भारत का एकमात्र मंदिर जहां गजमुख की नहीं इंसान रूप की होती है पूजा
देश में गणेश चतुर्थी बड़े धूम धाम से मनाते है. गणेश चतुर्थी का पर्व पुरे देश में मनाया जाता है यह पर्व १० दिन बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. आपने हमेशा गणेश जी को गजराज मुख में ही देखा होगा। आज हम आपको बतायेगे की भारत में एक ऐसा भी मंदिर है जहा गणेश की मूर्ति गजराज न होकर इंसान के रूप में है।
तमिलनाडु के कूटनूर से लगभग 2 कि.मी. की दूरी पर तिलतर्पणपुरी नामक स्थान पर भगवान गणेश का आदि विनायक मंदिर है, जहां वे इंसान के चेहरे में विराजित हैं। इस मंदिर की एक खूबी ये भी है कि, यह ऐसा एक मात्र गणेश मंदिर है जहां लोग अपने पितरों की शांति के लिए पूजन करने भी आते हैं। मान्यता है कि, इस जगह पर भगवान श्रीराम ने भी अपने पूर्वजों की शांति के लिए पूजा की थी। इसी परंपरा के चलते आज भी कई भक्त अपने पूर्वजों की शांति के लिए यहां पूजा करने आते हैं। तमिलनाडु में मौजूद ये मंदिर भले ही बहुत भव्य न हो लेकिन ये अपनी इस खूबी के लिए दुनिया भर में प्रसिद्द है।
बता दें इस मंदिर के साथ-साथ यहां सरस्वती मंदिर भी है। सरस्वती मंदिर को कवि ओट्टकुठार ने बनवाया था। यहां आने वाले भक्त सरस्वती मंदिर के दर्शन किए बिना नहीं जाते हैं। मंदिर परिसर में भगवान शिव का भी मंदिर बना है। इस मंदिर से बाहर निकलते ही श्रीगणेश का नरमुखी मंदिर स्थित है।
तिलतर्पणपुरी का अर्थ
इस जगह का नाम तिलतर्पणपुरी पड़ने के पीछे भी एक बड़ा कारण है। तिलतर्पणपुरी दो शब्दों के मेल से बना है। पहला तिलतर्पण और दूसरा पुरी। तिलतर्पण का अर्थ होता है- पूर्वजों को समर्पित और पुरी का अर्थ होता है शहर, यानी इस जगह का मतलब ही है पूर्वजों को समर्पित शहर।
भारत में एक ऐसा भी मंदिर है जहां गजमुख नहीं इंसान रूप में विराज है भगवान गणेश