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बुरा अंजाम

10 मई 2023

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अभी तक हमने पढ़ा की धारणा को पूरी सच्चाई पता चल जाती है की श्रुति के मां-बाप को किडनैप किया गया था। जिस वजह से उसने अदालत में झूठ बोला और फिर अपनी जान दे दी ।धारणा को इस वक्त बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था ।वह श्रुति को इंसाफ दिलाने का सोचती है और उस केस को फिर से खुलवाने का फैसला करती है।अभी तक हमने पढ़ा की धारणा को पूरी सच्चाई पता चल जाती है की श्रुति के मां-बाप को किडनैप किया गया था। जिस वजह से उसने अदालत में झूठ बोला और फिर अपनी जान दे दी ।धारणा को इस वक्त बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था ।वह श्रुति को इंसाफ दिलाने का सोचती है और उस केस को फिर से खुलवाने का फैसला करती है।

इधर वो  चारों गुंडे उसी फार्महाउस में बैठे हुए थे ।जहां पर सौम्या का खून किया गया था ।इस वक्त वहां कोई सिक्योरिटी नहीं थी ।यह चारों यहां मस्ती करने और पार्टी करने के लिए आए थे। वह चारों शराब पी रहे थे और आपस में बातें कर रहे थे। वह जहां पर बैठे हुए थे ।उसके सामने वाले ही बिस्तर पर ही एक लड़की बेहोश पड़ी थी। उसे देखने से ऐसा लग रहा था ।जैसे उसे कुछ नशा दिया गया है ।जिस वजह से वह होश में नहीं है।

जब यह चारों अदालत से बरी हो गए थे तो इन्हें लगा कि अब यह चाहे कुछ भी करें इन्हें कभी सजा नहीं होगी। क्योंकि जब एक बार गुनाह करके बच गए ।तो हर बार बच जाएंगे। इन के दिल से अब किसी भी तरह का सजा का डर खत्म हो चुका था। जिस वजह से वहां से आते हुए रास्ते से इन्होंने एक और लड़की को किडनैप कर लिया था और इसी फार्महाउस पर लेकर आ गए थे ।यह उसके साथ दरिंदगी करना चाहते थे।

चारों शराब पिए जा रहे थे। वह बार-बार उस लड़की को देखकर गंदी सी हंसी हंस रहे थे ।तभी उनमें से एक जिसका नाम मंगल था अपने दूसरे साथी को बोलता है...

"अबे ओ  कुंदन ! कितना क्लोरोफॉर्म सुंघा दिया तूने इस लड़की को??? इतने साल हो गए किडनैपिंग करते हुए और लड़कियों को उठाते हुए आज तक प्रैक्टिस नहीं हुआ कि कितना क्लोरोफॉर्म सुंघाना चाहिए ।अब देख कब से बेहोश पड़ी है ??और जाने कब होश में आएगी यह??"

"अबे हरिया !  जा  इसकी नाक को चैक  कर ! कहीं इसने क्लोरोफॉर्म सुंघा कर ही तो इसे टपका नहीं दिया।"

हरिया उस लड़की को चेक करके कहता है ..."नहीं भाई इसकी सांसे चल रही है जिंदा है यह।"

तभी मंगल कहता है ..."अबे अगर जिंदा है ।तो इसे होश क्यों नहीं आ रहा??"

"कुंदन जा ! जा कर पानी लेकर आ। मार इसके मुंह पर। इसे होश में लेकर आ । आखिर इसे भी तो पता होना चाहिए कि इसके साथ क्या होने वाला है ??जब तक चीखेगी चिल्लाएगी नहीं। तब तक मजा कैसे आएगा?? ऐसे ही बेहोश पड़ी रही ।तो इसे कुछ भी पता नहीं चलेगा कि इसके साथ क्या हुआ है??"

तभी हरिया पानी लेकर आ जाता है और उस लड़की के मुंह पर मारता है। पानी पड़ने से वह लड़की एकदम से आंख खुलती है ।वह सामने अपने चार लोगों को देखकर बहुत ज्यादा डर जाती है।

और कहती है ...

"कौन हो तुम लोग?? मुझे यहां क्यों लेकर आए हो ??प्लीज मुझे जाने दो मुझे घर जाना है।"

कुंदन ..."चली जाना ! चली जाना ! हम कौन सा तुझे सारी जिंदगी यहां रखने वाले हैं। लेकिन पहले जिस काम के लिए लाए हैं। वह तो कर ले।"

बोल कर उसकी तरफ बढ़ जाता है।

वो लड़की जैसे यह कुंदन को अपनी तरफ आते हुए देखती है ।उसकी जोर की चीख निकल जाती है और वह फिर से बेहोश हो जाती है। शायद उसे ज्यादा ही क्लोरोफॉर्म सुंघाया गया था ।जिस वजह से उसे पूरी तरह से होश नहीं आ पा रहा था।

मंगल ..... अबे लगता है तुम दोनों ने इसे ज्यादा ही नशा करा दिया है ।लेकिन अब तो मुझे जो करना है। वह मैं करूंगा ही ।चाहे यह होश में हो या ना हो।"

बोलकर वो फिर से गंदी सी हंसी हंसता है और उस लड़की की तरफ बढ़ जाता है। उसके साथ साथ बाकी के तीनों भी उस लड़की की तरफ बढ़ गए थे और वह बेचारी बेसुध सी उस बिस्तर पर पड़ी थी।

शायद उसके साथ भी वही हैवानियत होने वाली थी ।जो उस दिन सौम्या के साथ और उसके बाद श्रुति के साथ हुई थी।

वह तीनों उसके ऊपर झुक गए थे और जैसे ही उसके टॉप की तरफ उनके हाथ बढ़ते हैं। वह बेड जोर-जोर से हिलने लग जाता है।

वह तीनों घबरा जाते हैं ।उन्हें लगता है कि भूकंप आ गया है।वो  बोलते हैं ...."भागो भूकंप आ गया !"

जैसे ही वह बाहर भागने के लिए मुड़ते हैं। उस कमरे का दरवाजा एक जोरदार आवाज के साथ बंद हो जाता है।

उन्हें कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर क्या हो रहा है??

तभी हरिया जोर से चिल्लाता है....

" भाई !  वह देखो !! वह सब उस दिशा में देखते हैं। तो उनके कमरे में जो शीशा लगा हुआ था ।उस पर अपने आप शब्द उभर  रहे थे...

क्या लगा तुम लोगों को की मासूम लड़कियों की का खून बहा कर उनकी जिंदगी बर्बाद करके बच जाओगे??
नहीं ! नहीं बचोगे तुम लोग ! कोई नहीं बचेगा। किसी को नहीं छोडूंगी ।तुम सब को सजा मिलेगी ।तुम्हारे किए की सजा मिलेगी।  सजा-ए-मौत!!!

आखिर कौन था यह?? जिसने उन दरिंदों के लिए सजा-ए-मौत मुकम्मल की थी। देखेंगे अगले भाग में।


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