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बुढ़ापा

12 जून 2016

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1

बुढ़ापा सदा

अनुभव की खान

सीख है देता ।

2

अकेला बूढ़ा

बैठ खाँसता जाता

घर के द्वार ।

3

उम्र से हारा

दुर्बल निढाल बूढ़ा

बना बेचारा

4

सबको पाला

अब हुआ अकेला

बची ना आस ।

5

कुल रौशन,

करता है शोषण

है ना पोषण ।

6

पालक खोए

जीवन का मान,

रही ना शान ।

7

बारह बजे

नाश्ता तक ना सजे

पेट सिकुड़े ।

8

रखे ना ध्यान

ये लाडली संतान

मारे है बान ।

9

तन है रोगी

जीवन बना जोगी

किस्मत खोई ।

10

माँगें सबकी

सदा ही की थी पूरी

अब अधूरी ।

11

ऐनक टूटी

बनवाता न कोई

आँखें हैं फूटीं ।

12

दवा खतम

अब ढेरों सितम

सताए तन

13

बूढ़ी हड्डियाँ

अब बनी बेजान

घटी है शान ।

14

नहीं काम के

दिन भर चरते

टोका करते ।

15

बुढ़ापा आया

जीभ बनी चटोरी

शर्म न रही ।

16

स्‍कूल है जाना

मुन्‍ने को लेते आना

मिलेगा खाना ।

17

लिखते सब

पराया बना घर

बिछा बाहर ।

18

मौत क्या माँगो

वो भी नहीं सुनती

कष्‍ट दिलाती ।

19

बनते  बूढ़ा

जीवन बना कूड़ा

हुआ अधूरा ।

डॉ उमेश पुरी 'ज्ञानेश्‍वर'

डॉ उमेश पुरी 'ज्ञानेश्‍वर'

आज के समाज में बुढ़ापा अभिशाप बन गया है बच्चे अपने बुजुर्गों का ध्यान ही नहीं रखते हैं समाज में सबसे ज्यादा आवश्यकता वृद्धाश्रमों की है जिस से बुजुर्ग सुख शांति से अपना जीवन काट सकें।

14 जून 2016

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रचनाएँ
haiku
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हिन्दी हाइकु द्वारा गागर में सागर भरेंगे!
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माता

10 जून 2016
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1 माँ कब रोती?बेटा जो  मुख मोड़ेधीरज खोती।2गुरु पहलीसदा माता बनतीसच्ची  सहेली ।3माँ जन्म देतीपालन भी करतीडाँट सहती।4माता कारणतूने जीवन पायाबना पराया।5माँ दुख हरेसब कुछ सिखायेतू चुप करे ।6घर माँ  रुष्टमंदिर चुन्नी चढ़ेकुछ न मिले ।7माँ  का कर्जचुकाना तेरा धर्मतुझे ना शर्म !8नन्हा करताशय्या गीली, बड़का

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बसन्त

11 जून 2016
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1फूलों की  हँसीबसन्त संग खुशीतितली संगी ।2मोहे बसन्तभौंरा बना है संतले मकरंद ।3बसन्त राजाफूल -सभा बुलातेसब मुस्काते ।४बसन्त मारकाम सुनाए रागमादक फाग ।5मन वासन्तीभावनाएँ चहकीसाँसें महकी ।6बसन्त आतेकाम तीर चलाएप्रेम जगाए ।7चमन खिलामनमोहक समारंग है जमा8खिलते फूलदेख भौंरा बौरायाहै मँडराया9बसन्त आयाहरा भ

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बुढ़ापा

12 जून 2016
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1बुढ़ापा सदाअनुभव की खानसीख है देता ।2अकेला बूढ़ाबैठ खाँसता जाताघर के द्वार ।3उम्र से हारादुर्बल निढाल बूढ़ाबना बेचारा4सबको पालाअब हुआ अकेलाबची ना आस ।5कुल रौशन,करता है शोषणहै ना पोषण ।6पालक खोएजीवन का मान,रही ना शान ।7बारह बजेनाश्ता तक ना सजेपेट सिकुड़े ।8रखे ना ध्यानये लाडली संतानमारे है बान ।9तन

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बेटियां

13 जून 2016
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1भार्या चाहिएकन्या रख सजीवयही तमीज़ ।2बेटियों का मानरखेगा सदा शानइतना जान ।३बेटों के तुल्यहोनहार बेटियाँसदा अमूल्य ।4बेटियाँ बचाबाप तभी बनेगाजश्न मनेगा ।5बना है दंड,करो न इसे खंडतनया संग6कन्या का मानजो सदैव करेगाबढ़ेगी शान ।

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मानसूनी हाइकु़

16 जून 2016
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1. आंधी की तेजीबादलों की गर्जनामानसून आ।२.मेघ गरजेअम्मा बोल उठीआ देख वर्षा।3. बारिश होते अनोखी  सरगम खिली  हैं बाछें 4. तूफान देखमांझी लगा किनारेचिंता घर की।5. जून की तपसखारी बूंदें लुढ़कींसूखता गला।6. वर्षा रुके नालबालब सड़केंप्रजा हैरान।7. दरकते पेड़बता रहे कहानीआया तूफान।8. बारिश बंदउग पड़ा सूरजइ

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मनोकामना

24 जून 2016
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1 सुने न कोई कहा हुआ कथन बुरा लगता2 दुर्गा से आशा नवरात्र में होती मनोकामना 3 प्रभु की याद रखते नहीं सदा उम्‍मीद क्‍यों 4 बुरा कहनाआसान होता यारों अच्‍छा कहो तो

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बेटियां

13 फरवरी 2017
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हाइकु 5.7.5 के क्रम वाली क्षणिक कविता है और इसमें एक क्षण को उसकी सम्‍पूर्णता सहित अभिव्‍यक्‍त किया जाता है। इस वीडियो में बेटियों के विषय में कुछ हिन्‍दी हाइकु दे रहे हैं। विश्‍वास हैं अवश्‍य पसन्‍द आएंगे। पसन्‍द आने पर लाईकए कमन्‍टए शेयर व सब्‍सक्राईब करें। धन्‍यवाद ! ब

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बुढ़ापा

15 फरवरी 2017
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हाइकु 5-7-5 के क्रम वाली क्षणिक कविता है और इसमें एक क्षण को उसकी सम्‍पूर्णता सहित अभिव्‍यक्‍त किया जाता है। इस वीडियो में बुढ़ापा के विषय में कुछ हिन्‍दी हाइकु दे रहे हैं। विश्‍वास हैं अवश्‍य पसन्‍द आएंगे। पसन्‍द आने पर लाईक, कमन्‍ट, शेयर व सब्‍सक्राईब करें। धन्‍यवाद ! बुढ़ापा (Senility) BuDhaapaa

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बसन्‍त ऋतु (basan‍t Rtu)हिन्‍दी हाइकु

30 मार्च 2017
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बसन्‍त ऋतु (Basan‍t Rtu)हिन्‍दी हाइकुलेखिका : डॉ. कंचन पुरी हाइकु 5-7-5 के क्रम वाली क्षणिक कविता है और इसमें एक क्षण को उसकी सम्‍पूर्णता सहित अभिव्‍यक्‍त किया जाता है। इस वीडियो में बसन्‍त ऋतु पर हाइकु दे रहे हैं। Video को LIKE और हमारे CHANNEL को SUBSCRIBE करना ना भूले!

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