१.) खेल खेल में जीत गए दिलों को वो सब नौजवान,
बिन सुख-सुविधा के लक्ष्य को पाना जैसे तीर बिन कमान |
जीते कोई या हारे से नहीं बने कोई महान,
देश की आन में खेले बस ऐसे ये नौजवान ||
२.) है चमक तमगे की ऐसी, हुक्मरां भी हिल गए |
नारी जाति के आलोचक, उनके मुँह भी सिल गए ||
देश की बेटी जो उतरी, खेल के मैदान में |
जीत के लहराया तिरंगा, देश के सम्मान में ||
अब न समझो बेटी को, कम न इस जहान में |
देश और बढ़ जायेगा, बस चल पड़ो बेटी बचाओ अभियान में ||
— कवि कौशिक