खूबसूरत वादियों के बीच में खड़कपुर (काल्पनिक नाम) नाम का एक गांव है।। जहां की जनसंख्या तकरीबन 4500 सौ के आसपास की है।
वहां एक पोखरा है जिसे लोग भूतिया पोखरा कहते हैं। जहां दिन में भी लोग आने जाने में डरते हैं। किसी के ना आने जाने की वजह से वहां अच्छे खासे पेड़ो की संख्या है। और झाड़ियों भी खूब उग गई है ।।
घनी झाड़ियों और खूब ढेर सारे पेड़ पौधे उगने की वजह से वह दिन में भी देखने में काफी भयावह लगता है।।
गांव के बड़े बुजुर्गों जल्दी किसी को उस पोखरे की तरफ जाने नहीं देते हैं। सब को मना करते हैं कि उस पोखरे की तरफ मत जाया करो कुछ भी अनहोनी हो सकती है।। कभी-कभी 14 ,15 लोगों का ग्रुप जाकर जरुरत के हिसाब से पोखरे से कुछ लकड़ियां काट के उठा भी लाते हैं।। उसके लिए । उन्हें उस पोखरे के भूत से ये बताना पड़ता है। ताकि वो भूत नाराज हो कर लोगों के साथ कोई अनहोनी ना करदे। लोग वहां अक्सर सुबह के 7:00 से 10:00 के बीच में ही वहां जातें थे। उसके बाद कोई उस पोखरे की तरफ देखता भी नहीं है।
गर्मियों का मौसम था दोपहर के 12:00 बजे थे लू के थपेड़े जोर-जोर से चल रहे थे।। सभी अपने अपने घरों में दुबक के सोए पड़े थे। उसी बीच गांव के दो बच्चे विपिन और निशांत दोनों ने प्रोग्राम बनाया की गांव के सभी बड़े बूढ़े सो रहे हैं। तो हमें कोई रोकने टोकने वाला नहीं है सुना है कि उस पोखरे में खूब ढेर सारी मछलियां हैं। तो हम मछलियों वाला कांटा लेकर चलेंगे और वहां से मछलियां पकड़ कर लाएंगे
विपिन कहता है निशांत से अगर किसी को पता चल गया ना,, तो हम दोनों को बहुत डांट पड़ेगी और गांव वाले भूत भूत कहते हैं तो मुझे डर भी कुछ ज्यादा ही लग रहा है।।
निशांत करता है ऐसा कुछ नहीं है आज के जमाने में कहां भूत दिखाई देते हैं।। तूने कभी भूत देखा है मैं हूं ना तेरे साथ चल हम दोनों चलते हैं ।इस समय सभी लोग सोए हैं तो कोई हमें रोकेगा भी नहीं।
और दोनों मछली पकड़ने वाला कांटा लेकर उस पोखरे की तरफ चल देते हैं। दोपहर के करीब 12:30 बजे हैं दोनों कांटे में चारा डालते हैं। और तालाब में कांटा फेंक देते हैं। और वही कांटे के पास में बैठ जाते हैं। तभी विपिन को कुछ अजीब सा महसूस होता है। वह कहता है यार पता नहीं क्यों मेरे पेट अजीब सा गूडूम गूडूम सी मची हुई है । मैं अभी फ्रेश होकर आता हूं।।
निशांत कहता है तेरा ये प्रोग्राम हर जगह ही चालू रहता है।। जा तू फ्रेश होकर आ मैं यहीं बैठ कर देखता रहता हूं। कि कहीं मछलियां कांटा लेकर रफूचक्कर ना हो जाए।
विपिन वहां से चला जाता है झाड़ियों के पीछे । निशांत पानी की तरफ देखता है कि कोई मछली तो नहीं काटे में फंस रही हैं। तभी उसे ऐसा लगता है की एक बड़ी सी मछली जिसकी बड़ी-बड़ी मूछें हैं उसकी तरफ ही बढ़ रही है। वह डर कर थोड़ा पीछे हटता है तो देखता है।।। कि उसके पीछे कोई कुत्ता खड़ा है। उसे समझ में नहीं आया कि उसके साथ तो कोई कुत्ता आया नहीं था। अचानक यह कुत्ता कहां से आ गया।
जैसे ही कुत्ते की तरफ से ध्यान हटा ता है और मछली के तरफ देखना शुरु करता है। तो मछली गायब है पलट कर पीछे देखता है तो कुत्ता भी वहां से गायब है। अब उसे गांव वालों की बातें याद आने लगती है। सोचता है कहीं सचमुच यहां भूत तो नहीं रहता है।
उसके शरीर के अंदर एक झूरझूरी सी पकड़ लेती तभी वहां विपिन आ जाता है।। देख रहा है निशांत काटे को समेट रहा है ।।
विपिन पूछता है तूने मछलियां पकड़ ली क्या???
