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एक गांव में दो मां बेटी रहा करती थी । गीता और अरूद्धति साथ ही रहता था।उनका कुत्ता रोंदू,,घर में कोई और नहीं रहता था ।जो इनके लिए काम कर के पैसे लाएं। इनके पास थोड़ी सी खेती बाड़ी थी।उसी में जो कुछ उगता वहीं रूखा सूखा खाकर अपना जीवन यापन करती थी।
एक बार भारी बारिश हुई। सारे खेत में पानी भर गया।
जो कुछ बोया गया था।सब पानी में डूब गया।।अब तों घर में खाने को एक दाना नहीं बचा था।। क्या करें क्या खाएं, कैसे जिवन बिताए यही सोच रही थी। कि अरूद्धति को याद आया कि उसका एक दूर का रिश्तेदार भाई भी है।
बचपन में ही एक बार मां के साथ उसके गांव गई थीं। उसके यहां जाकर कुछ दिन रूक सकती है।। दूसरे दिन गीता और रोंदू को लेकर वो अपने भाई के गांव आ गई।। वहां के लोग उसे कुछ अजीब से लगे ना कोई किसी से बात करता ना हंसता ना मुस्कुराता, अरूंधति और गीता को कुछ समझ में नहीं आ रहा था।।कि गांव के लोग उनके साथ ऐसा बर्ताव क्यों कर रहें हैं। अरुंधति सोचती है । इन गांव वालों के लिए हम अजनबी हैं शायद इसलिए ऐसा बर्ताव कर रहे हैं।।
अरूद्धति रोंदू और गीता दोनों को लेकर अपने भाई के घर पहुंच जाती है।। इस बीच उसे एक बहुत ही अजीब बात ये लगी की रोंदू हर किसी को देख कर भौंकने लगता ।जब कि रोंदू बहुत ज्यादा भौंकने वाला कुत्ता नहीं था। वो तो एक नंबर का आलसी हैं।उसका काम सिर्फ खाना और सोना रहता था।।
भाई के घर गईं तों भाई और भाभी घर पर ही थे।। अरूद्धति ने उन दोनों से अपनी आपबीती कह सुनाई। भाभी ने कहा बहुत दूर से आई हो थक गईं होगी। मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने के लिए बना कर लाती हूं।।
अरूद्धति और गीता बैठ कर खाना खाने का इंतजार करने लगी।भुख तों सच में तीनों को लगीं थीं। यहां भी रोंदू लगातार भौके जा रहा था। गीता बहुत चुप कराने की कोशिश करती है।पर चुप होने का नाम नहीं ले रहा था।। भाभी को गए काफी देर हो गया अभी लौट कर आईं नहीं।। देखूं तो क्या कर रहीं हैं । कहीं हमारा आना उनको बुरा तों नहीं लगा पता करतीं हूं अरूद्धति सोचती है।। गीता को आंगन में बैठा छोड़ कर वो अपने अंदर चली जाती है।। वहां का नजारा देख कर तों उसके होश ही उड़ जाते हैं।।
एक चूल्हे पर भाई अपने हाथों को जला कर कुछ पका रहें हैं। और दुसरे चुल्हे पर भाभी अपने पैरों को लकड़ी की तरह जला कर बैठी हैं।। अब उसे समझ में आया कि हमेशा चुप रहने वाला रोंदू अचानक से इतना भौंकने क्यों लगा है। कुत्तों को आत्माएं उसी रूप में दिखाई देती है।जैसी वो होती है।
अरूद्धति दबे पांव बाहर आतीं हैं।। गीता और रोंदू को साथ लेकर उस गांव से निकल जाती है।।गांव से बाहर जाकर लोगों से पता करतीं हैं ।तो पता चलता है कि कुछ साल पहले गांव वालों ने मिलकर एक औरत को डायन कहकर मार डाला था। तों उस औरत ने मरते समय ये श्राप दिया कि इस गांव में आज के बाद कोई जीवित नहीं बचेगा।।
धीरे -धीरे श्राप की वजह से सभी लोग एक एक करके मरने लगे। गांव में कुछ जिंदा बचे खूचे लोग थे। मौत के डर से वो गांव को छोड़ कर शहर चलें गए।। और ये गांव श्रापित हों गया।। जब भी इस गांव में कोई अजनबी आता है। तो ये गांव फिर से जागृत हो जाता है और यहां रहने वाले लोग अपने पूराने रूप में वापिस दिखाई देने लगते हैं।।
🖊️🖊️।।पुर्णिमा किरन।।🖋️🖋️