुद को.... अपनी पुरी जिंदगी को दूसरों के हवाले सौपं दिया हैं...। हमें खुद को ऐसा लगता हैं की शायद हम खुद से खुद के लिए कुछ नहीं कर पाएंगी....। हमें हर कदम पर मर्द रुपी सहारे की जरूरत पड़ेगी..।
ये गलत हैं....।
माना हमारा समाज पुरुष प्रधान हैं... और मैं पुरुषों के खिलाफ भी नहीं हूँ... मैं सिर्फ इतना कहना चाहतीं हूँ.... जैसे हम एक लड़की को मान मर्यादा का पाठ पढ़ाते हैं.... वैसे ही हमें लड़कों को भी सही और गलत के बारे में समझाना चाहिए... उन्हें कुछ भी करने की आज़ादी ना देकर... लड़की का सम्मान... और बराबरी के बारे में बताना चाहिए..।
आए दिन हम बलात्कार... एसिड अटैक.... दहेज के लिए प्रताड़ित करने जैसी खबरें पढ़ते और देखते रहते हैं..।
यहाँ जरूरत दोनों ओर से बदलने की हैं..।
जहाँ एक ओर लड़कियों को आत्मनिर्भर बनने की जरूरत हैं... वही दूसरी और लड़कों को भी अपनी सोच और नज़र बदलनी चाहिए..।
तभी ऐसे संगीन अपराधों को रोका जा सकता हैं..।
आज हर लड़की को चाहिए की वो घर परिवार को संभालने के साथ आत्मरक्षा के बारे में भी जागरूक हो..।
तभी ये समाज... ये देश बदल सकता हैं... तभी हमारे भीतर आतें ये ख्याल बदल सकतें हैं... तभी हमें सुरक्षित माहौल मिल सकता हैं.. तभी हम सच में आजादी पा सकते हैं..।
जरूरत है सिर्फ छोटे से नजरिये की...।
आप हमे समझों हम आपको समझें. ।
आप हमारा साथ दो... हम आपका मान बढ़ाए..।
बदलाव अपने आप से करे.... अपने घर से करे.... अपने पड़ौस से करे...।
जय श्री राम...।