पिछले भाग में आपने पढ़ा कि अमर उसी कॉलेज में पढ़ाने जाता है जहाँ वो कभी खुद पढ़ता था और पल्लवी की यादों में खो जाता है,अब आगे-
अब भारी मन से अमर क्लास में आता है और वर्ड्सवर्थ की रोमांटिक पोएट्री पढ़ाने लगता है!अब जब उसका ध्यान बार-२ पल्लवी की यादों में उलझता है तो वो पढ़ाना बन्द कर देता है और सभी के नाम पूछने लगता है!तभी उसे उस लड़की का नाम पता चलता है जिसकी बातों से उसे पल्लवी की याद आई थी!वो अपना नाम प्रिया बताती है!
किसी तरह से क्लास पूरी करके बाहर कॉरिडोर से होता हुआ स्टाफरूम की तरफ बढ़ता है तो उसकी नजर सामने वाली कैंटीन की ओर चली जाती है!उसके पाँव एकाएक ही उसी दिशा की ओर बड़ चलते हैं लेकिन ये क्या वो कुछ आगे ही आता है तो पीछे से एक सर् आवाज दे देते हैं अरे अमर जी,कहाँ बच्चों की कैंटीन की ओर जा रहे हैं आप?चलिए आपको दूसरी कैंटीन लेकर चलते हैं जो स्पेशल कॉलेज के स्टाफ के लिए बनाई गई है!
अब अमर पल्लवी की यादों से बाहर आता है तो उसे याद आता है कि हाँ,ये कैंटीन तो सिर्फ स्टूडेंट्स के लिए है और अब मेरी वो उम्र कहाँ?आज ऐसा लगा जैसे जिंदगी का सबसे हसीन दौर खत्म हो गया!यही इसी कैंटीन में न जाने कितनी ही बार मिला था अमर पल्लवी से!
अब वो वापिस स्टाफरूम में आ जाता है और वहीं मंगवाकर चाय पीता है!कुछ इस तरह से मीठी यादों में ही उलझते हुए उसका आज का दिन बीत जाता है!लेकिन एक बात जो अमर को समझ आई कि जिंदगी का सबसे सुनहरा समय अब निकल चुका है!
ऐसे ही अमर अब हर रोज आने लगा,धीरे-२ इसे सभी के नाम पता चलने लगे!सभी के साथ घुलने-मिलने लगा!प्रिया उसकी सबसे खास स्टूडेंट बन गई!उसकी बहुत सी बातें उसे पल्लवी की याद दिलाती!
एक बार जब वो पीले रँग का सलवार कमीज और उसपर लाल दुपट्टा लेकर आई तो अमर अपनी पलकें नही झपका पा रहा था!बस यही सोचने लगा,इसकी पसन्द पल्लवी से कितनी मिलती है!पल्लवी को भी तो पीले सूट पर लाल दुपट्टा कितना पसन्द था!ना जाने कितनों के दिल घायल कर देती थी जब पीले रँग के सूट में लाल दुपट्टा ओढ़े चलती थी और अमर उन लड़कों को देख जलता ही रह जाता!प्रिया को आज उसी रँग में देख वो फिर से पल्लवी को सोचने लगा जब अमर उसे चोरी से हर रोज देखा करता था!तब एक बार पल्लवी ने आकर पूछ ही लिया आप हर रोज कॉलेज में मेरा पीछा क्यों करते हो?
अमर की तो जुबान पर जैसे ताला लग गया हो,फिर भी हिम्मत करके बोला,मैं पीछा नही करता बस कदम ही उस ओर चल देते हैं जहाँ आप होती हो!
पता नही क्यों जितनी सादगी से अमर ने कहा पल्लवी मुस्कुराए बिना नही रह सकी और चुपचाप वहाँ से चली गई!एक-दूसरे को देखने का दौर शुरू हो चुका था!इस उम्र में एक-दूसरे को देखने का दौर सबसे प्यारा दौर होता है और उस दौर से शायद ही कोई अछूता रहता होगा!पल्लवी की नजरें उस ओर जरूर जाती जहाँ अमर खड़ा हो और अमर भी कॉलेज आते ही उसीको ढूंढता!दोनों की नजरें टकराती और फिर इधरउधर देखने लगते!पर कुछ भी कहो वो पल भी बहुत प्यारे होते हैं!एक अजीब सी तड़प होती है तब जब हजारों की भीड़ में भी कोई एक ही दिखता है!
तभी प्रिया की आवाज कानों में पड़ी,एक्सक्यूसेमी सर् क्या आप मुझे ये poem दुबारा करवा सकते हैं?
अमर पल्लवी की यादों से निकल कर प्रिया के सामने आ गया!बहुत अजीब सी हालत थी अमर की वो अपने भूतकाल और वर्तमान में एक साथ जी रहा था!प्रिया उसे पल्लवी की यादों की तरफ धकेल कर फिर खुद ही हर बार उसे बाहर ला रही थी!जो अमर कबका भूल चुका था पल्लवी को आज हर पल तड़प रहा था उसकी याद में!
अगला भाग-कल
ॐनमःशिवाय
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