निशांत कहता है नहीं अब मुझे घर जाना है पता नहीं क्यों मुझे अजीब सा महसूस हो रहा है। विपिन को कुछ समझ में नहीं आता है, कि अचानक से क्या हो गया।।
दोनों कांटा उठाते हैं मछली वाला और घर की तरफ बढ़ जाते हैं घर तक आते-आते निशांत को बहुत तेज का बुखार हो जाता है ।।आकर वह पास में रखी हुई चारपाई पर सो जाता है। पता नहीं क्यों उसके शरीर में बहुत ज्यादा कंपन हो रही है। उसे समझ में नहीं आ रहा तभी उसकी मां आती हैं तो देखती है कि निशांत का शरीर कप कपा रहा है। तो उसके सर पर हाथ रख कर देखती है तो पता चलता है कि उसे तो बहुत तेज बुखार हो गया है।।
बेटे की ऐसी हालत देखकर उसके बाबूजी दौड़े-दौड़े जाते हैं। डॉक्टर को बुला कर लाते हैं, लेकिन तब तक निशान बेहोश हो चुका है।। डॉक्टर आते हैं तो उसे ग्लूकोज चढ़ाते हैं इंजेक्शन लगाते हैं। सोचते हैं शायद लू लगने की वजह से उसकी तबीयत कुछ ज्यादा ही खराब हो गई है।। इसी वजह से यह बेहोश हो गया है। उसी हिसाब से उसे दवाइयां देना शुरू करते हैं।। पर निशान पर दवाइयां कुछ असर नहीं करती है।।
तकरीबन 1 घंटे बाद निशांत आंखें खोल कर उठ बैठता है।। तब उसके मां बाबूजी की जान में जान आती है। सभी पूछने लगता है कि ऐसा क्या हुआ था कि तुम बेहोश हो गए।। निशांत उनको पोखरे के पास की सारी घटना बताता है।।
और फिर कहता है घर पर आया जब मैं बेहोश हो गया। तो मैंने देखा कि पोखरे के अंदर सात कूंए है। जिनमें अलग-अलग रंग का पानी भरा हुआ है। वहीं पर एक रानी मछली रहती है।। जो सबसे अलग बैठी हुई है साथ में उसके बहुत सारे पहरेदार हैं। और उसी में है एक मूछों वाला बड़ा सा मछली जो उस पोखरे की रखवाली करता है। वह लोग मुझे पकड़ लेते हैं और रानी मछली के पास लेकर जाते हैं। और बताते हैं कि मैं उनके तालाब से मछलियां पकड़ रहा था।
रानी मछली पूछती है कि तुम्हें यहां आने के लिए किसने कहा था मैंने कहा मैं अपनी मर्जी से यहां आया था अपने दोस्त के साथ गांव वाले कहते हैं कि यहां पर भूत है। और इस तरफ नहीं आते हैं । मुझे लगा वह लोग झूठ बोलते हैं। इसलिए मैं चुपके से अपने दोस्त के साथ यहां पर आ गया।
गांव वाले सही कहते हैं हम अक्सर उनके सपनों में जाकर यहां पर हमारे होने का एहसास दिलाते हैं ।तुम बच्चे हो और यह तुम्हारी पहली गलती है। इसलिए तुम्हें हम छोड़ रहे हैं ।लेकिन दोबारा से कभी ऐसी गलती मत करना। जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं तो वही काला कुत्ता मुझे दिखाई देता है । जो मछली पकड़ते समय मेरे पीछे खड़ा था मैं समझ गया कि यह दोनों पोखर के पहरेदार हैं जो मुझे आगाह कर रहे थे। कि दोबारा यहां कभी मत आना सचमुच वह दुनिया रहस्य से भरी थी। जब आंख खुली तो मैं आप सभी लोगों के सामने हूं शायद मेरी पहली गलती थी।। इसलिए उन लोगों ने छोड़ दिया लेकिन अगर दोबारा गलती करूंगा तो मुझे जीवित भी नहीं छोड़ेंगे।
गांव वाले सही कहते हैं । कि वह पोखरा भूतिया है भूतिया तो नहीं है लेकिन वहां अलौकिक लोग जरूर रहते हैं जो इस दुनिया के नहीं शायद पाताल लोक के हैं।।
✍️✍️पुर्णिमा किरन ✍️✍️