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भूतिया ट्रेन

21 अक्टूबर 2021

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विराज ,रोहन, मुकेश , अनिल, अविनाश पांचों दोस्त हैं हास्टल में साथ ही रहते हैं। 1 दिन प्लान बनाते हैं कि चलो शिमला घूमने चलते हैं।। हॉस्टल से परमिशन लेकर शिमला घूमने की तैयारी शुरू कर  देते हैं ‌।। जरूरी सामान खरीदना होता है तो पांचों मार्केट जाते हैं,, सामान लेते लेते विराज का साथ छूट जाता है ।।। 

हॉस्टल पर आकर सभी विराज का इंतजार करते पर हॉस्टल पर भी विराज नहीं आता है विराज का इंतजार करते-करते सभी रेलवे स्टेशन की तरफ निकल जाते हैं शायद विराज हॉस्टल में आए तो वहीं पर पहुंचे।। 9:00 बजे की ट्रेन है तो सभी रेलवे स्टेशन पर ही विराज का इंतजार करने की सोचते हैं।। विराज वहां भी नहीं आता है इंतजार करते-करते ट्रेन भी आ जाती है तो सभी ट्रेन से शिमला के लिए निकल जाते हैं।।

विराज हॉस्टल में आता है, तो पता चलता है कि चारों रेलवे स्टेशन की तरफ निकल गये हैं। वह भी अपना सामान जल्दी जल्दी पैक करता है।। और रेलवे स्टेशन की तरफ निकल जाता है।। रेलवे स्टेशन पहुंचता है तो ट्रेन जा चुकी होती है।।।

अब क्या करें समय भी बहुत ज्यादा हो गया है हॉस्टल में भी आने की परमिशन नहीं मिलेगी।। सोचता है, चलता हूं इंक्वायरी काउन्टर पर चेक करता हूं कि अगली ट्रेन शिमला के लिए कब जाएगी।। वहां जाकर पता चलता है कि अगली ट्रेन रात के 12:00 बजे जाने वाली है टिकट खिड़की पर जाता है टिकट लेता है।।। और आने वाली ट्रेन का इंतजार करने लगता है।।

रात के 12:00 बजे ट्रेन आती है।। पूरी ट्रेनिंग यात्रियों से ठुस्म ठुस्सा भरी हुई है ट्रेन में चढ़ता है और अपनी सीट देख कर बैठ जाता है।।।

थोड़ी देर में ट्रेन चल देती है। उसे लगता है कि शायद उसे टॉयलेट जाना है ,उठता है और टॉयलेट की तरह बढ़ जाता है।। टॉयलेट से जब बाहर आता है तो देखते पूरी ट्रेन कटा सिर ,कटे हाथ, हड्डियों के ढांचे ,कंकाल से भरी पड़ी है।। भूत प्रेत और आत्माओं जैसी आवाजें आने लगी हैं ।। सोचता है सारे यात्री कहां चले गए।। यहां तो इंसान बैठे थे। कहां चले गए पूरी बोगी में दौड़ दौड़ कर इधर उधर  ढूंढता है। पर कहीं कोई भी दिखाई नहीं देता है।। जोर-जोर से चीख चिल्ला कर सब को बुलाना चाहता है,,, पर किसी की कोई आवाज सुनाई नहीं देती है।।

अब तो भरोसा हो गया है उसे कि यह ट्रेन ही भूतिया है। और जोर से चीखने ही वाला होता है।।कि तभी  उसके कानों में चाय चाय की आवाज आती हैं ।।नींद खुल जाती है उठ कर बैठ जाता है देखता है। सुबह हो गई है।।। सारे यात्री चाय पानी पी रहे हो ते है, अब उसे एहसास होता है।।कि ट्रेन भूतिया नहीं उसका स्वप्न भूतिया था।।

पूर्णिमा किरण।।।।


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