*हिंदी दोहे -*न्याय और राना की राय*
*1*
#राना चप्पल घिस गई , मिला नहीं है न्याय |
उलझाते हैं पंच अब , सूझे नहीं उपाय ||
*2*
न्याय भिखारी हो ग़या , आज देखते दौर |
मांगा जाता है उसे , #राना अब हर ठौर ||
*3*
घर बैठे किसको मिला , गए माँगने लोग |
फिर भी मिलता है नहीं , #राना सब दुर्योग ||
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*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001