भारत के लाल हो तुम
यह बात बताने आया हु...
आजादी की जुनून चढ़ी,
गगन में तिरंगा लहराया था..
भगत सिंह ने फांसी चदकर,,
भारत के शक्ति को दरसाये थे..
80 के थे वीर कुवर सिंह,
अंग्रेजो को छक्के छुराये थे..
लक्ष्मी बाई, वीर शिवा जी की,,
येसे अनेको अमर गाथा है..
कैसे मर मिटे सरहदों पे,,
उनकी बखान सुनाने आया हु..
भारत के लाल हो तुम,
यह बात बताने आया हु..
माँ हमारी रो रही है,
गाय के बलि चढ़ाने पे..
सहम गया है सारा शहर,,
उनके नापाक इरादों से..
कितने घर जल गये,,
गोली बम बारूदो से..
भारत के लाल हो तुम,
यह बात बताने आया हु..
बहुत हो चुकी है मान-मर्यादा,,
फूलो की गुलदस्ता से..
काग़ज पे सम्मान देकर,,
लहू के होली खेलाने आते है..
हमारे घर के चंचल मन को,,
आज भी वो भरमाते है..
स्वक्ष भारत भूमि पे,,
फिर से ये बात बताने आया हु..
भारत के लाल हो तुम,,
यह बात बताने आया हु..
हटा दो म्यान चमका दो फिर से तलवारे,,
बांधे जो पैर तुम्हारे तोर दो जंजीरे..
क़त्ल कर दो,,
उठे नज़र जो उसका..
हर माथे पे तिलक लगाकर,,
यह स्वाभिमान जगाने आया हु..
भारत के लाल हो तुम,,
यह बात बताने आया हु..
यह भूमि है राम-शिया के,,
जो पूरा भारत कहलाता है..
शेर के है ज़िगर जिनके,,
वही भारत कहलाता है..
उस पार रो रहे है अपने,,
इस लिय....
लाहौर में भी तिरंगा लहराने आया हु....
तुम भारत के हो वीर लला,,
यह बात बताने आया हु....
लेखक:- राजीव रंजन सिंह “राजपूत”
Date:- 11-07-2015/ 07:३०फं
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