आशा और विश्वास पर है सारी दुनियां टिकी करो भरोसा उसी का जो है तुम्हारे लिए सबसे सही.. हो चाहे सूरज की पहली किरण या अंधियारी उजियारी रात शून्यता हो या हो फिर कोई बड़ी आश चांद ने भी खींच लिए अपने हां
करके भरोसा तुमपे बहुत पछतायी हूं रोई हूं बहुत पाकर धोखा तुमसे कई बार ,, किये थे वादे तुमने नहीं तोड़ोगे भरोसा कभी ,, मुकर गये हो तोड़ कर भरोसा कई बार ,, नही फितरत है मेरी विश्वास तोड़ने की तो क्यूं
उसको, चाहिये भी क्या था, मुझसे,क्या था ऐसा, जो नहीं था, पास उसके,मुझमें था भी क्या कि दे सकूं उसको,पा कर, मिल भी जाता क्या ऐसा कुछ,ना दे सकूं ऐसी जिद भी कहां थी मेरी,फिर यह लेन-देन की आरजू थी भी कहां,यह तो फितूर है कि रिश्तों के दरमियां,होते हैं बाहम, कारोबारी तोलमोल के दस्तूर,वह चाहता भी कहां था कि