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भारतीय नारी - रियो ओलिंपिक २०१६

30 अगस्त 2016

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१.) खेल खेल में जीत गए दिलों को वो सब नौजवान,

बिन सुख-सुविधा के लक्ष्य को पाना जैसे तीर बिन कमान |

जीते कोई या हारे से नहीं बने कोई महान,

देश की आन में खेले बस ऐसे ये नौजवान ||


२.) है चमक तमगे की ऐसी, हुक्मरां भी हिल गए |

नारी जाति के आलोचक, उनके मुँह भी सिल गए ||

देश की बेटी जो उतरी, खेल के मैदान में |

जीत के लहराया तिरंगा, देश के सम्मान में ||

अब न समझो बेटी को, कम न इस जहान में |

देश और बढ़ जायेगा, बस चल पड़ो बेटी बचाओ अभियान में ||


— कवि कौशिक

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