एक दीवार क्या खरी हो गई,
सारे रिस्ते मिटा दिए ।
बंद कर अपने घर को,
सारे दीपक बुझा दिए ।
जो था बचपन मे अपना कभी,
आज दिल बांट कर अफशाना सुना दिए ।
ना परे कदम उनका,
राहों मे कांटे बिछा दिए ।
ना मिल जाये नजर कभी,
यारो घरो मे पर्दा लगा दिए ।
एक दीवार क्या खरी हो गई,
सारे रिस्ते मिटा दिए ।
कहते थे बचपन मे भाई जीसे...
लरते थे दुनिया से आपस मे प्यार के लिए,
क्यू आज भाई नहीं एक नाम से पहचान बना दिए ।
जरा सी तूफान क्या आई,
दोनों अपना घर ही जला दिए ।
एक दीवार क्या खरी हो गई,
सारे रिस्ते मिटा दिए ।
---RAJIV RANJAN SINGH
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